सातवें दिन आंशिक रूप से खुला जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग, हाइवें पर फंसे वाहन घाटी रवाना
सीमा सड़क संगठन के अधिकारियों ने अपने दल-बल से हटाते हुए सड़क को वाहनों के लिए एकतरफा आवाजाही योग्य बनाया।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। सात दिनों तक लगातार बंद रहने के बाद आज कश्मीर घाटी का जम्मू समेत शेष देश से सड़क संपर्क आंशिक रुप से बहाल हो गया। फिलहाल रामबन और बनिहाल के बीच फंसे ईंधन व अन्य जरुरी साजो सामान के टैंकर व ट्रकों को ही श्रीनगर के लिए रवाना होने की अनुमति दी गई है। मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों तक जम्मू-कश्मीर में बारिश व बर्फबारी होने की संभावना जताई है। हालांकि आज सुबह वादी समेत पूरी राज्य में मौसम साफ था। कई जगह धूप भी निकली। लेकिन पश्चिमी विक्षोभ के फिर से सक्रिय होने के साथ ही एक बार फिर पूरी रियासत में मौसम के मिजाज बिगड़ गए। बीते चार दिनों से निकल रही धूप का राज बारिश और बादलों ने खत्म कर दिया। ठंड का दौर दोबारा शुरु हो गया। जम्मू में दिन का अधिकतम तापमान सामान्य 21.3 डिग्री से नीचे 16.8 डिग्री सेल्सियस व श्रीनगर में सामान्य 9.5 डिग्री से नीचे लुढ़ककर 6.8 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है।
अलबत्ता, दोपहर होते होते गुलमर्ग, जोजिला , राजदान पास समेत वादी के उच्च पर्वतीय इलाकों में बारिश भी होने लगी। जम्मू संभाग में जिला किश्तवाड़ व जिला रियासी ऊपरी हिस्सों और पीरपंचाल के दाएं तरफ पुंछ व राजौरी के ऊंचाई वाले इलाकों में भी हल्की बारिश हुई। श्रीनगर और बडगाम समेत वादी के नीचले इलाकों में देर शाम गए तक बारिश नहीं हुई, लेकिन आसमा में बादल छाए रहे। यही स्थिति जम्मू और उसके साथ सटे इलाकों में रही। मौसम में आए इस बदलाव का असर स्थानीय तापमान पर भी हुआ। सामान्य तापमान दो से तीन डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला गया। पहाड़ों से आती ठंडी हवाओं के झोांकें ने दिनभर लोगों को ठंड का जमकर अहसास कराया। बीते तीन दिनों के दौरान जो ठंड गुजरने का संकेत मिल रहा था,वह आज उसकी वापसी में बदल गया।
मौसम के मिजाज आज फिर बिगड़ गए। बीते सप्ताह बारिश, भूस्खलन और हिमस्खलन के चलते बंद हुआ 300 किलोमीटर लंबा श्रीनगर जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग आंशिक रुप से बहाल हो गया। जम्मू संभाग को कश्मीर संभाग से अलग करने वाले पीरपंचाल पहाड़ के बाएं तरफ स्थित जवाहर सुरंग का पूर्वी छोर जो गत वीरवार की शाम को हुए हिमस्खलन के बाद से बंद था,आज खोल दिया गया। इसके अलावा बनिहाल-रामबन के बीच अनोखी फाल, पंथियाल, मरोग, मंकी मोड़ और डिगडोल में भूस्खलन से क्षतिग्रस्त सड़क और विभिन्न जगहों पर जमा मलबे को सीमा सड़क संगठन के अधिकारियों ने अपने दल-बल से हटाते हुए सड़क को वाहनों की इकतरफ आवाजाही योग्य बनाया।
इसके साथ ही कश्मीर की तरफ जाने वाले वाहन जो रामबन के पास फंसे थे, आगे की यात्रा के रवाना किए गए। हिमस्खलन का खतरा बरकरार स्नो एंड एवलांच स्टडी इस्टेबलिशमेंट सासे से मिली जानकारी के आधार पर राज्य प्रशासन ने आज एक बार फिर बांडीपोर,बारामुला, कुपवाड़ा,गांदरबल, करगिल, लेह, कुलगाम, शोपियां, बडगाम, रामबन और किश्तवाड़ जिले के उच्चपर्वतीय इलाकों में विशेषकर जो पहाड़ी ढलानों के साथ सटे हैं, अगले 24 घंटों में हिमस्खलन की आशंका जतायी हे। प्रशासन ने हिमस्खलन की दृष्टि से संवेदनशील इलाकों में रहने वाले लोगों को पूरी सावधानी बरतने को कहा है। इसके साथ ही सभी संबधित जिला उपायुक्तों को किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए हरदम तैयार रहने को कहा गया है
जवाहर सुरंग के दोनों किनारों पर जमा बर्फ व रामबन क्षेत्र में बार बार होने वाली भूस्खलन के चलते लगातार सात दिनों से श्रीनगर-जम्मू हाइवे मंगलवार दोपहर एक तरफा यातायात के लिए बहाल किया गया और इस बीच रामबन क्षेत्र में रुकी पड़ी छोटी गाडिय़ां तथा आवश्यक वस्तुओं से भरे ट्रक घाटी की तरफ रवाना किए गए। संबंधित अधिकारियों ने इस बारे में और 'यादा जानकारी देते हुए कहा कि मंगलवार शाम 4 बजे तकरीबन 100 वाहन जिनमें पेटरोलियम पदार्थ से भरे ट्रक व वाहन शामिल है,जो बीते सात दिनों से राबमन में रुके पड़े थे,को श्रीनगर की तरफ रवाना होने की अनुमित दी गई। अधिकारियों के अनुसार मार्ग अभी तक पूरी तरह से यातायात योग्य नही है लेकिन रामबन क्षेत्र के प्रबावित हिस्सों पर से मलबा हटाया गया और इस बीच क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर फंसे 100 वाहनों को श्रीनगर की तरफ आने की अनुमित दी गई। अधिकारियों ने कहा कि मार्ग को पूरी तरह से यातायात के योग्य बनाने का काम युद्धस्तर पर जारी है। उन्होंने कहा कि जब तक मार्ग पूरी तरह से यातायात योग्य नही बन जाता तब तक मार्ग पर यातायात बहाल नही किया जाएगा। गौर तलब है कि मार्ग के लगातार बंद रहने के चलते वादी में आवश्यक वस्तुओं की किल्लत पैदा हो गई है।