Kashmir: आतंकी हमलों का डर भी कश्मीरी बच्चों की ललक के आगे हार गया
अभिभावक बच्चों को सुरक्षा के कारण स्कूल नहीं भेज रहे थे। बड़ी बात यह रही कि विद्यार्थियों ने दो महीने तक घरों में पढ़ाई कीं।
जम्मू, सतनाम सिंह। वाकई कश्मीर के बच्चों में भविष्य संवारने का जुनून दिखा। एक तरफ आतंकी 10वीं और 12वीं की वार्षिक परीक्षाएं शुरू होने पर ताबड़तोड़ हमलों को अंजाम दे रहे थे तो दूसरी ओर बच्चे बेखौफ होकर परीक्षा केंद्रों में रुख कर रहे थे। कश्मीर में 16 दिनों में आतंकी 13 लोगों की निर्मम हत्याएं कर चुके हैं। इन आतंकी हमलों व बंद से पैदा डर का माहौल भी कश्मीरी बच्चों की ललक के आगे हार गया है। ये कश्मीरी युवा बेहतर शिक्षा हासिल कर अपना और कश्मीर का भविष्य संवारना चाहते हैं। यही वजह है कि तमाम मुश्किलें पार करते हुए वे परीक्षा केंद्र पहुंच अलगाववाद समर्थकों और आतंकियों को तमाचा मार रहे हैं।
10वीं और 12वीं कक्षा में 99 फीसद से अधिक विद्यार्थी परीक्षा देने पहुंचे। इससे उन तत्वों को झटका लगा है जो युवाओं को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद कश्मीर में काफी समय तक स्कूल बंद रहे। उसके बाद सरकार ने बच्चों के भविष्य को देख स्कूल खोले। बच्चों की हाजिरी कम रही। वार्षिक परीक्षाएं करवाने को लेकर प्रशासन के आगे चुनौती बन गई थी। अभिभावक बच्चों को सुरक्षा के कारण स्कूल नहीं भेज रहे थे। बड़ी बात यह रही कि विद्यार्थियों ने दो महीने तक घरों में पढ़ाई कीं।
बच्चों की हाजिरी 99 फीसद रही : 10वीं कक्षा की परीक्षा में पहले ही दिन हाजिरी 99 फीसद रही। कश्मीर में परीक्षाएं देकर बड़ी संख्या में विद्यार्थी प्रतिस्पर्धा की तैयारी के लिए जम्मू समेत अन्य राज्यों की तरफ रुख करेंगे।
12वीं की परीक्षा में 99.4 फीसद हाजिरी : कश्मीर संभाग की बारहवीं कक्षा की परीक्षा बुधवार से शुरू हुई। परीक्षा में 99.4 फीसद हाजिरी रही। करीब 48 हजार विद्यार्थियों ने परीक्षा दी। 433 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। पहले दिन 12वीं कक्षा का पहला पेपर जनरल इंग्लिश का हुआ। केंद्रों के बाहर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं।