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जम्मू यूनिवर्सिटी के स्टाफ क्वार्टरों के पास ही बना दिया डंपिंग ग्राउंड

जम्मू यूनिवर्सिटी में हेल्थ सेंटर के नजदीक बने स्टाफ क्वार्टरों के पीछे खाली पड़ी भूमि को डंपिंग ग्राउंड बना दिया गया है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 22 Dec 2018 01:35 PM (IST)Updated: Sat, 22 Dec 2018 01:35 PM (IST)
जम्मू यूनिवर्सिटी के स्टाफ क्वार्टरों के पास ही बना दिया डंपिंग ग्राउंड
जम्मू यूनिवर्सिटी के स्टाफ क्वार्टरों के पास ही बना दिया डंपिंग ग्राउंड

जम्मू, जेएनएन। जम्मू यूनिवर्सिटी में हेल्थ सेंटर के नजदीक बने स्टाफ क्वार्टरों के पीछे खाली पड़ी भूमि को डंपिंग ग्राउंड बना दिया गया है। पूरी यूनिवर्सिटी से निकलने वाले कचरे का निपटारा यहीं किया जा रहा है। ऐसे में स्टाफ क्वार्टरों के आसपास बदबू का आलम बना हुआ है। कर्मचारी परेशान हैं। यूनिवर्सिटी प्रबंधन के समक्ष उनकी सुनवाई भी नहीं हो पा रही है। हालत यह है कि पूरा दिन में एकत्र होने वाले कूड़े को बाद में आग लगा दी जाती है और उससे फैलने वाला गंदा प्रदूषण कर्मचारियों, उनके परिवार के रहन-सहन पर असर डाल रहा है।

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सबसे खास बात यह है कि हेल्थ सेंटर के बिलकुल सामने बायोटेक्नोलॉजी विभाग है जो वाइस चांसलर का अपना विभाग है। अगर वीसी के विभाग के नजदीक ही कूड़े के ढेर लगाने के बाद उनमें आग लगाई जा रही है तो यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि अन्य विभागों के हालात कैसे होंगे। जम्मू यूनिवर्सिटी में हेल्थ आफिसर सहित कई कर्मचारी हैं जिनका ध्यान इस कूड़े की ओर नहीं जाता। अगर कूड़े को एक जगह एकत्र कर नगर निगम की मदद से उसे वहां से उठाने का प्रबंध किया जाए तो हालात में सुधार हो सकता है।

नाम न छापने की शर्त पर क्वार्टर में रहने वाले एक कर्मचारी ने बताया कि इस ग्राउंड में कचरा एकत्र करने के बाद सफाई कर्मचारी इसमें आग लगा देते हैं। कचरे से निकलने वाला धुआं और भी घातक होता है। इसमें सांस लेना मुश्किल हो जाता है। सुनवाई न होने पर कर्मचारियों ने क्वार्टरों की खिड़की खोलना तक बंद कर दिया है। यह प्रदूषण लोगों पर ही नहीं पेड़-पौधों पर भी अपना प्रभाव डाल रहा है। कूड़े में लगाई जाने वाली आग के कारण पेड़ भी जल रहे हैं। इससे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है। अफसोस इस बात का है कि क्वार्टरों में रहने वाले कर्मचारियों ने इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों को कई बार की है परंतु वे टालमटोल करते आ रहे हैं।

यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि यूनिवर्सिटी प्रबंधन को उनकी परेशानियों से कोई सरोकार नहीं है। इन्होंने यहां तक चेतावनी दे डाली है कि यदि एक सप्ताह के भीतर इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकाला गया तो वे इसके खिलाफ प्रदर्शन करेंगे।


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