Kashmir: अधिकारों पर आमने-सामने आए मेयर और डिवकॉम, कोरोना पर जारी आदेश पर हुआ टकराव
कश्मीर में कारोना वायरस की रोकथाम के लिए स्टरलाईजेशन होगी। इसके लिए 100 बाडी किट्स मंगवाए हैं 500 टीमें शहर के विभिन्न हिस्सों में स्प्रे के लिए तैयार की हैं।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : कश्मीर को कोरोना वायरस से बचाने की प्रशासनिक कवायद के बीच श्रीनगर नगर निगम के मेयर जुनैद अजीम मट्टू और मंडलायुक्त कश्मीर बसीर अहमद खान आमने-सामने आ गए हैं। दरअसल, मेयर ने निगम के दायरे में आने वाले सभी शिक्षण संस्थानों को एहतियातन बंद करने का निर्देश जारी कर दिया परंतु इस पर मंडलायुक्त ने यह कहकर बात को बढ़ाने का काम किया कि मेयर सिर्फ सलाह दे सकते हैं, निर्देश नहीं। स्कूल बंद करने का फैसला सरकार का है।
यह मामला गत बुधवार को है, हालांकि बाद में प्रशासन ने सभी शैक्षणिक संस्थानों को 31 मार्च बंद रखने का आदेश जारी कर इसी मामले को शांत कर दिया। मेयर जुनैद मट्ट ने बताया कि निगम ने बुधवार को एक प्रस्ताव पारित कर श्रीनगर शहर के दायरे में आने वाले सभी शिक्षण सस्थानों, सार्वजनिक क्लबों, स्पोर्ट क्लबों, इंडोर व आउटोडार स्टेडियम व कोचिंग सेंटर को अगले आदेश तक बंद कर दिया था। इसी पर मंडलायुक्त ने मेयर को सलाह दी थी। उन्होंने कहा कि श्रीनगर के मेयर जुनैद अजीम मट्टु ने जो कहा है, वह उनका सुझाव हो सकता है। इस पर मट्ट ने कहा कि कुछ लोग कह रहे हैं कि निगम के पास इन संस्थानों में अवकाश घोषित करने का अधिकार नहीं हैं तो उन्हें शायद संविधान का ज्ञान नहीं है। हमने यह आदेश जम्मू कश्मीर म्यूनिसिपल एक्ट 2000 के तहत ही जारी किया है।
मट्टू ने मंडलायुक्त कश्मीर के बयान के बाद प्रेस वार्ता में कहा कि हमारी गुजारिश है कि कोई भी नॉन टेक्नीकल आदमी सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस को लेकर सुझाव न दे। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए बगैर कहा कि यहां कुछ अधिकारी कह रहे हैं कि शहर की फ्यूमीगेशन होगी, यह तो मलेरिया की रोकथाम के लिए होती है। कारोना वायरस के लिए तो स्टरलाईजेशन होनी चाहिए। इसके लिए हमने आवश्यक रसायन मंगवाए हैं। हमने 100 बाडी किट्स भी मंगवाए हैं, 500 टीमें शहर के विभिन्न हिस्सों में स्प्रे के लिए तैयार की हैं। प्रत्येक टीम में दो से पांच कर्मी होंगे।
उन्होंने कहा कि स्कूल, स्टेडयिम को सैनेटाईज और स्टरलाईज करने की जरूरत है और इसके लिए कम से पांच दिन चाहिए। हम संडे मार्केट को भी अलग अलग जगहों पर बांट रहे हैं ताकि लोगों की भीड़ न हो। काबा शरीफ को अगर दो दिनों तक आम लोगों से खाली कराया जा सकता है तो फिर अन्य जगहों पर मस्जिदों को क्यों नहीं, आखिर यह आम लोगों की जिंदगी का मसला है।