एक ही बच्चे की प्रवृत्ति त्यागें कश्मीर पंडित, बढ़ाएं आबादी
राज्य ब्यूरो, जम्मू : विस्थापित कश्मीर पंडितों ने अपनी घटती जनसंख्या पर ¨चता जताते हुए अब एक ही
राज्य ब्यूरो, जम्मू : विस्थापित कश्मीर पंडितों ने अपनी घटती जनसंख्या पर ¨चता जताते हुए अब एक ही बच्चा भला की प्रवृत्ति को त्यागने के लिए समुदाय से अपील की है। समुदाय के नेताओं ने कश्मीरी पंडितों से कहा कि अगर यूं ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब उनका समुदाय भी इतिहास के पन्नों में सिमट जाएगा। इसलिए जरूरी है कि इस मानसिकता को बदलें और अपनी आबादी बढ़ाने के दिशा में प्रयास करें।
ऑल इंडिया कश्मीरी समाज (एआइकेएस) की ओर से आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में कश्मीरी पंडितों की घटती आबादी पर विशेष चर्चा हुई। सम्मेलन में कश्मीरी पंडित समुदाय के सभी वरिष्ठ नेता और विचारक शामिल हुए। ग्लोबल कश्मीरी पंडित डायसपोरा (जीकेपीडी) के अध्यक्ष केएल चौधरी ने कहा कि हमारे समुदाय में एक ही बच्चे को पैदा करने तक सीमित रहने की प्रवृत्ति बहुत बढ़ चुकी है। इसका नकारात्मक असर आज समुदाय में साफ नजर आ रहा है। उन्होंने पारसी समुदाय का जिक्र करते हुए कहा कि यह समुदाय आज उंगलियों पर गिनने लायक हो गया है। इसलिए पारसी समुदाय ने भी अब अपनी आबादी बढ़ाने के लिए प्रयास शुरू किए हैं। उन्होंने जिया पारसी अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत पारसी समुदाय अपने समुदाय के उन परिवारों की आíथक मदद भी करता है, जिनके दो या उससे ज्यादा बच्चे हैं। इसके अलावा जिन जोड़ों को बांझपन के लक्षण हैं, उन्हें उपचार के लिए भी मदद दी जाती है।
राजीव पंडिता नामक एक अन्य कश्मीर पंडित ने कहा कि हमारे समाज के नौजवान जोड़ों में भी एक ही बच्चा पैदा करने तक सीमित रहने की मानसिकता बहुत ज्यादा है। इससे हमारी आबादी लगातार घट रही है और अगर यही हाल रहा तो हमारा समुदाय जल्द ही मिटने के कगार पर पहुंच जाएगा।
इस अवसर पर मौजूद भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष अजय भारती ने समुदाय के आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक विकास पर जोर देते हुए कहा कि कश्मीरी पंडित समुदाय के लड़के-लड़कियों को राजनीति से लेकर प्रशासनिक व अकादमिक गतिविधियों में पूरे उत्साह से भाग लेना चाहिए। इससे ही कश्मीरी पंडित एक मजबूत आवाज बनकर देश व राज्य में उभर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में संपन्न हुए निकाय व पंचायत चुनावों में कश्मीर घाटी में 106 कश्मीरी पंडित चुने गए हैं।
सम्मेलन में कश्मीरी पंडित समुदाय की सभ्यता, संस्कृति, कला, इतिहास, धर्मस्थलों, संतों और कश्मीरी पंडित समुदाय की नामी शख्सियतों व कश्मीरी पंडित साहित्य का एक डाटा बैंक भी तैयार करने का फैसला लिया गया।