Move to Jagran APP

J&K Bank Scam: 177 करोड़ के घोटाले में जेके बैंक के पूर्व क्लस्टर हेड व पूर्व मैनेजर को मिली जमानत

जम्मू कश्मीर बैंक में हुए 177 करोड़ रुपये के घोटाले में सीबीआई कोर्ट ने बैंक के तत्कालीन सांबा क्लस्टर हेड अरुण कुमार और जम्मू विश्व विद्यालय शाखा के तत्कालीन मैनेजर इकबाल सिंह की जमानत अर्जी मंजूर कर ली है। दोनों आरोपितों को दो-दो लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत

By Vikas AbrolEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 08:42 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 08:42 PM (IST)
J&K Bank Scam: 177 करोड़ के घोटाले में जेके बैंक के पूर्व क्लस्टर हेड व पूर्व मैनेजर को मिली जमानत
कोर्ट ने दोनों आरोपितों को दो-दो लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी है

जम्मू, जेएनएफ । जम्मू-कश्मीर बैंक में हुए 177 करोड़ रुपये के घोटाले में सीबीआई कोर्ट ने बैंक के तत्कालीन सांबा क्लस्टर हेड अरुण कुमार और जम्मू विश्व विद्यालय शाखा के तत्कालीन मैनेजर इकबाल सिंह की जमानत अर्जी मंजूर कर ली है। कोर्ट ने दोनों आरोपितों को दो-दो लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी है और दोनों को बिना कोर्ट की अनुमति के क्षेत्र न छोड़ने की हिदायत दी है।

loksabha election banner

इस बहुचर्चित मामले में मुख्य आरोपित हिलाल राथर को तीस दिसंबर 2020 को जमानत पर रिहाई मिली थी। हिलाल राथर जम्मू-कश्मीर के पूर्व वित्त मंत्री व नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता अब्दुल रहीम राथर का पुत्र हैं और उस पर बैंक से कर्ज लेकर न लौटाने का आरोप है। इस मामले की जांच जम्मू-कश्मीर के एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) को सौंपी गई थी, जिसने 16 जनवरी 2020 को हिलाल राथर व अन्य आरोपितों को गिरफ्तार किया गया था। नियमों का दरकिनार कर बैंक से कर्ज लेकर हिलाल राथर ने विदेशों में निवेश कर रखा था। इस केस की जांच के कई पहलू विदेश से जुड़े हैं। लिहाजा सीबीआइ ने पांच मार्च 2020 को केस दर्ज करते हुए जांच अपने नियंत्रण में ले ली थी।

केस के मुताबिक, जम्मू के नरवाल बाला में पैराडाइज एवेन्यू टाउनशिप बनाने के लिए हिलाल ने वर्ष 2012 में जम्मू कश्मीर बैंक की जम्मू विश्व विद्यालय शाखा से 177 करोड़ रुपये का ऋण लिया था। यह ऋण बैंक नियमों का उल्लंघन करके जारी हुआ था। उस समय इकबाल सिंह शाखा मैनेजर थे और अरुण कुमार इस पूरे क्लस्टर के प्रभारी। बैंक के नियमानुसार, एक पार्टनरशिप फर्म को 40 करोड़ रुपये से अधिक ऋण मंजूर नहीं हो सकता था, लेकिन बैंक ने 74.27 करोड़ रुपये का ऋण मंजूर किया। इस ऋण की किस्त अदा न किए जाने के बावजूद बैंक ने बाद में उसकी फर्म को 100 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण दिया। अंतत: 177 करोड़ रुपये का ऋण एनपीए हो गया। इस पूरे मामले में उक्त दोनों आरोपितों की संलिप्तता को देखते हुए उन्हें गिरफ्तार किया गया था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.