रोजगार के लिए कश्मीरी पंडित समाज हो रहा एकजुट
कश्मीरी पंडित युवाओं में बढ़ रही बेरोजगारी से कश्मीरी पंडित खफा हैं। इसको लेकर कश्मीरी पंडितों के संगठन प्रशासन से रोजगार का मुद्दा उठाने लगे हैं।
जागरण संवाददाता, जम्मू : कश्मीरी पंडित युवाओं में बढ़ रही बेरोजगारी से कश्मीरी पंडित खफा हैं। इसको लेकर कश्मीरी पंडितों के संगठन प्रशासन से रोजगार का मुद्दा उठाने लगे हैं। जम्मू कश्मीर में नए उप-राज्यपाल के कार्यभार संभालने के बाद कश्मीरी पंडितों ने उनके समक्ष अपनी मांगों को उठाना शुरू कर दिया है। इन पंडितों का कहना है कि रोजगार को लेकर पिछले समय में किए गए वायदों को सरकार पूरा नहीं कर पाई है। कुछ साल पहले कश्मीरी पंडितों के लिए आए प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत कश्मीर में 6 हजार नौकरियों को देने की योजना थी, मगर कश्मीरी पंडितों का कहना है कि आधे से अधिक पद भरे ही नहीं गए। इसलिए पुराने पैकेज को पूरी तरह से लागू कराया जाए, नही तो बैकलॉक की गणना कर कश्मीरी पंडित युवाओं के लिए रोजगार का नया पैकेज जारी किया जाए। रोजगार पाने के लिए कश्मीरी पंडित समाज अब एकजुट होने लगा है। जम्मू कश्मीर में चार लाख कश्मीरी पंडित रह रहे हैं और इसमें से 18 से 35 साल के कश्मीरी पंडित युवाओं की आबादी ही डेढ़ लाख होगी। लेकिन इन युवाओं में निराशा बढ़ रही है। प्रधानमंत्री पैकेज के तहत महज 2500 पद ही भरे गए, बाकी के पद आज भी खाली रखे गए हैं। इसकी भरपाई तुरंत होनी चाहिए। साथ ही निजी सेक्टर की नौकरियों में भी कोटा दिया जाना चाहिए।
- विरेंद्र रैना, प्रधान पनुन कश्मीर प्रधानमंत्री पैकेज को निकाले करीब दस साल हो गए हैं। अभी तक इसे पूरा ही नहीं किया गया। अभी फिर से कुछ और पद निकाले गए हैं। जल्दी से भर्ती प्रक्रिया पूरी की जाए। जिन पदों को भरा गया और कश्मीर में तैनात किया गया, उनके लिए बुनियादी सुविधाएं भी यकीनी बनाया जाना चाहिए। कश्मीर में आज भी अधिकांश कश्मीरी पंडित कर्मचारी मुश्किल हालात में काम कर रहे हैं। पर्याप्त क्वार्टर नहीं हैं।
-किग सी भारती
घाटी से पलायन के बाद जम्मू में भी काफी कश्मीरी पंडित रह रहे हैं। कई कश्मीरी पंडित बेरोजगारी में ही जिदगी निकाल दी। इन लोगों को अपने पैरों पर खड़े करने के लिए सरकारी मदद की जरूरत है। केंद्र सरकार को चाहिए कि उद्योग लगाने के लिए बिना ब्याज के ऋण दिया जाए। सरकार को यह काम बहुत पहले ही करना चाहिए था, लेकिन देर से ही सही मगर अब किया जाना चाहिए।
-अजय सफाया, आल इंडिया कश्मीरी यूथ समाज जम्मू कश्मीर में कश्मीरी पंडित सबसे ज्यादा प्रभावित रहा है। 1990 में अपने घरों से बेघर होने के बाद यह कश्मीरी पंडित आज 30 साल बाद भी बस नहीं पाया है। सबसे बड़ा मसला रोजगार का है। जो कश्मीरी पंडित उच्च शिक्षा हासिल नहीं कर पाए, उसको भी तो नौकरियों की जरूरत है। इसलिए सरकार छोटे स्तर की नौकरियों पर भर्ती के लिए विशेष अभियान शुरू करें।
- संजय गंजू