उफनाती नदी में लहरों की सवारी से ज्यादा अहम है सुरक्षा, लिद्दर नदी में राफ्टिंग पर लगा प्रतिबंध Kashmir News
जम्मू कश्मीर में स्थानीय युवा ही नहीं बल्कि बाहरी राज्यों से भी कई पर्यटक यहां पहाड़ी नदियों में राफ्टिंग करने के लिए आते हैं।
जम्मू, रोहित जंडियाल। दरिया की उफनाती लहरों पर राफ्टिंग करना युवाओं के लिए आकर्षण का केंद्र होता है, लेकिन कई बार हादसे भी हो जाते हैं। सोनमर्ग और पहलगाम की लिद्दर नदी में लगातार कई हादसे होने से वहां इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इससे एडवेंचर के शौकीन जरूर निराश हुए होंगे, लेकिन उनको भी समझना चाहिए कि उफनाती नदी में लहरों की सवारी से ज्यादा जरूरी है लोगों की जान की सुरक्षा।
जम्मू कश्मीर में स्थानीय युवा ही नहीं, बल्कि बाहरी राज्यों से भी कई पर्यटक यहां पहाड़ी नदियों में राफ्टिंग करने के लिए आते हैं। मगर कुछ समय से नियमों का पालन न करने और अनुभवी गाइडों की कमी के कारण हादसे भी हो रहे हैं। एक महीने में ही चिनाब और लिद्दर दरिया में तीन हादसे हो चुके हैं। इनमें तीन लोगों की मौत हो गई, छह लोग घायल हुए और कई लोगों को वहां पर मौजूद प्रशिक्षित लोगों ने बचाया। ऐसा नहीं होता तो और लोगों की जान जा सकती थी। कई गैरजिम्मेदार गाइड पर्यटकों को खतरनाक प्वाइंट पर ले जाते हैं और यह हादसों का कारण बनते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि एक दिन पहले पहलगाम में जो हादसा हुआ, उसका भी प्रमुख कारण यही था। जो पर्यटक सिर्फ एंयाज करने के लिए जाते हैं, उनके साथ गाइड होते हैं और उन्हें ऐसी किसी भी जगह पर नहीं लिया जाता जहां पर बड़े हादसे का खतरा हो। जम्मू में सिर्फ रियासी जिले में चिनाब में ही कार्मिशयल राफ्टिंग होती है। डैम से डेरा बाबा बंदा बहादुर तक राङ्क्षफ्टग होती है। जम्मू कश्मीर में एक महीने पहले तक एडवेंचर टूरिज्म के लिए कोई नीति ही नहीं थी। कोई भी अपनी मर्जी से यहां पर राफ्टिंग कर सकता था। राफ्टिंग विशेषज्ञ संजय सिंह का कहना है कि राफ्टिंग करते समय फोटो खिंचवाने के चक्कर में हादसे होते हैं। पर्यटक को गाइड की बातों को मानना चाहिए।
समय लगता है राफ्टिंग के लिए
रियासी में कई सालों से राफ्टिंग करवा रहे इको एडवेंचर एजेंसी के प्रमुख गुरजीत सिंह का कहना है कि राफ्टिंग के लिए बेसिक कोर्स आठ से दस दिन का होता है। लेकिन यह करके भी आप राफ्टिंग नहीं कर सकते हैं। पानी में एक साल तक उतरने के बाद ही आपको राफ्टिंग का अनुभव होता है। यहां देखा गया है कि एक सप्ताह तक राफ्टिंग सीखने वाले भी खुद ही बिना पानी के बहाव का पता किए दरिया में चले जाते हैं। इससे हादसे होते हैं। दरिया में पानी की लहरें कुछ जगहों पर इतनी खतरनाक हैं कि वहां पर जाना ही हादसों को न्यौता देना है। पहलगाम के लिद्दर सबसे खतरनाक है। उन्होंने कहा कि राफ्टिंग के लिए जाते समय सबसे जरूरी है कि आप जिस एजेंसी के साथ जा रहे हैं, उसके बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। पंजीकृत एजेंसियों के साथ ही जाएं।
राफ्टिंग में राफ्ट की सहायता से तेज बहते पानी में खेलना होता है
गुब्बारे जैसी राफ्ट दरिया के पानी के साथ एक किनारे से दूसरे किनारे की ओ ले जाती है। इसी को हर पर्यटक एंजाय करता है। जम्मू कश्मीर में राफ्टिंग रियासी, सोनामर्ग, पहलगाम, लेह में होती है। प्रोफेशनल लोग डोडा के ठाठरी में भी करते हैं लेकिन अन्य किसी को वहां पर इजाजत नहीं है।
- जम्मू: राफ्टिंग के लिए आपके कंधों और वाजुओं में ताकत होनी चाहिए। राफ्टिंग करते हुए लाइफ सेविंग जैकेट पहनना बहुत जरूरी है। इसके अलावा टेनिस शूज और हैट हो तो अच्छा है। साथ में अनुभवी गाइड होना चाहिए। आपको यह जानकारी होनी चाहिए कि जिस दरिया में आप जा रहे हैं, वहां पर पानी का स्तर और उसका बहाव कैसा है।
- जम्मू: डायरेक्टर टूरिज्म जम्मू ओपी भगत का कहना है कि पहले यहां एडवेंचर टूरिज्म के लिए कोई भी नीति नहीं थी लेकिन अब इसे लागू किया गया है। किसी को भी बिना पंजीकरण के राफ्टिंग की इजाजत नहीं दी जाएगी। पर्यटकों की सुरक्षा सभी के लिए अहम है।
एक महीने में हुए हादसे
- 18 जून: पहलगाम में राफ्टिंग के दौरान हादसा। दो की मौत, छह घायल
- 2 जून: पहलगाम में राफ्टिंग के दौरान हादसा, स्थानीय गाइड की माैत
- 22 मई: रियासी में राफ्टिंग के दौरान हादसा, लोगों ने बचाए उत्तर प्रदेश के पर्यटक
यहां होती है वोटिंग
जम्मू: जम्मू कश्मीर के कई स्थानों पर बोटिंग भी होती है। जम्मू में मानसर झील, सुरूंईसर, अखनूर और कश्मीर में डल, झेलम, वुल्लर सहित कई जगहों पर बोटिंग होती हे। इन जगहों पर भी कई बार हादसे हो जाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार बोटिंग के दौरान भी लाइफ सेविंग जैकेट पहनना अनिवार्य है और सभी को पहननी चाहिए।
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