जम्मू कश्मीर की नई औद्योगिक क्रांति का केंद्र बना कठुआ, ये बड़ी कंपनियां लगाएंगी उद्योग, 60 हजार को मिलेगा रोजगार
New Industrial Policy In Jammu Kashmir जिला पहले से टेक्सटाइल उद्योग का केंद्र रहा है और बिड़ला समूह की दो इकाइयां पहले से ही चल रही हैं। पहले से विकसित क्षेत्र में बिड़ला ग्रुप की चिनाब टेक्सटाइल मिल को छोड़ दिया जाए तो अन्य सभी लघु इकाइयां ही हैं।
कठुआ, राकेश शर्मा : जम्मू कश्मीर का प्रवेश द्वार कठुआ जिला अब प्रदेश नई औद्योगिक क्रांति के केंद्र के तौर पर आकार ले रहा है। नई उद्योग नीति आने के बाद जिला देश के प्रमुख उद्यमी यहां निवेश की तैयारी में है। जिंदल और पेप्सी जैसे समूह यहां 500 करोड़ से अधिक निवेश कर चुके हैं और जल्द यहां से उत्पादन भी शुरू कर देंगे। वहीं बिड़ला समूह, ग्रीन लैम, जूपिटर समेत कई इकाइयों को जमीन आवंटित की जा चुकी है। हल्दीराम से दामिनी जैसे लगभग 300 समूहों के प्रस्ताव पाइपलाइन में हैं और जल्द प्रक्रिया पूरी होते ही जमीन आवंटित हो जाएगी। उसके बाद काम शीघ्र शुरू हो जाएगा। बिड़ला समूह की पहले से ही दो टेक्सटाइल मिल चल रही हैं।
इस तरह अकेले कठुआ जिले में करीब 18 हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव हो हरी झंडी मिल चुकी है। इन उद्योगों से करीब 60 हजार लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है। यह सिलसिला और आगे तक जाएगा और इसके लिए प्रशासन इसके लिए लैंड बैंक बनाने में जुटा है। घाटी और लंगेट में औद्योगिक केंद्र विकसित किए जा रहे हैं। साथ ही नए निवेशकों को निजी क्षेत्र में उद्योग लगाने के प्रस्तावों को भी मंजूरी दी जा रही है और इसके लिए नई औद्योगिक नीति के तहत लैंड यूज (सीएलयू) नीति को पहले ही सुगम बनाया जा चुका है। इसका सबसे अधिक लाभ कठुआ और सांबा जैसे मैदानी जिलों को ही हो रहा है।
जम्मू कश्मीर सरकार भी इन उद्योगों को खुले दिल से स्वागत कर रही है और नई नीति में उद्योग लगाने वाली इकाइयों के लिए ताेहफों की बौछार कर रखी है। सरकार की औद्योगिकरण की नई नीति देश के कई राज्यों के बड़े उद्योगपतियों को भा रही है। जिला उद्योग विभाग और अन्य अधिकारियों को यहां उद्योगों के लिए जमीन की तलाश करनी पड़ रही हैं। पहले से विकसित औद्योगिक क्षेत्र में जगह नहीं होने के कारण नए क्षेत्रों में जमीन तलाशी जा रही है। घाटी क्षेत्र के अलावा जिले के किड़ियां गंडयाल क्षेत्र के पास तीन हजार कनाल (लगभग 375 एकड़) भूमि उद्योगों के लिए चिन्हित कर ली गई है और वहां आधारभूत सुविधाओं के विकास की प्रक्रिया जारी है।
कठुआ इसीलिए बन रहा आकर्षण का केंद्र : कठुआ जिला पंजाब व हिमाचल सीमा से सटा है और ऐसे में यहां आ रहे उद्योगों को आसानी से राज्य और राज्य से बाहर बाजार उपलब्ध हो जाएगा। इसके अलावा कच्चे माल की उपलब्धता भी आसानी से हो सकती है। सड़क और रेल परिवहन का बेहतर ढांचा यहां उपलब्ध है और जम्मू कश्मीर प्रशासन के पास काफी बड़ा लैंड बैंक यहां उपलब्ध है और इसी कारण बड़े उद्योगों को आसानी से जमीन उपलब्घ करवाई जा चुकी है। नई इकाइयों में से ज्यादातर ने 200 करोड़ से अधिक निवेश का आश्वासन दिया है।
यह हैं कठुआ के नए औद्योगिक क्षेत्र : जिला पहले से टेक्सटाइल उद्योग का केंद्र बनकर रहा है और बिड़ला समूह की दो इकाइयां पहले से ही चल रही हैं। पहले से विकसित क्षेत्र में बिड़ला ग्रुप की चिनाब टेक्सटाइल मिल को छोड़ दिया जाए तो अन्य सभी लघु इकाइयां ही हैं। अब बड़े उद्योगों के लिए अतिरिक्त जमीन और अतिरिक्त आधारभूत ढांचा चाहिए और प्रदेश सरकार ने जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन के बाद इस पर तेजी से काम आगे बढ़ाया है।
जिला उद्योग केंद्र : कठुआ में गोविंदसर और मुरोली में विकसित जिला उद्योग केंद्र द्वारा विकसित क्षेत्र में फिलहाल 327 इकाइयां चल रही हैं।
घाटी औद्योगिक क्षेत्र : कठुआ जिले के घाटी और आसपास के क्षेत्र में 3500 कनाल में (लगभग 440 एकड़) में सिडको (राज्य औद्योगिक विकास निगम) ने नया औद्योगिक केंद्र विकसित किया है। इसमें से दो तिहाई जमीन उद्योगों को आवंटित हो चुकी है और शेष भूमि के आवंटन की प्रक्रिया जारी है। इसमें ग्रीन श्रेणी अर्थात कम प्रदूषण वाले उद्योग ही स्थापित होंगे। पेप्सी समूह ने इसी क्षेत्र में प्लांट लगाया है। घाटी में 25 और उद्योग समूहों ने जमीन आंवटन के बाद निर्माण कार्य शुरू कर दिया है।
लंगेट औद्योगिक क्षेत्र : यह क्षेत्र निजी तौर पर विकसित हुआ है और पहले से कुछ छोटे उद्योग चल रहे हैं पर अब जिंदल समूह के निवेश के बाद कई बड़ी इकाइयां इस क्षेत्र में आने को तत्पर हैं।
बुद्धि क्षेत्र : उद्योग विभाग को बुद्धि में 733 कनाल (लगभग 92 एकड़) भूमि स्थानांतरित की जा चुकी है। इससे यहां उद्योग ढांचा विकसति किया जाएगा। इसके अलाव बिलावर में 45 कनाल (लगभग छह एकड़) भूमि स्थानांतरित हो चुकी है। इसके अलावा बिलावर और बसोहली में भी उद्योग विभाग भूमि ढूंढ रहा है ताकि जितने भी निवेश के प्रस्ताव आ रहे हैं,कोई भूमि के बिना जहां से वापस न जाए।
यह समूह लाएंगे औद्योगिक क्रांति
- जिंदल समूह और पेप्सी के अन्य कई उद्योग समूहों को जमीन आवंटि हो चुकी है।
- बिड़ला समूह की चिनाब स्पिनिंग मिल्स को अपनी विस्तार योजना के तहत 500 कनाल (लगभग 63 एकड़) जमीन घाटी क्षेत्र में आवंटित की गई है। समूह लगभग 822 करोड़ का निवेश करेगा।
- जूपिटर एज्यूमिनियम समूह लंगेट में 250 कनाल (लगभग 31 एकड़) भूमि पर 772 करोड़ का निवेश करेगा।
- ग्रीनलैम प्लाइवुड भागथली में 240 कनाल (लगभग 30 एकड़) में प्लांट लगाएगा और सात सौ करोड़ से अधिक निवेश करेगा।
- भागथली में 400 करेाड़ रुपये के निवेश के साथ बायो फ्यूल प्लांट लगेगा। इसके लिए 240 कनाल (लगभग 30 एकड़) जमीन आवंटित की गई है।
- ब्लूटैकस इंडस्ट्री को भागथली में 210 कनाल (लगभग 26 एकड़) जमीन आवंटित की गई है।
- इनके अलावा हल्दी राम, दामिनी ग्रुप कंधारी बेवरेज के निवेश प्रस्तावों को मंजूरी मिल चुकी है और जमीन हस्तांतरित कर दी जाएगी।
दस साल तक प्लांट और मशीनरी की लागत पर 300 प्रतिशत जीएसटी की माफी
जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक प्रेम सिंह ने बताया कि जम्मू कश्मीर सरकार की उद्योग नीति काफी आकर्षक है और यही वजह है कि देशभर से उद्यमी यहां निवेश के लिए आगे आ रहे हैं। नई उद्योग नीति के अनुसार उद्योगों को निवेश पर काफी आकर्षक छूट दी गई है। साथ ही प्रशासन ने सीएलयू को आसान किया है। उपायुक्त के पास निवेश के लिए 12.50 एकड़ भूमि अलाट करने का अधिकार है। उद्योग लगाने वालों को सरकार पूंजीगत निवेश में भी आकर्षक सब्सिडी दे रही हैै। ए श्रेणी में यह 30 फीसद और बी श्रेणी में 20 प्रतिशत है। दस साल तक प्लांट और मशीनरी की लागत पर 300 प्रतिशत जीएसटी की माफी दी गई है। टर्म लोन पर छह प्रतिशत और वर्किंग केपिटल पर पांच फीसद सब्सिडी का प्रावधन है। कुल 45 लाख रुपये के जेनरेटर की खरीद पर 100 प्रतिशत सब्सिडी दी गई है। इसके अलावा इकाई में वर्षा जल संचयन के लिए भी सब्सिडी का प्रावधान रखा गया है। सबसे अहम उद्योग के लिए जहां निवेश करने वाले को भूमि खरीदने के लिए स्टंप ड्यूटी माफ कर दी गई है। यूनिट की टर्नओवर पर भी दो प्रतिशत सब्सिडी का प्रावधान रखा गया है। उद्योग लगाने से लेकर भूमि के लिए आवेदन सहित तमाम औपचारिकताएं पूरी करने के लिए आनलाइन और सिंगल विंडो सिस्टम किया है।
- अब तक निवेश प्रस्तावों के आधार पर तेजी से काम चल रहा है और जल्द क्षेत्र में 25 हजार परिवारों को रोजगार मिलेगा। साथ ही कुल 17 हजार करोड़ से अधिक के प्रस्तावों को मंजूरी मिल चुकी है। अगर यह तमाम इकाइयां शुरू हो जाती हैं तो 60 हजार से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। - प्रेम सिंह, महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र कठुआ