Kanachak Murder Case: पांच साल से ज्यादा विलंब हो तो मिल सकती है जमानत की रियायत
याची ने ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा को खारिज करते हुए जमानत दिए जाने की मांग करते हुए कहा था कि केस के निपटारे व फैसले के खिलाफ अपील को लंबी अवधि तक लंबित रखा गया है लिहाजा उसे जमानत पर रिहा किया जाए।
जम्मू, जेएनएफ: हत्या के एक केस के निपटारे में विलंब के नाम पर दायर की गई जमानत अर्जी को खारिज करते हुए हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने कहा है कि अगर केस के निपटारे में पांच साल से अधिक का विलंब हो तो आरोपित इस आधार पर जमानत की रियायत मांग सकता है लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं है।
याची ने ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा को खारिज करते हुए जमानत दिए जाने की मांग करते हुए कहा था कि केस के निपटारे व फैसले के खिलाफ अपील को लंबी अवधि तक लंबित रखा गया है, लिहाजा उसे जमानत पर रिहा किया जाए। हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने पाया कि ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में 23 जुलाई 2020 को अपना फैसला सुनाया और छह अगस्त 2020 को इस फैसले के खिलाफ अपील दायर की गई। लिहाजा यह नहीं कहा जा सकता कि कोर्ट में मामला लंबे अर्से से लंबित है।
केस के मुताबिक सेशन कोर्ट जम्मू ने हत्या के एक मामले में आठ आरोपितों, रमेश सिंह, तिलक राज, सूरम सिंह, बलवान सिंह, रघुबीर सिंह, मंगल सिंह, मनोहर लाल व तिलक राज को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। पुलिस केस के अनुसार आरोपितों ने एक पुरानी रंजिश के चलते बोधराज की हत्या कर दी थी।
जमीनी विवाद के चलते आरोपित बंदूक व तेजधार हथियार लेकर आरोपित के घर घुसे और उस पर जानलेवा हमला कर दिया। इस हमले में बोधराज गंभीर रूप से घायल हुआ और चीखने-चिल्लाने की आवाज सुनकर जब लोग एकत्रित हुए तो आरोपित मौके से फरार हो गए। अस्पताल पहुंचाते हुए बोधराज ने दम तोड़ दिया।