जानिए क्यों प्रदर्शनी मैदान बन कर रहा गया है जम्मू का एमए स्टेडियम, वजह जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे
मैदान के अंदर जाने पर भी पाबंदी लगा रखी थी लेकिन कुछ वरिष्ठ खिलाड़ियों एसोसिएशनों के पदाधिकारियों के आग्रह और मीडिया के दबाव के चलते स्टेडियम में खिलाड़ियों को इस शर्त पर प्रवेश की अनुमति दी गई की कोच के बिना खिलाड़ी को मैदान में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।
जम्मू, अशोक शर्मा : शहर में आउटडोर खेल सुविधाओं का सबसे बड़ा केंद्र एमए स्टेडियम इन दिनों जम्मू-कश्मीर खेल परिषद की गलत नीतियों के कारण वीरान पड़ा हुआ है। जिस मैदान पर विभिन्न खेलों के हजारों की संख्या में खिलाड़ी नियमित अभ्यास करते थे आज वहां खिलाड़ियों के प्रवेश पर पाबंदी लगी हुई है।
पहले तो तीन वर्ष मैदान मरम्मत और विकास कार्य के चलते बंद कर दिया गया था। उसके बाद इसके अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम बनाने की दिशा में काम चलता रहा। जब मैदान बन कर तैयार हुआ और क्रिकेट प्रेमियों को उम्मीद हुई कि अब जम्मू में भी अंतरराष्ट्रीय स्तर के क्रिकेट मैच देखने को मिलेंगे तो बीसीसीआइ के विशेषज्ञों की एक टीम ने भी आयोजन स्थल का दौरा किया और इसे घरेलू या आइपीएल स्तर के मैचों की मेजबानी के लिए भी अनफिट घोषित कर दिया गया। उसके बावजूद खेल परिषद मैदान को ऐसे संभाले हुए है मानों मैदान में खिलाड़ियों के प्रवेश से ही स्टेडियम को कोई नुकसान हो जाएगा।
मैदान के अंदर जाने पर भी पाबंदी लगा रखी थी लेकिन कुछ वरिष्ठ खिलाड़ियों, एसोसिएशनों के पदाधिकारियों के आग्रह और मीडिया के दबाव के चलते स्टेडियम में खिलाड़ियों को इस शर्त पर प्रवेश की अनुमति दी गई की कोच के बिना किसी भी खिलाड़ी को मैदान में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। वहीं खेल परिषद के प्रशिक्षकों को भी कह दिया गया कि आप सप्ताह में एक दो बार ही वह खिलाड़ियों को मैदान में ले जा सकते हैं। करीब 50 करोड़ रुपये की लागत के बाद भी अगर स्टेडियम में खिलाड़ियों को खेलने या दौड़ तक लगाने की अनुमति नहीं है तो इस ऐसे मैदान के होने या न होने से खिलाड़ियों को क्या फर्क पड़ता है। वहीं नाम न छापने की शर्त पर एक कोच ने कहा कि मैदान बंद होने के कारण खिलाड़ियों का स्टैमिना और उनकी स्ट्रैंथ प्रभावित हो रही है। खिलाड़ियों को प्रदर्शन प्रभावित हो रहा है।
खिलाड़ियों का कहना है कि जब गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस समारोह और नौकरशाहों, पुलिस, कॉर्पोरेट क्षेत्रों और कुछ स्थानीय टूर्नामेंटों की प्रदर्शनी और मैत्रीपूर्ण मैचों का आयोजन होता रहता तो नियमित अभ्यास के लिए आने वाले खिलाड़ियों के मैदान पर जाने को लेकर पाबंदियां क्यों।वहीं जम्मू-कश्मीर खेल परिषद के संभागीय खेल अधिकारी अशोक सिंह ने कहा कि हर कोच का शडयूल तय होता है कि उसे किस दिन क्या करवाना है। जिसे जिस दिन मैदान में जाकर अभ्यास करवाने की जरूरत होती है। खिलाड़ी अभ्यास करते हैं। कोच के साथ जाना इस लिए अनिवार्य है कि कोई जिम्मेवार कोच साथ हो तो सब चीजें अनुशासन से चलती हैं। हां, जिस तरह स्कूल कालेज में भी वहीं जा सकता है, जिसने दाखिला लिया हो तो उसी तरह स्टेडियम में भी वहीं अभ्यास कर सकता है। जिसने अपने आपको खेल परिषद के साथ पंजीकृत करवाया हो।
हॉकी के पूर्व वरिष्ठ खिलाड़ी पीडी सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर खेल परिषद इस सुविधा को बर्बाद कर रही है। इतना बड़ा मैदान है तो कुछ खेल नियमित यहां होने चाहिए। जैसे पहले क्रिकेट के कुछ विकेट थे। एथलेटिक्स के बच्चे यहां अभ्यास करते थे। दूसरी सभी इंडोर खेलों के बच्चे वार्मअप के लिए यहां आते थे। मैदान का प्रयोग अगर खिलाड़ी नहीं करेंगे तो कौन करेगा। जब गेट पर सुरक्षा कर्मी तैनात रहते हैं तो जांच के बाद किसी भी खिलाड़ी को अभ्यास करने की अनुमति होनी चाहिए। मैं तो कहता हूं कि अब यहां जो फ्लड लाइटस लगी हैं। उसका भी लाभ लिया जाना चाहिए। अब तो रात तक भी खेल संभव है। जो बच्चे दिन में स्कूल कालेज और दूसरे कार्यों के चलते दिन में अभ्यास नहीं कर पाते उन्हें रात को अभ्यास करने की अनुमति होनी चाहिए। खेलों का विकास पाबंदियों से नहीं अधिक से अधिक अभ्यास से ही संभव है।
हाॅकी के वरिष्ठ खिलाड़ी वरिंद्र सिंह का कहना है कि पहले ही जम्मू में मैदानों की कमी है। उस पर से एक मात्र मौलाना आजाद स्टेडियम में भी आउटडोर खेल सीमित कर दिए गए हैं कि यहां क्रिकेट होगा। क्रिकेट होने से रहा। दूसरे खेलों के खिलाड़ियों के लिए भी अभ्यास के लिए कोई जगह नहीं है। दौड़ और व्यायाम तो हर खेल के खिलाड़ी के लिए जरूरी है। लेकिन यहां खिलाड़ियों को मैदान के अंदर दौड़ तक लगाने के लिए नहीं जाने देते। दौड़ लगाने से स्टेडियम का क्या खराब हो जाएगा। अगर खेल परिषद में खेलाें से जुड़ा कोई सचिव हो या कोई आइएएस या जेकेएएस अधिकारी हो तो ही खेलों को सही दिशा मिल सकती है। जिन्हें खेलों की जानकारी नहीं होगी तो इस तरह की पाबंदियां ही लगाएंगे।
खिलाड़ियों पर पाबंदियां लगाने से नहीं उन्हें प्रोत्साहित करने से ही खेलों का उत्थान संभव है। जम्मू-कश्मीर एथलेटिक्स एसोसिएशन के महासचिव शरत चंद्र सिंह ने कहा कि एथलेटिक्स शुरू से ही मौलाना आजाद स्टेडियम में होती रही है। यह शहर के मध्य में है और दूर-दूर से आने वाले खिलाड़ियों के लिए भी सबसे उचित स्थान है। खेल परिषद को चाहिए कि जैसे पहले एमए स्टेडियम में खिलाड़ियों को अभ्यास करने दिया जाता था। उन्हें फिर से उसी तरह यहां खेलने दिया जाए। हो सके तो उनके लिए संथेटिक ट्रैक भी बनना चाहिए।अभिभावक संदीप शर्मा का कहना है कि उनका बेटा साल भर से खेलने आ रहा है लेकिन उसे इंडोर हाल में ही प्रैक्टिस करवाई जाती है। जब तक बच्चा दौडे़गा नहीं। एक्सरसाइज नहीं करेगा तो मजबूत कैसे होगा। जब मजबूत नहीं होगा। दमखम नहीं होगा तो वह राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी कैसे बनेगा। खिलाड़ी को थोड़ा खुला माहौल तो मिलना ही चाहिए।कपिल देव सिंह ने कहा कि वह अपने बच्चों को लेकर एक दो बार स्टेडियम आए हैं लेकिन उन्हें मैदान के अंदर ही नहीं जाने दिया गया। जब तक बच्चा मैदान नहीं देखेगा तो उसका खेलने का शौक कैसे बनेगा। हिमाचल और दूसरे प्रदेशों में तो किसी भी मैदान में जाने की कोई पाबंदी नहीं है।