Jammu Kashmir: कविन्द्र गुप्ता ने कहा- दरबार मूव रोक मोदी सरकार ने किया अहम फैसला
दो राजधानियों वाले प्रदेश जम्मू कश्मीर में दरबार मूव की प्रकिया को बंद करने के उपराज्यपाल प्रशासन के फैसले से प्रदेश भारतीय जनता पार्टी की उपलब्धियों की सूची में एक और उपलब्धि शामिल हो गई है।भाजपा दरबार मूव की प्रक्रिया बंद करने की भी पैरवी करती आई है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। दो राजधानियों वाले प्रदेश जम्मू कश्मीर में दरबार मूव की प्रकिया को बंद करने के उपराज्यपाल प्रशासन के फैसले से प्रदेश भारतीय जनता पार्टी की उपलब्धियों की सूची में एक और उपलब्धि शामिल हो गई है।
शुरू से जम्मू कश्मीर में एक विधान, एक निशान, एक प्रधान की मांग बुलंद करती आई भाजपा दरबार मूव की प्रक्रिया बंद करने की भी पैरवी करती आई है। ऐसे में अब भाजपा की उपलब्धियों में अनुच्छेद 370, 35 ए खत्म होना, दो केंद्र शासित प्रदेश बनाने के साथ दरबार मूव बंद होना भी है।
इस बार भले ही प्रशासन ने कोरोना का हवाला देकर दरबार मूव न करने का ऐलान किया था। यह प्रथा महाराजा के जमाने में 1872 से चलती आ रही थी। दरबार मूव कश्मीर केंद्रित सरकारों को सूट करता था, ऐसे में वित्तीय तंगहाली के बाद भी इसे जारी रखा गया। अब दोनों राजधानियों में 12 महीने कामकाज की स्थायी व्यवस्था बन जाने से यह तय हो गया था कि आनलाइन कामकाज की व्यवस्था बनाने से दरबार मूव अप्रासंगिक हो गया है। अब उपराज्यपाल ने आवाम की आवाज कार्यक्रम में स्पष्ट कर दिया कि दरबार मूव अब बीते दिनों की बात हो गया है।
इससे सालाना 200 करोड़ रूपये बचेंगे। असल में यह खर्च इसे कहीं ज्यादा है। दरबार मूव पर विभाग अपने तौर पर भी खर्च करते थे। इसके साथ सुरक्षा संबंधी खर्च से भी दरबार मूव पर करोड़ों रूपये इस्तेमाल होते थे।ऐसे में भाजपा इसे बड़ी उपलब्धि करार देकर लोगों के बीच जाना शुरू हो गई है। सोमवार को पूर्व उपमुख्यमंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता कविन्द्र गुप्ता ने कहा कि जम्मू कश्मीर में सरकार खजाने पर बोझ बन रही दरबार प्रक्रिया की प्रथा खत्म होना मोदी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि है।
जम्मू के शास्त्रीनगर में लोगों में आधार कार्ड, आयुषमान कार्ड बांटने के कैंप का निरीक्षण करने के बाद भाजपा नेता ने कहा कि अब प्रदेश में बेहतर व्यवस्था बन रही है। जम्मू कश्मीर में ई गर्वनेंस के जरिए सुशासन कायम किया जा रहा है। ऐसे में सचिवालय की सारी फाईलें डिजीटिलाइज हो चुकी हैं। अब ई आफिस व्यवस्था में दोनों सचिवालय बिना किसी दिक्कत के साथ साथ कम कर सकते हैं। अब लोगों को काम करवाने के लिए जम्मू से श्रीनगर व श्रीनगर से जम्मू आने की कोई जरूरत नही है।