Kashmiri Separatist Yasin Malik ने कोर्ट से कहा- मैं खुद करूंगा अपनी पैरवी
Kashmiri Separatist Yasin Mailk मोहम्मद यासीन मलिक जिन्हें दोनों मामलों में आरोपी बनाया गया है ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान कोर्ट के समक्ष यह मांग रखी कि वह स्वयं गवाहों से जिरह करना चाहते हैं। वह इसमें किसी भी वकील से कोई मदद नहीं लेना चाहते।
श्रीनगर, जेएनएन : भारतीय वायु सेना के चार कर्मियों की हत्या और तत्कालीन भारतीय गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी डाॅ रूबैया सईद के अपहरण मामले के मुख्य आरोपी यासीन मलिक ने कोर्ट से अपने मुकदमे की खुद पैरवी करने की इजाजत मांगी है। तिहाड़ जेल में बंद प्रतिबंधित जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के अध्यक्ष मोहम्मद यासीन मलिक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश हुए। उन्होंने जज से कहा कि वह किसी वकील की सहायता लिए बिना स्वयं गवाहों से जिरह करना चाहेंगे।
आपको जानकारी हो कि कश्मीर के रावलपोरा में 25 जनवरी 1990 की सुबह साढ़े सात बजे एयरफोर्स अधिकारी जब गाड़ी के इंतजार में सनत नगर क्रॉसिंग पर खड़े थे। अचानक आतंकवादियों ने उन पर अंधाधुंध गोलीबारी कर दी। इसमें महिला समेत 40 एयरफोर्स अधिकारी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इस आतंकी हमले में एयरफोर्स के तीन अधिकारी मौके पर ही शहीद हो गए। दो अन्य ने बाद में इलाज के दौरान अस्पताल में दम तोड़ दिया था।
जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा गया। उन्होंने साबित किया कि आरोपित शौकत अहमद बख्शी अप्रैल-मई 1989 और सितंबर-अक्टूबर 1989 में पाकिस्तान गया। वहां उसने आतंकी सरगना अमानुल्लाह खान के साथ बैठक की, जिसमें यह तय हुआ कि कश्मीर में अस्थिरता व दहशत फैलाने के लिए वहां तैनात एयरफोर्स अधिकारियों व अन्य सुरक्षाबलों पर हमले किए जाएं। वापस आने पर शौकत ने यासीन, जावेद अहमद मीर, मुश्ताक अहमद, नाना जी, मुहम्मद रफीक डार, मंजूर अहमद, जावेद अहमद व अन्य के साथ बैठक कर सुरक्षाबलों पर हमला करने की साजिश रची थी।
कोर्ट ने सीबीआई की इस जांच के आधार पर करीब 30 साल बाद यासीन समेत अली मुहम्मद मीर, मंजूर अहमद सोफी उर्फ मुश्तफा, जावेद अहमद मीर उर्फ नालका, नाना जी उर्फ सलीम, जावेद अहमद जरगर व शौकत अहमद बख्शी पर आरोप तय किए। अब जम्मू की विशेष अदालत में इस मामले को लेकर गवाहों की जिरह शुरू हो गई है। वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए शुरू हुई मामले की सुनवाई में एक दर्जन से अधिक आरोपियों में से केवल एक आरोपी और एक गवाह माैजूद था। वकीलों ने घाटी के मौजूदा हालात का हवाला देते हुए कहा कि कश्मीर में लागू किए गए प्रतिबंधों की वजह से उनके मुवक्किल पेश नहीं हो पाए हैं। इस पर अदालत ने जिरह की प्रक्रिया को स्थगित कर दिया।
मोहम्मद यासीन मलिक, जिन्हें दोनों मामलों में आरोपी बनाया गया है, ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान कोर्ट के समक्ष यह मांग रखी कि वह स्वयं गवाहों से जिरह करना चाहते हैं। वह इसमें किसी भी वकील से कोई मदद नहीं लेना चाहते। फिलहाल अदालत ने इस पर अपना कोई फैसला नहीं सुनाया है। सूत्रों का कहना है कि अगली सुनवाई में अदालत इस पर अपनी बात रखेगी।