जम्मू कश्मीर: कश्मीरी पंडितों के लिए घाटी में हो केंद्र शासित क्षेत्र
कश्मीरी पंडितों ने कश्मीर घाटी में ही अपने लिए अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग उठाई है।
जम्मू, जागरण संवाददाता। कश्मीरी पंडितों ने कश्मीर घाटी में ही अपने लिए अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग उठाई है। कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए संघर्ष कर रही संस्था पनुन कश्मीर ने झेलम नदी के उत्तर व पूर्व क्षेत्र को घाटी से विभाजित कर अलग प्रदेश बनाने की वकालत की। इसी केंद्र शासित प्रदेश में विस्थापित कश्मीरी पंडितों को बसाया जाए।
पनुन कश्मीर के संयोजक डॉ. अग्निशेखर व चेयरमैन डॉ. अजय चरंगु ने कहा कि घाटी में कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए यही तरीका बेहतर हो सकता है। इस दिशा में सरकार को तुरंत काम करना होगा। वर्ष 1990 में आतंकवाद के कारण घाटी से बेघर हुए कश्मीरी पंडित आज भी जम्मू व देश के अन्य हिस्सों में शरणार्थी बनकर रह रहे हैं।
आवश्यक है कि इनकी घाटी वापसी के लिए सरकार उचित माहौल बनाए।उनका कहना है कि केंद्र शासित क्षेत्र में ही कश्मीरी पंडित स्वयं को सुरक्षित महसूस करेंगे। पनुन कश्मीर ने लद्दाख को भी केंद्र शासित प्रदेश बनाने के साथ-साथ जम्मू को अलग राज्य बनाने की वकालत की। डॉ. अजय चरंगु ने कहा कि कश्मीर में ही अलग केंद्र शासित बनाने से उन तत्वों को शिकस्त मिलेगी जो पाकिस्तान के एजेंडे पर चलते हुए जम्मू कश्मीर में विध्वंसकारी गतिविधियां चलाने में जुटे हैं और कश्मीर का माहौल खराब कर रहे हैं।
जेहादी मानसिकता के लोग कश्मीर में युवाओं व महिलाओं की मानसिकता बदलने में जुटे हुए हैं। पिछले सालों में कश्मीर में अलगाववाद और गहरा हुआ है और इस्लामिक राज्य बनने के कगार पर है। ऐसे में ऐसी ताकतों को जवाब देने का समय आ गया है।उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति में बदलाव का कोई भी प्रयास वहां के सियासी दलों को कतई सहन नहीं होता। साथ ही आरोप लगाया कि आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षाबलों की गतिविधियों को रोकने के लिए होने वाले प्रयास सही मायने में फिदायीन हमले हैं। घाटी में घृणा फैलाने वाले तत्व अधिक सक्रिय हैं।
पंडितों की घाटी वापसी के बिना कश्मीरियत अधूरी
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान जीए मीर ने कहा कि कश्मीरी पंडितों की घाटी वापसी और पुनर्वास के बिना कश्मीर और कश्मीरियत अधूरी है। कश्मीर में एक सुरक्षित वातावरण कायम होना चाहिए जिसमें कश्मीरी विस्थापित पंडित अपने घरों की सम्मानजनक वापसी करें। पार्टी की माईग्रेंट सैल की बैठक को संबोधित करते हुए मीर ने कहा कि कश्मीरी विस्थापित पंडितों के लिए कश्मीर में ऐसा सुरक्षित वातावरण मिलना चाहिए जिसमें वे महसूस करें कि उनके जानमाल की रक्षा हो रही है और धार्मिक अधिकार भी सुरक्षित है।
कश्मीरी पंडितों का कश्मीर से पलायन धर्मनिरपेक्ष परम्परा पर धब्बा है। कश्मीरी विस्थापित पंडितों की वापसी सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए चुनौती ही नहीं बल्कि देश में धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर विश्वास करने वालों के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं है। कश्मीरी पंडित भाइयों का आपसी भाईचारा राज्य की मिली जुली संस्कृति के लिए अहम है। तब तक कश्मीरी संस्कृति अधूरी है जब तक कश्मीरी पंडितों की घाटी वापसी नहीं हो जाती है।