बुधवार को है करवाचौथ, कर सकते हैं उद्यापन
जागरण संवाददाता जम्मू सुहागिनों का सबसे बड़ा व्रत करवाचौथ बुधवार को है। कार्तिक माह के
जागरण संवाददाता, जम्मू : सुहागिनों का सबसे बड़ा व्रत करवाचौथ बुधवार को है। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को यह व्रत पति की लंबी आयु की कामना के लिए रखा जाता है। व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए करवाचौथ पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 10 मिनट से 7 बजकर 15 मिनट तक है। चंद्र दर्शन रात करीब 8 बजकर 12 मिनट पर होंगे। इस त्योहार के लिए महिलाओं में खासा उत्साह है। मुख्य रूप से सुहागनों के लिए यह व्रत होता है, लेकिन आज कर कुंवारी कन्याएं भी व्रत रखने लगी हैं। जिनकी सगाई हो गई है, वे भी व्रत करने लगी हैं।
करवा चौथ के दिन भगवान श्री गणेश, माता पार्वती, स्वामी कार्तिकेय और चंद्रदेव की पूजा-अर्चना की जाती है। करवाचौथ व्रत की कथा भी सुनी जाती है। सामान्यत: विवाह के बाद 12 या 16 साल तक लगातार इस उपवास को किया जाता है, लेकिन इच्छानुसार जीवनभर भी महिलाएं इस व्रत को रख सकती हैं। व्रत का उद्यापन करने का भी मुहूर्त है। -------------
करवाचौथ व्रत कैसे शुरू करें
करवा चौथ व्रत के दिन व्रती सुबह जल्दी उठ कर शुद्ध जल से स्नान करें। घर में पूजा स्थान या घर में कोई पवित्र स्थान में गंगाजल का अभिषेक कर के शुद्ध आसन पर बैठ कर आत्म पूजा कर, यह संकल्प करें। इस दिन सुबह उषाकाल पूजन कर सबसे पहले कुछ खाना तथा पीना चाहिए। जम्मू कश्मीर में उषाकाल से पहले सरगी में फैनी, कतलमे, नारियल, दूध, रबड़ी, मीठी कचौरी खाने का प्रचलन है। इस मिश्रण के सेवन से पूरे दिन बिना पानी पीये रहने में मदद मिलती है। --
करवाचौथ पूजन व्रत विधि
पंडित रोहित शास्त्री ने बताया कि 4 नवंबर शाम 6:10 बजे से 7:15 बजे के बीच दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा चित्रित करें। आठ पूरियों की अठावरी बनाएं। मीठा और साथ में अलग-अलग तरह के पकवान बनाये। गौरी को लकड़ी के आसन पर बिठाएं, बिदी आदि सुहाग सामग्री से गौरी मैया का श्रृंगार करें। जल से भरा हुआ लोटा रखें करवा में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें। रोली से करवा पर स्वास्तिक बनाएं। श्री गणेश, भगवान शिव, माता पार्वती, स्वामी कार्तिकेय और चंद्रदेव और चित्रित करवा की विधि अनुसार पूजा करें।