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विस्थापितों पंडितों को मतदान से दूर कर रही पंजीकरण की जटिलता

राज्य ब्यूरो, जम्मू : अधिक से अधिक मतदान करवाने की चुनाव आयोग की मुहिम के बीच मतदान पंजीकरण की जटिलत

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 07:33 PM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 07:33 PM (IST)
विस्थापितों पंडितों को मतदान से दूर कर रही पंजीकरण की जटिलता
विस्थापितों पंडितों को मतदान से दूर कर रही पंजीकरण की जटिलता

राज्य ब्यूरो, जम्मू : अधिक से अधिक मतदान करवाने की चुनाव आयोग की मुहिम के बीच मतदान पंजीकरण की जटिलता कश्मीरी पंडितों को अपने संसदीय क्षेत्रों में मतदान करने से दूर कर रही है।

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काफी समय से पंडित यह मांग कर रहे हैं कि एम फार्म भरने की औपचारिकता को समाप्त किया जाए। यह मुद्दा चुनाव आयोग के समक्ष भी उठाया गया है। वीरवार को एम फार्म की जटिलता के कारण कई कश्मीरी पंडित परिवारों को मायूस होकर लौटना पड़ा। जम्मू में बनाए गए मतदान केंद्रों में कुल 4720 मतदाताओं में से 2100 ने ही वोट डाले। कश्मीरी पंडित मतदाताओं के अनुसार इस तरह का मतदान उनके लिए एक मजाक है। उन्होंने वोट न डालने के लिए हतोत्साहित किया जा रहा है।

सामान्य नागरिकों के घर पर वोटिग स्लिप पहुंचती है और वह मतदान के दिन चंद मिनट निकाल कर वोट डाल देते हैं। पंडितों को संसदीय क्षेत्र के मतदान की अधिसूचना जारी होने के बाद एम फार्म भरने के लिए कुछ दिन मिलते हैं। इसके बाद रिलीफ कार्यालय व चुनाव आयोग की ओर से एम फार्म में दी गई जानकारी की पुष्टि करने के बाद मतदाता सूची में नाम शामिल होता है। अगर एम फार्म में भरी जानकारी पुरानी मतदाता सूचियों से मेल न खाए तो नाम को मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जाता है। यह एक जटिल प्रक्रिया है।

कश्मीरी पंडितों की जगटी टाउनशिप कमेटी के प्रधान एसएल पंडिता ने बताया कि एमफार्म में पुराने मतदान केंद्र का नंबर, अपना वोटर नंबर लिखना होता है। पलायन को तीस साल हो रहे हैं, ऐसे में कश्मीर में हमारे मतदान केंद्रों के नंबर बदल गए हैं। हमारे वोटर कार्ड पर वोट नंबर भी नही है और कश्मीर में पुरानी मतदाता सूचियों में नामों में गलतियां भी हैं। ऐसे में जब कोई मतदाता यह जानकारी न दे पाए तो उसका वोट नहीं बनता है। कश्मीरी पंडितों की जगटी टाउनशिप कमेटी के प्रधान ने बताया कि एम फार्म पर हम सही नाम लिखते हैं, अगर मतदाता सूची में नाम गलत लिखा हो तो यह मेल नही खाता है। यही कारण है कि हम पिछले कई सालों से एमफार्म भरने की प्रक्रिया को समाप्त करने का मुद्दा उठा रहे हैं।

अनंतनाग सीट के लिए मतदान के दौरान भी आएगी समस्या

ऐसे हालात में यह तय है कि अब अनंतनाग संसदीय क्षेत्र के मतदान के दौरान भी एमफार्म से पैदा होने वाली समस्याएं उजागर होंगी। अनंतनाग संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं की संख्या 33957 है। चुनाव आयोग ने जम्मू, ऊधमपुर व दिल्ली में उनके लिए 21 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। इस संसदीय सीट के लिए तीन चरणों में मतदान की प्रक्रिया 23 अप्रैल से शुरू होकर 6 मई तक चलेगी।

एमफार्म की गलतियों को जिम्मेदार ठहराया

वीरवार को श्रीनगर-बड़गाम संसदीय क्षेत्र के लिए पंडितों के मतदान में ऐसी ही बाधाएं आई थी। सहायक रिटर्निग अधिकारी, माइग्रेंट पंकज आनंद ने कई पंडितों के बिना वोटिंग के लौटने के लिए एमफार्म की गलतियों को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना है कि कुछ ने मतदान केंद्र का नाम, नंबर नही लिखा था तो कुछ के नाम मेल नहीं खाते थे। ऐसे हालात में मतदाता सूचियां बनाने में परेशानियों को सामना करना पड़ा था।

एम फार्म को खत्म करने का उठाया था मुद्दा

एसएल पंडिता का कहना कि हमने आयोग से एमफार्म खत्म करने का मुद्दा उठाया था। इसे नहीं माना गया। कुछ दल नहीं चाहते हैं कि कश्मीर पंडित लौटें। ऐसे में वह ऐसे हालात पैदा कर रहे हैं जिसमें न तो पंडित लौट सकें और न ही अपने इलाकों में वोट की ताकत दिखा सकें।


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