Coronavirus: कश्मीर में कोविड-19 से लड़ने के लिए तैयार हो चुका है रूहदार, जल्द इसे कराएंगे पेटेंट
इसमें इस्तेमाल अधिकांश उपकरण व सामान स्थानीय स्तर पर उपलब्ध है। जल्द ही हम इसका पेटेंट कराएंगे और स्टार्ट अपस को इसके निर्माण की तकनीक उपलब्ध कराएंगे।
श्रीनगर, नवीन नवाज। कोविड-19 के लगातार फैलते मकड़जाल से निपटने के लिए तैयार रूहदार को सिर्फ स्वास्थ्य विशेषज्ञों की हरी झंडी का इंतजार है। रूहदार कोविड-19 के उपचार में सबसे जरुरी उपकरण वेंटीलेटर का एक प्रोटोटाइप है, जिसे इस्लामिक यूनीवर्सिटी ऑफ साईंस एंड टेक्नोलाॅजी अवंतीपोर के इंजीनियरों और अविष्कारकों ने घाटी में उपलब्ध संसाधनों व उपकरणों से तैयार किया है। सामान्य तौर पर एक वेंटीलेटर की कीमत उसमें इस्तेमाल तकनीक व उपलब्ध सुविधाओं के आधार पर दो लाख से लेकर 10 लाख रूपये तक होती है। प्रोटोटाइप की लागत 15 हजार रुपये के करीब आयी है।
रूहदार की कल्पना और उसे वास्तविकता देने में आइयूएसीटी के डीआइसी सैल के संयोजक डाॅ शाहकार नेहवी, डाॅ माजिद हमीद कौल, पीरजादा शोएब, आसिपु शाह, जुल्करनैन, जावाद अहमद, एनअाइटी श्रीनगर के डाॅ साद परवेज और हावर्ड यूनिवर्सिटी के डाॅ शब्बीर हसन व कश्मीर के प्रमुख व्यावसायी अब्दुल रहीम ने अहम भूमिका निभायी है।
डाॅ नेहवी ने कहा कि रूहदार बुधवार को तैयार किया गया है। हमारी प्रयोगशाला में यह हर मानक पर खरा उतरा है। यह लगातार काम कर रहा है। इसे मरीजों के इलाज में तभी इस्तेमाल किया जा सकेगा जब स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसका परीक्षण करने के बाद इसका अनुमोदन करेंगे। जल्द ही हम शेरे कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान सौरा के चिकित्सा विशेषज्ञ इसकी जांच करने वाले हैं। अगर वह इसे हरी झंडी देंगे तो व्यावसायिक स्तर पर इसका इस्तेमाल और उत्पादन होगा।
आईयूएसटी के जनसंपर्क अधिकारी मुर्शीद खान ने कहा कि हमारे संस्थान के इंजीनियर और वैज्ञानिक बीते कई दिनों से इस प्रोजेक्ट पर डटे हुए थे। यह वेंटीलेटर बाजार में उपलब्ध वेंटीलेटरों की तुलना में अत्यंत सस्ता है। मुझे नहीं लगता है कि इसकी कीमत 15-20 हजार से ज्यादा होगी।
विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो मुश्ताक ए सिद्दकी ने इस सफलता के पूरी टीम को बधाई देते हुए कहा कि बहुत कम समय में हमारी टीम ने यह सफलता अर्जित की है। रूहदार के डिजाइन हमारा अपना है। इसमें इस्तेमाल अधिकांश उपकरण व सामान स्थानीय स्तर पर उपलब्ध है। जल्द ही हम इसका पेटेंट कराएंगे और स्टार्ट अपस को इसके निर्माण की तकनीक उपलब्ध कराएंगे ताकि इनका बड़े पैमाने पर निर्माण हो सके। इस प्रोटोटाइप काे अब हम चिकित्सा विशेषज्ञों को जांच के लिए सौंपेंगे, वह इसकी जांच करेंगे और तय करेंगे कि इसमें और सुधार चाहिए या नहीं। इसमें मौजूदा हालात में कैसे इस्तेमाल किया जाएगा, यह वही तय करेंगे।