जेके बैंक में अब 177.68 करोड़ के लोन की धोखाधड़ी, मैसर्स पैराडाइज एवन्यू को दिया गया था लोन Jammu News
जांच में पाया गया कि भूमि के मालिकों को भुगतान चेक से और बड़ी हुई कीमत के साथ दिया गया। जो चेक उन्हें पहले दिए गए थे उससे भुगतान नहीं हुआ।
जम्मू, राज्य ब्यूरो : जम्मू कश्मीर बैंक में हुई गड़बडिय़ों की जांच को आगे बढ़ाते हुए वीरवार को एंटी क्रप्शन ब्यूरो (एसीबी) जम्मू ने एक और घोटाले का पर्दाफाश करते हुए मैसर्स पैराडाइज एवन्यू को धोखाधड़ी व नियमों को ताक पर रखकर 177.68 करोड़ रुपये लोन देने वाले जेके बैंक प्रबंधन व अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया।
एंटी क्रप्शन ब्यूरो की टीमों ने जेके बैंक के अधिकारियों द्वारा बरती गई अनियमितताओं का पता लगाने के लिए कई खातों की जांच की। इसमें पाया गया कि मैसर्स पैराडाइज एवन्यू को नियमों का उल्लंघन कर लोन दिया गया। वर्ष 2012 से 2017 के बीच दिए गया लोन बाद में एनपीए बन गया। जांच में पाया गया कि इस फर्म के मालिकों ने न्यू यूनिवर्सिटी कैंपस ब्रांच के प्रबंधन से संपर्क साधा। उन्होंने बैंक से नरवाल (जम्मू) में पैराडाइज एवन्यू के नाम से ही आवासीय कांप्लेक्स बनाने के लिए 74.27 करोड़ का लोन मांगा। इसके तहत फर्म ने 52 फ्लैट बनाने थे। 30 जनवरी 2012 को बैंक ने फर्म के नाम लोन मंजूर कर दिया। इसमें यह शर्त रखी गई कि लोन चरणबद्ध तरीके से दिया जाएगा। लोन मंजूर होने के बाद फर्म ने 30 कनाल भूमि जुलाई 2012 में खरीदी। इसका मतलब यह था कि फर्म ने लोन मिलने के छह महीने बाद जमीन खरीदी, जबकि इस भूमि को छह महीने पहले ही उन्होंने बैंक के पास गिरवी रख दिया था। यह बैंक अधिकारियों के साथ एक सोची समझी साजिश के तहत हुआ।
जांच में पाया गया कि भूमि के मालिकों को भुगतान चेक से और बड़ी हुई कीमत के साथ दिया गया। जो चेक उन्हें पहले दिए गए थे, उससे भुगतान नहीं हुआ। फर्म ने बैंक से लोन लेने के बाद मैसर्स पैराडाइज एवेन्यू के एकाउंट में नए चेक जारी किए, जबकि फर्म के मालिकों और बैंक अधिकारियों को यह भलिभांति पता था कि बैंक के नियमों के तहत भूमि खरीदने के लिए लोन नहीं दिया जाता है, वो भी तब जब व्यवसायिक गतिविधियों के लिए आवासीय कॉलोनी बनानी हो।
यही नहीं, फर्म ने जो निर्माण सामग्री दिखाई वह भी सही मायनों में थी ही नहीं। रिकॉर्ड की जांच करने पर इस बात का भी खुलासा हुआ कि लोन चरणबद्ध तरीके से देने की बात हुई थी, लेकिन लोन की राशि एक ही किस्त में जारी कर दी गई थी। इतना ही नहीं, फर्म ने 68.91 करोड़, 20 करोड़ और 14.5 करोड़ के तीन अतिरिक्त लोन भी लिए। इसी तरह फर्म ने बैंक से कुल 177.68 करोड़ रुपये का लोन धोखाधड़ी और अवैध तरीके से हासिल किया। लोन का भुगतान सितंबर 2017 से शुरू हुआ, जिसमें तिमाही किस्त 11.27 करोड़ रुपये तय हुई, लेकिन फर्म जानबूझकर डिफाल्टर हो गई और उसने लोन का भुगतान नहीं किया। इस तरह लोन का सारा पैसा एनपीए में चला गया। बैंक प्रबंधन और फर्म के बीच का षड्यंत्र इससे भी पता चलता है कि कुल लोन 177.68 करोड़ का था, जबकि इसे एक किस्त में अवैध रूप से और नियमों के विपरीत 130 करोड़ रुपये में निपटाना तय हुआ।
50 करोड़ रुपये माफ कर बैंक को लगाया चूना :
बैंक प्रबंधन ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर 50 करोड़ रुपये माफ कर बैंक को बड़ा चूना लगाया। यहीं नहीं, फर्म ने जो 40 करोड़ रुपये का चेक दिया, वह भी बाउंस हो गया। इसी आधार पर जांच टीम ने कहा कि जेके बैंक के अधिकारियों और फर्म के सभी पार्टनरों ने आपराधिक गतिविधि को अंजाम दिया है। एंटी क्रप्शन ब्यूरो ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत साजिश रचने और भ्रष्टाचार करने का मामला दर्ज कर लिया।
कई जगहों पर छापे मारे :
मामला दर्ज करने के बाद एंटी क्रप्शन ब्यूरो की टीम ने फर्म के कई ठिकानों पर छापे मारे और रिकॉर्ड जब्त किया। एंटी क्रप्शन ब्यूरो में इंस्पेक्टर और इस मामले में जांच अधिकारी कमल सांगड़ा ने कोर्ट से ठिकानों की तलाशी लेने की इजाजत लेने के बाद कई जगहों पर छापे मारे। उन्होंने फर्म के मालिकों से भी पूछताछ की और इस दौरान लैपटाप और कई प्रमाणपत्र जब्त किए।