शक्ति रूपेण संस्थिता
प्राचीन काली माता मंदिर बाडेयां, ऊधमपुर - 21यूडीएम10- ऊधमपुर के बाडेयां में स्थित काली
प्राचीन काली माता मंदिर बाडेयां, ऊधमपुर
- 21यूडीएम10- ऊधमपुर के बाडेयां में स्थित काली माता मंदिर में ¨पडी रूप में विराजमान मां।
15यूडीएम11- मंदिर के पुजारी पंडित साधु राम।
15यूडीएम12-संजय शर्मा, भक्त।
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राजा-महाराजाओं के समय से अपनी अलग पहचान बनाए हुए ऊधमपुर के बाडेयां इलाके में वट वृक्ष के पास स्थित मां काली का मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। लोगों की मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मुराद को मां काली पूरा करती हैं।
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इतिहास
मंदिर के पुजारी साधु राम के मुताबिक मंदिर सैकड़ों साल पुराना है। इसकी कहानी कुछ ऐसी है कि महाराजा प्रताप ¨सह ने अपने महल का निर्माण कार्य शुरू करवाया, मगर आधा ही निर्माण होने पर अचानक महल गिरना शुरू हो गया। मजदूर दिन में महल का निर्माण करते तो सुबह सारी दीवारें गिरी मिलतीं। इस बात से राजा परेशान थे। इसी बीच, महल का निर्माण करवा रहे ठेकेदार को सपने में मां काली ने दर्शन देकर बाडेयां स्थित वट वृक्ष के नीचे अपने ¨पडी स्वरूप में विराजमान होने की जानकारी दी। माता ने वहां पर मंदिर निर्माण के बाद ही महल का निर्माण पूरा होने की बात कही। इसके बाद राजा ने बताई गई जगह से ¨पडी को बाहर निकाल कर मंदिर में प्रतिष्ठापित करवाया। उसके बाद महल बनकर तैयार हो गया।
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विशेषता
मंदिर शहर में धार रोड से 400 मीटर की दूरी पर स्थित है। धार रोड पर किसी भी यात्री वाहन से बाडेयां को जाने वाले मार्ग तक सरलता से पहुंचा जा सकता है, जहां से पैदल कुछ मिनटों में मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। इस मंदिर के प्रति लोगों की अपार श्रद्धा है। नवरात्र के अलावा अन्य दिनों में भी लोग पूजा-अर्चना के लिए यहां पहुंचते रहते हैं और मन्नतें मांगते हैं।
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शहर में स्थित प्राचीन मंदिरों में से यह एक है। स्थानीय लोगों का अटूट विश्वास है कि मां काली अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। इस मंदिर में ऊधमपुर ही नहीं, बल्कि अन्य राज्य के श्रद्धालु भी दर्शन और मन की मुरादें लेकर आते हैं।
- साधु राम, मंदिर के पुजारी
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बाडेयां स्थित काली माता का मंदिर बेहद प्राचीन है। यहां पर मांगी जाने वाली हर मन्नत मां पूरी करती हैं। शहर के बीच स्थित इस मंदिर को आने वाले मार्ग को प्रशासन को ठीक करने पर ध्यान देना चाहिए। मंदिर में रोज दर्शनों के लिए लोगों की भीड़ रहती है और नवरात्र में तो सुबह-शाम लोग माथा टेकने पहुंचते हैं।
- संजय शर्मा, भक्त