कश्मीरी पंडितों को संसद-विधानसभा में मिले प्रधिनिधित्व
-जगटी टेनेमेंट कमेटी ने रखी मांग, पंडितों के घाटी में स्थायी पुनर्वास का उठाया मुद्दा -कहा
-जगटी टेनेमेंट कमेटी ने रखी मांग,
पंडितों के घाटी में स्थायी पुनर्वास का उठाया मुद्दा
-कहा, केंद्र व राज्य सरकार ने पंडितों से किए वादे पूरे नहीं किए जागरण संवाददाता, जम्मू : अपने ही देश में विस्थापितों का जीवन जीने को मजबूर कश्मीरी पंडितों को केंद्र व राज्य सरकार भले ही हक देने की बात करती हो लेकिन जमीनी हकीकत अलग है। राज्य में कश्मीरी पंडितों के स्थायी पुनर्वास का मामला लटकता आ रहा है। जब तक राज्य विधानसभा, संसद में कश्मीरी पंडितों को प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा, ऐसे ही चलता रहेगा।
यह बात जगटी टेनेमेंट कमेटी और सोन कश्मीर फ्रंट जम्मू-कश्मीर के प्रधान शादी लाल पंडिता ने कही। पंडिता ने कहा कि कश्मीरी पंडित 28 वर्षो से विस्थापन का दर्द झेल रहे हैं। सरकार के समक्ष बात रखने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही। हालांकि कोरे आश्वासन कई बार दिए गए। उन्होंने विस्थापित कश्मीरी पंडितों को श्रीनगर, बारामुला और कुपवाड़ा के नजदीक एक ही जगह बसाने की बात कही। यही नहीं, उन्होंने पंडितों के लिए तीन सीटें परिषद और विधानसभा में जबकि एक सीट संसद में आरक्षित करने की मांग उठाई।
पंडिता ने घाटी में पंडितों की संपत्ति के नुकसान का मुआवजा देने, धार्मिक स्थलों पर हुए अवैध कब्जों को हटाने, विस्थापन के कारण अपनी पढ़ाई छोड़ने वाले युवाओं के लिए चतुर्थ श्रेणी में एक हजार पद निर्धारित करने, आरबीए सर्टिफिकेट जारी करने, प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत रिक्त पदों को भरने की मांग भी उठाई।