काम न किया तो 48 साल की उम्र सेवानिवृत्त किए जाएंगे सरकारी कर्मचारी
जम्मू कश्मीर सरकार ने विभागों पर बोझ बन रहे सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों को बाहर करने का रास्ता साफ हो गया है। अब 22 साल की सेवा के बाद कर्मचारियों को सेवानिवृत्त किया जा सकेगा।
राज्य ब्यूरो, जम्मू : जम्मू कश्मीर सरकार ने विभागों पर बोझ बन रहे सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों को वक्त से पहले बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी कर ली है। सरकार ने वीरवार को जम्मू कश्मीर सेवा नियमों में संशोधन कर प्रशासन को काम न करने वाले सरकारी कर्मचारी को 22 साल की सेवा या 48 साल की आयु में सेवानिवृत्त करने का अधिकार दे दिया है।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जम्मू कश्मीर सिविल सर्विस नियमों में संशोधन किया है। अब धारा 226 (2) के तहत लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए 48 साल की आयु में कर्मचारी को सेवानिवृत्त किया जा सकता है। अलबत्ता, शेडयूल दो के तहत तैनात अधिकारियों पर नया नियम लागू नहीं होगा।
सरकार ने 22 साल की सेवा पूरा कर चुके कर्मचारियों, अधिकारियों के कामकाज का आंकलन करने की भी व्यवस्था बनाई है। प्रशासनिक विभाग आंतरिक कमेटी बनाकर ऐसे कर्मियों को ब्योरा तैयार करेगा, जिन्हें बाहर निकालना है। इसके साथ सामान्य प्रशासनिक विभाग को ऐसे सभी कर्मचारियों, अधिकारियों का रिकॉर्ड जुटाने के लिए कहा गया है, जिनकी आयु 48 वर्ष के करीब है। ऐसे में कर्मचारियों की 22 साल की सेवा होते ही उनके कामकाज पर अब सरकार की पैनी नजर होगी।
समीक्षा करने के लिए दो कमेटियां बनाई :
सरकार ने कर्मचारियों को 22 साल की सेवा के बाद सेवानिवृत्त करने के फैसले की समीक्षा करने के लिए भी दो कमेटियां बनाई हैं। समीक्षा करने पर कोई रोक नहीं होगी। किसी कर्मचारी की सेवाएं बरकरार रखने के फैसले की प्रशासनिक विभाग फिर से समीक्षा करने की सिफारिश करता है तो बदले हालात में इसकी फिर से समीक्षा हो सकती है। समीक्षा करने वाली कमेटी के सुझावों को कार्रवाई करने के लिए सामान्य प्रशासनिक विभाग सरकार को भेजेगा। समीक्षा समिति की अध्यक्षता मुख्य सचिव या उपराज्यपाल द्वारा मनोनीत प्रमुख सचिव स्तर का अधिकारी करेगा। इस समिति के सदस्यों में उपराज्यपाल के प्रमुख सचिव, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव, गृह विभाग के प्रशासनिक सचिव, सामान्य प्रशासनिक विभाग के प्रशासनिक सचिव, कानून विभाग के प्रशासनिक सचिव व उपराज्यपाल द्वारा मनोनीत एक वरिष्ठ प्रशासनिक सचिव होगा। वहीं, गैर राजपत्रित अधिकारियों की सेवाएं 22 साल साल बाद समाप्त करने के लिए बनी कमेटी की अध्यक्षता विभाग के प्रशासनिक सचिव करेंगे। कमेटी के सदस्यों में गृह, सामान्य प्रशासनिक विभाग, कानून विभाग के प्रशासनिक सचिवों के साथ मुख्यसचिव द्वारा मनोनीत एक वरिष्ठ प्रशासनिक सचिव भी होगा। इसके साथ संबंधित विभाग का एक विशेष सचिव भी इसका सदस्य होगा। इसके साथ एक रिप्रेजेंटेशन कमेटी भी होगी जिसमें मुख्यसचिव के साथ दो वरिष्ठ सचिव भी होंगे। सभी प्रशासनिक विभागों में आंतरिक कमेटियों का गठन किया जाएगा जिनकी अध्यक्षता प्रशासनिक सचिव करेंगे। इनमें प्रशासनिक सचिव द्वारा मनोनीत किए जाने वाले दो अधिकारी शामिल होंगे। आतंरिक कमेटियां कर्मचारियों के रिकॉर्ड का आंकलन कर उसके कामकाज संबंधी सारा ब्योरा तैयार कर आगे की कार्रवाई के लिए उसे समीक्षा समिति को सौंपेंगी। इसमें अधिकारी, कर्मचारियों की निष्ठा पर संदेह, उसके कामकाज में अयोग्य होने आदि का जिक्र हो सकता है। काम के योग्य न होने की स्थिति में उनको बाहर निकालने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। एक साल बाद सेवानिवृत्त हो रहे अधिकारियों, कर्मचारियों की सेवाओं को भी नए नियम के तहत तुंरत खत्म किया जा सकता है। सेवानिवृत्त होने के करीब पहुंचने पर उसका कामकाज के प्रति लगन न रखना जनहित में नही होगा। ऐसे में उसे तुरंत निकाला जा सकता है। अगर कर्मचारी संदिग्ध है या फिर पदोन्नति के बाद उसने काम करना बंद कर दिया तो भी कार्रवाई होगी। समीक्षा के दौरान कर्मचारी के सारे रिकार्ड का आंकलन होगा। समीक्षा समिति के सुझाव उपराज्पाल को भेजने होंगे। अगर सेवानिवृत्त किया गया कर्मचारी अपना पक्ष रखना चाहता हो तो तीन सप्ताह के अंदर वह रिप्रेजेंटेशन कमेटी के समक्ष पेश हो सकता है। रिप्रेजेंटेशन कमेटी को आठ हफ्ते में मामले का निपटारा करना होगा।
ऐसा है नया नियम :
नए नियमों के तहत अब सरकारी कर्मचारी को 22 साल की सेवा होने पर तीन महीने का नोटिस देकर सेवानिवृत किया जा सकता है। कर्मचारी को नोटिस के तीन महीने के लिए वेतन व भत्ते दिए जाएंगे। तीन महीने पूरा होते ही उन्हें पेंशन मिलना शुरू हो जाएगी।