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उड़ता जम्मूः नशे के दल-दल में फंसकर गुमनामी की मौत मर रहे युवा

पिछली सरकारों मादक तस्करी से गस्त युवकों के पुर्नवास को लेकर कितनी गंभीर थी इस बात का अंजादा इस बात से लगाया जा रहा है कि राज्य में सरकार द्वारा कोई डी-एडिक्शन सेंटर तक नहीं बनाया गया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 23 Mar 2019 12:42 PM (IST)Updated: Sat, 23 Mar 2019 12:42 PM (IST)
उड़ता जम्मूः नशे के दल-दल में फंसकर गुमनामी की मौत मर रहे युवा
उड़ता जम्मूः नशे के दल-दल में फंसकर गुमनामी की मौत मर रहे युवा

जम्मू, दिनेश महाजन। राज्य जम्मू व कश्मीर में आतंकवाद से भी घातक एक और समस्या है, जो राज्य की युवा पीढ़ी को तबाही की ओर ले जा रही है। मोटी कमाई के चक्कर में मादक तस्कर राज्य के युवाओं को अपने मक्कड़ जाल में फंस रहे हैं। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि मादक पदार्थ मुख्य रूप से पाकिस्तान से आते हैं। राज्य में आतंकवादी घटनाओं की वजह से हिंसा और निराशा से घिरे युवा नशे का सहारा ले रहे हैं। आलम यह है कि राज्य के 40 प्रतिशत युवा किसी ना किसी नशे का सेवन कर रहे है।

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मादक तस्करी ने इतना भयानक रूप धारण कर ली है, बावजूद इसके राजनीतिक दलों ने मादक तस्करी की रोकथाम के लिए कोई भी ठोस पहल नहीं की। कई बाद राज्य विधान सभा में मादक तस्करी पर कठोर कानून बनाने पर चर्चा तो हुई, लेकिन कानून नहीं बन पाया। हालांकि राजनेताओं ने मादक तस्करी को गंभीर समस्या बताया है, बावजूद इसके मादक तस्करी से सख्ती से निपटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।

पिछली सरकारों मादक तस्करी से गस्त युवकों के पुर्नवास को लेकर कितनी गंभीर थी, इस बात का अंजादा इस बात से लगाया जा रहा है कि राज्य में सरकार द्वारा कोई डी-एडिक्शन सेंटर तक नहीं बनाया गया। नशे के आदी हो चुके युवा गुमनामी की मौत मर रहे है, लेकिन किसी को इसकी चिंता नहीं है। सरकार की बेरुखी के बीच कुछ समाज सेवी संगठनों ने आगे बड़ कर डी-एडिक्शन सेंटर चला रहे है। इन सेंटरों में लोगों को ड्रग्स के दुष्प्रभाव के बारे में बताता है और लोगों को इस लत से छुटकारा दिलाने में मदद करता है।

गत तीन वर्षों में नशे के सेवन से तीन सौ अधिक मौतें

मादक तस्करी की रोकथाम के लिए काम कर रही समाज सेवी संगठन टीम जम्मू के चेयरमैन जोरावर सिंह जम्वाल का कहना है कि उनकी टीम के सदस्यों की जांच में यह बात सामने आई है कि जिला जम्मू में गत साढ़े तीन वर्षों के भीतर 300 युवाओं की मौत नशे के अधिक सेवन से हुई है। मरने वालों की आयु 16 से 40 वर्षों के थे। समाज में बदनामी के डर से माता पिता ने इन युवाओं की मौत के बारे में पुलिस को जानकारी नहीं दी। जिन युवाओं का पोस्टमार्टम भी हुआ, उन्हें परिजनों ने हादसे में मारे जाने की बात कह कर मामले को दबाने की कोशिश की। इन युवाओं की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह स्पष्ट हो गया है कि ड्रग्स के अधिक सेवन से उनकी मौत हुई है।

जिला जम्मू के बाद जिला राजौरी में इसी दौरान चालिस युवाओं की नशे के सेवन से मौत हुई। इसके अलावा रियासी में बारह युवा, सांबा में पंद्रह युवा, ऊधमपुर में दस युवाओं नशे की गिरफ्त में आकर जान गवा बैठे। जोरावर सिंह जम्वाल का कहना है कि उन्होंने पिछली राज्य सरकार के सत्तारूढ़ के अलावा विपक्ष के नेताओं ने भेंट कर उन्हें ज्ञापन सौंपा था कि मादक तस्करी पर विधान सभा में कठोर कानून बनाया जाए। सभी दलों के नेताओं ने उन्हें आश्वासन तो दिया था, लेकिन कानूनन बनाने पर पहल नहीं की। राज्यपाल शासन ने मादक तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए गंभीरता दिखाई है। तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए राज्य तथा संभाग स्तर पर कमेटियों को गठन किया गया है, जो मादक तस्करी पर अंकुश लगाने के बारे में राज्य प्रशासन को सुझाव देंगे।

वर्ष 2018 में जब्त मादक पदार्थ

पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह का कहना है कि मादक तस्करी के आरोप में राज्य पुलिस ने वर्ष 2018 में 1291 लोगों को दबोचा था। उनके कब्जे से 28 किलो हेरोइन, 362 किलो चरस, 19,873 किलो भुक्की बरामद हुई थी। इस दौरान पुलिस कर्मियों ने 56 तस्करों पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट लगाया है। इस वर्ष मादक तस्करी के 26 हजार मामले दर्ज किए गए है, जो वर्ष 2017 की तुलना में काफी अधिक है।


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