Jammu And Kashmir: राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह का पलटवार-क्या गुपकार के बंगले सेल पर हैं
केंद्रीय मंत्री ने कश्मीर केंद्रित दलों को निशाने पर लिया ।अंतुष्ट नेता कर रहे जम्मू कश्मीर भूमि सुधारों का विरोधजितेंद्र सिंह ने उन्हें सवालों के घेरे में लिया है। उन्होंने नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी से पूछा है कि क्या श्रीनगर के गुपकार में उनके नेताओं के बंगले सेल पर हैं।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। भूमि स्वामित्व से जुड़े कानूनों में संशोधन पर कश्मीर केंद्रित दलों द्वारा जम्मू कश्मीर को सेल पर लगाने की बात करने पर प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने उन्हें सवालों के घेरे में लिया है। उन्होंने नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी से पूछा है कि क्या श्रीनगर के गुपकार में उनके नेताओं के बंगले सेल पर हैं। गुपकार रोड इलाके में नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, फारूक के भाई शेख मुस्तफा कमाल समेत कई मंत्रियों के बंगले हैं। श्रीनगर का यह सबसे पॉश इलाका है।
दिल्ली में प्रेस वार्ता में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि क्या गुपकार रोड पर बंगले बनाने वाले नेता अपने बंगले किसी बाहर के व्यक्ति को बेचने के लिए तैयार हैं। जब तक कोई अपनी संपत्ति नहीं बेचता है, तब तक कोई उसे कैसे खरीद सकता है। विरोध करने वाले यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि जैसे नए कानून से कोई जबर्दस्ती कब्जा कर सकता है। अगर ऐसा संभव होता तो गुपकार में बने आलीशान बंगलों को बाहर के लोग सबसे अधिक लेते।
उन्होंने स्पष्ट किया कि नए भूमि कानून किसी को अपनी संपत्ति बेचने के लिए मजबूर नहीं करते हैं। संपत्ति को बेचना है या नही यह फैसला मालिक का होगा। भूमि सुधारों से लोगों को अधिकार मिलेगा कि संपत्ति किसे या कितने दाम में बेचनी है। जितेंद्र ने कहा कि भूमि सुधारों का विरोध सिर्फ असंतुष्ट नेता कर रहे हैं। इस फैसले से जनसांख्यिकी स्वरूप बदलने की बातें करने वाले वही नेता हैं जो वोट बैंक के लिए जनसांख्यिकी स्वरूप की राजनीति करते आए हैं। अगर वे इतने ही गंभीर थे तो उन्होंने अनुच्छेद 370 के दौरान पश्चिम पाकिस्तान के निवासियों को चुनाव में हिस्सा लेने से वंचित क्यों रखा?
कानून से कोई ऊपर नहीं
श्रीनगर में कई प्रतिष्ठानों पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी के छापों पर जितेंद्र सिंह ने कहा कि कानून से ऊपर कोई नहीं है। किसी को धन के दुरुपयोग, देशविरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने पर इसलिए कानून से छूट नहीं मिल सकती है कि वे किसी गैर सरकारी संस्था, समाचार पत्र या मानवाधिकार संगठन के साथ जुड़े हुए हैं।