Kashmir: अलगाववादी नेता हाशिम कुरैशी ने सियासी मतभेद के चलते बेटी से नाता तोड़ा
हाशिम कुरैशी ने अपनी बेटी लैला कुरैशी की अकादमिक योग्यता पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि लैला कुरैशी ने साइकाेलाॅजी में एमए की डिग्री हासिल की है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। जम्मू-कश्मीर में आतंकी हिंसा की नींव रखने वालों में शुमार वरिष्ठ अलगाववादी नेता हाशिम कुरैशी ने अपनी बेटी लैला की राजनीतिक विचारधारा से असहमति जताते हुए उससे नाता तोड़ने का एलान कर दिया है। हाशिम कुरैशी डेमोक्रेटिक लिबरेशन पार्टी के चेयरमैन हैं। लैला कुरैशी ने अपने साथियों संग मिलकर करीब पांच दिन पूर्व ही जम्मू-कश्मीर सोशियो-पाेलिटीकल एक्टिविस्ट मूवमेंट नामक एक संगठन बनाया है।
कश्मीर की अलगाववादी सियासत में यह पहला मौका है जब किसी वरिष्ठ अलगाववादी नेता ने राजनीतिक विचारधारा में मतभेदों के चलते अपने किसी परिजन से नाता तोड़ा हो। हाशिम कुरैशी ने मीडिया के नाम जारी अपने बयान में कहा है कि लैला कुरैशी से हमने कुछ माह पहले ही अपने सभी प्रकार के संबंध तोड़ लिए थे, जब उसने फेथ नामक एक एनजीओ के साथ अपना नाता जोड़ा था। इस एनजीअो की फंडिंग व अन्य कई गतिविधियां संदेहास्पद हैं। इसके बाद उसने बीते दिनों जेेकेएसपीएएम नामक एक संगठन भी बनाया है। इस संगठन की राजनीतिक विचारधारा भी कश्मीर के हितों के खिलाफ है। इसकी स्थापना और इससे जुड़े लोगों की पृष्ठभूमि भी कई प्रकार के सवाल पैदा करती है। लैला कुरैशी काे हमने कई बार समझाया, लेकिन वह अपना रास्ता बदलने को तैयार नहीं है।इसलिए हमने उससे अपने सभी संबंध तोड़ने का फैसला किया है।
हाशिम कुरैशी ने अपनी बेटी लैला कुरैशी की अकादमिक योग्यता पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने कहाकि लैला कुरैशी ने साइकाेलाॅजी में एमए की डिग्री हासिल की है। लेकिन एक साइकोलाेजिस्ट या डाॅक्टर के तौर पर काम करने के लिए उसके पास काेई लाइसेंस, डिप्लोमा व अन्य काेई कानूनी दस्तावेज भी नहीं है। लैला कुरैशी की सियासी व सामाजिक गतिविधियों से हमारा काेई सरोकार नहीं है।लैला कुरैशी से जब इस संदर्भ में संपर्क करने का प्रयास किया गया तो वह उपलब्ध नहीं हो पायी।
कौन हैं हाशिम कुरैशी: हाशिम कुरैशी जम्मू-कश्मीर के सबसे पुराने अलगाववादी नेताआें में शामिल हैं। वह नेशनल लिब्रेशन फ्रंट के प्रमुख सदस्यों में एक रहे हैं। यही संगठन बाद में जम्मू-कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट मे बदला। हाशिम कुरैशी फरवरी 1984 में तिहाड़ में फांसी पर चढ़े अलगाववादी नेता मकबूल बट के करीबी रहे हैं। 30 जनवरी 1971 काे हाशिम कुरैशी ने अपने चचेरे भाई अशरफ कुरैशी क साथ मिलकर इंडियन एयरलाइन्स के विमान गंगा को हाइजैक कर लाहाैर, पाकिस्तान पहुंचाया था। विमान में सवार सभी लोगों को रिहा करने के बाद विमान को आग लगा दी गई थी। इस मामले में हाशिम कुरैशी कुछ वर्ष पाकिस्तान की कथित कैद में भी रहे। इसके बाद वह नीदर लैंड चले गए। वहां से उन्हाेंने अपनी राजनीतिक गतिविधिंया शुरु की। करीब दो दशक पहले वह कश्मीर लाैटे । उसके बाद उन्हाेंने डेमाेक्रेटिक लिब्रेशन पार्टी नामक एक नया संगठन तैयार कर अपनी अलगाववादी सियासत को आगे बढ़ाया। वह जम्मू-कश्मीर, गुलाम कश्मीर और गिलगित बाल्टिस्तान व लद्दाख को मिलाकर एक आजाद जम्मू-कश्मीर की स्थापना की वकालत करते हैं। उनके मुताबिक, पाकिस्तान सिर्फ अपने हितों के अनुरूप कश्मीर की आजादी और कश्मीर में आतंकी हिंसा का समर्थक है। उसे कश्मीर से काेई सरोकार नहीं है।