कारगिल विजय दिवस: सेना भर्ती में हिस्सा लेते कश्मीरी युवाओं में जज्बा भरते हैं शहीदों के किस्से
Kargil Vijay Diwas कारगिल युद्ध में कश्मीर निवासी छह सैनिकों की शहादत आज भी स्थानीय युवाओं में देशभक्ति की लौ जलाए हुए है।
जम्मू, विवेक सिंह। कारगिल युद्ध में कश्मीर निवासी छह सैनिकों की शहादत आज भी स्थानीय युवाओं में देशभक्ति की लौ जलाए हुए है। उनसे प्रेरणा ले कश्मीर के हजारों युवा पाकिस्तान पोषित अलगाववादियों और आतंकियों की धमकियों को दरकिनार कर फौज की वर्दी पाने के लिए जी जान लगा देते हैं। इस समय कश्मीर से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने की लड़ाई लड़ी जा रही है। इस लड़ाई में सेना, सुरक्षाबलों के साथ वे युवा भी सहयोग दे रहें हैं, जो फौजी बनने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते हैं। यही वजह है कि अलगाववादी व आतंकवादी कश्मीर में अमन, शांति चाहने वाले इन युवाओं को भी अपना दुश्मन मानते हैं।
बारामूला के युवा शुरू से ही पाकिस्तान के मंसूबों को नाकाम बनाने में आगे रहे हैं। वर्ष 1947 में पाक सेना ने कबायलियों के साथ मिलकर कश्मीर पर कब्जा करने की साजिश रची तो क्षेत्र के बीस साल के युवा मकबूल शेरवानी ने देश के लिए लड़ते हुए शहादत दी थी। कारगिल में भी कश्मीर के सैकड़ों जांबाजों ने न केवल पाकिस्तानियों को खदेड़ने के लिए जान की बाजी लगा दी, बल्कि दुश्मनों से लोहा लेते हुए हंसते-हंसते सीने पर गोलियां खाईं।
बारामुला के शौकत हुसैन, लांस नायक गुलाम मुहम्मद खान, राइफलमैन रवींद्र सिंह, नायक दोस्त मुहम्मद खान, राइफलमैन मुस्ताक अहमद के साथ श्रीनगर के राइफलमैन असलम धर की कुर्बानी को देश आज भी याद करता है। यह सभी सेना की 12 जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री (जैकलाइ) के लड़ाके थे। आज उनकी बहादुरी के किस्से कश्मीरी युवाओं में देश प्रेम की अलख जगा रहे हैं।
वर्ष 2019 में भी आतंकियों की धमकियों को दरकिनार कर कश्मीर में दस हजार के करीब युवा भर्ती रैलियों में फौजी बनने के लिए जोर लगा चुके हैं। पिछले सप्ताह पट्टन के हैदरबाग में संपन्न हुई भर्ती रैली में 5,366 युवाओं ने भाग्य आजमाया। वहीं फरवरी माह में भी बारामूला में रैली में सैनिकों के 111 पदों के लिए 2500 युवाओं की भीड़ उमड़ी थी। इसके साथ ही सेना, टेरीटोरियल आर्मी के लिए हुई भर्ती रैलियों में भी युवाओं का खासा उत्साह देखने को मिला। हजारों कश्मीरी युवाओं ने सेना में भर्ती होने के लिए लंबी कतारें लगाईं।
कश्मीर में नहीं शूरवीरों की कमी: कैप्टन बाना सिंह
परमवीर चक्रविजेता कैप्टन बाना सिंह का कहना है कि कश्मीर में भी देश के लिए मर मिटने का जज्बा रखने वाले शूरवीरों की कमी नहीं है। कारगिल के युद्ध में भी उनकी बहादुरी आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत है। आज कश्मीरी युवा ही देश के साथ खड़े होकर दुश्मन के इरादों को नाकाम बना रहे हैं।
मौत बनकर दुश्मन पर टूटे थे गुलाम मुहम्मद..
वीर चक्रविजेता बारामूला के लांस नायक गुलाम मुहम्मद खान 7 जून 1999 को रॉकेट लांचर के साथ कारगिल में प्वाइंट 5203 पर कब्जे की जंग में दुश्मनों पर कहर बनकर टूट पड़े थे। उनकी पलटन ने चोटी पर पहुंचने के लिए नौ घंटे चढ़ाई की और दुश्मन की झलक मिलते ही उन पर कहर बनकर टूट पड़े। लांस नायक गुलाम मुहम्मद खान पर दुश्मन ने गोले बरसाने शुरू कर दिए। घायल होने के बाद भी वह लड़ते रहे और अंत में वीरगति को प्राप्त हुए।
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