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जम्मू कश्मीर में डिजिटल होंगी पंचायतें, जल्द मिलेंगे कंप्यूटर

ग्रामीण विकास व पंचायती राज विभाग गांवों में डिजिटल व्यवस्था बनाने की दिशा में कार्रवाई कर रहा है। इसके लिए पंचों सरंपचों को कुछ समय पहले ट्रेनिग भी करवाई गई थी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 07:44 AM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 07:44 AM (IST)
जम्मू कश्मीर में डिजिटल होंगी पंचायतें, जल्द मिलेंगे कंप्यूटर
जम्मू कश्मीर में डिजिटल होंगी पंचायतें, जल्द मिलेंगे कंप्यूटर

राज्य ब्यूरो, जम्मू : जम्मू कश्मीर के ग्रामीण इलाकों में पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए सभी पंचायतों व ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिलों में जल्द कंप्यूटर व इंटरनेट सुविधा होगी। ग्रामीण इलाकों में डिजिटल बुनियादी ढांचा जुटाकर पारदर्शिता व विकास को तेजी देने की सरकार की इस मुहिम पर 35.80 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस राशि से पंचायतों के लिए कंप्यूटर के साथ प्रिटर व स्कैनर खरीदे जाएंगे। डिजिटल व्यवस्था बन जाने से गांवों के विकास को लेकर जल्द कार्रवाई करना संभव होगा।

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ग्रामीण विकास व पंचायती राज विभाग गांवों में डिजिटल व्यवस्था बनाने की दिशा में कार्रवाई कर रहा है। इसके लिए पंचों, सरंपचों को कुछ समय पहले ट्रेनिग भी करवाई गई थी। ट्रेनिग के दौरान उन्हें बताया गया था कि कंप्यूटर पर किस तरह से काम कर सकते हैं। इस दौरान पंचायत प्रतिनिधियों का पंचायत का रिकार्ड संभालने के लिए की जाने वाली कार्रवाई के साथ कंप्यूटर से डिजिटल भुगतान करने के बारे में भी बताया गया। जम्मू कश्मीर में पंच, सरपंच डिजिटल हस्ताक्षर से मनरेगा व चौदहवें वित्त आयोग भुगतान कर रहे हैं।

ग्रामीण विकास व पंचायती राज विभाग की सचिव शीतल नंदा का कहना है कि डिजिटल व्यवस्था से पंचातयों का कामकाज पारदर्शी हो जाएगा। इससे कामकाज में तेजी आए। यह सारी प्रक्रिया ग्रामीणों को जल्द विकास का लाभ दिलवाने व सरकार व पंचातय प्रतिनिधियों में बेहतर समन्यवय बनाने के लिए किया जा रहा है। डिजिटल व्यवस्था बन जाने से पंचायत प्रतिनिधियों का कामकाज भी आसान हो जाएगा।

जम्मू कश्मीर सरकार इस समय ग्रामीण लोकतंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में तेजी से कार्रवाई कर रही है। ऐसे में हाल ही में शासन को ग्रामीणों के दरबाजे तक ले जाने की मुहिम बैक टू विलेज के तहत सरकार ने पंचायतों के लिए 4.29 करोड़ मंजूर किए थे। इस राशि से हर पंचायत को बैक टू विलेज मुहिम को कामयाब बनाने के लिए दस-दस हजार रुपये दिए गए थे।


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