स्वास्थ्य सेवाओं को अपग्रेड करने के केवल दावे, नेफरोलॉजी विभाग में ताले लगने की नौबत
वर्षो से इस विभाग को डॉ. एसके बाली ही चला रहे हैं। उनके साथ दो पोस्ट ग्रेजुएट छात्र और दो रजिस्ट्रार होते हैं। मेडिसीन विभाग से रजिस्ट्रार को भेजा जाता है, जो दो से तीन महीने में बदल दिए जाते हैं।
रोहित जंडियाल, जम्मू। राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को अपग्रेड करने के दावे तो किए जा रहे हैं, लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है। इस समय पूरे जम्मू संभाग में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में मात्र एक किडनी रोग विशेषज्ञ (नेफरोलॉजिस्ट) है। वह भी इस महीने के अंत में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इससे विभाग में ताले लगने की नौबत आ गई है। राजकीय मेडिकल कॉलेज जम्मू में नेफरोलॉजी विभाग सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में चल रहा है।
वर्ष 2012-13 में इसे मेडिसीन विभाग से अलग कर दिया गया था। इस विभाग में कभी भी दो से अधिक फैकल्टी सदस्य नहीं हुए। इस समय विभाग में मात्र एक ही विशेषज्ञ डॉक्टर हैं। डॉ. एसके बाली इस महीने के अंत में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इसके बाद विभाग में एक भी किडनी रोग विशेषज्ञ नहीं बचेगा। इससे पहले डॉ. विजय गुप्ता किडनी रोग विशेषज्ञ थे। वह करीब दस साल पहले सेवानिवृत्त हो गए थे। उसके बाद बीच-बीच में कभी एक डॉक्टर ने विभाग में काम किया, लेकिन कुछ महीनों में ही वे छोड़ कर चले गए। वर्षो से इस विभाग को डॉ. एसके बाली ही चला रहे हैं। उनके साथ दो पोस्ट ग्रेजुएट छात्र और दो रजिस्ट्रार होते हैं। मेडिसीन विभाग से रजिस्ट्रार को भेजा जाता है, जो दो से तीन महीने में बदल दिए जाते हैं।
हर दिन औसतन 10 मरीज होते हैं भर्ती
जम्मू में किडनी रोग के मामले बहुत अधिक बढ़े हैं। इस समय सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में हर दिन औसतन 10 मरीज भर्ती होते हैं। ओपीडी में नियमित तौर पर जांच करवाने के लिए डेढ़ से दो सौ मरीज आते हैं। डॉक्टरों के अनुसार कुछ वर्षो में ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ी है। इसी तरह मेडिसीन विभाग के डॉक्टरों के पास भी किडनी रोग के मरीज आते हैं। यह सिर्फ सरकारी अस्पताल की स्थिति है। निजी अस्पतालों में अलग से मरीज आते हैं।
25 से 30 डायलिसेस हो रहे
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में औसतन हर दिन 25 से 30 डायलिसेस होते हैं। इनकी संख्या भी बढ़ रही है। डॉक्टरों की कमी के बावजूद पहले जहां 10 से 15 मरीज डायलिसेस के लिए आते थे। अब विभाग में सुविधाएं बढ़ने से इनकी संख्या बढ़ी है। विभाग के एचओडी डॉ. एसके बाली के अनुसार कई बार जरूरत पड़ती है तो छुट्टी के दिन भी डायलिसेस होता है।
कोई डॉक्टर आने के लिए तैयार नहीं
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के इस विभाग में कुछ वर्ष में किडनी रोग विशेषज्ञ आए तो बहुत, मगर अधिक देर तक नहीं रहे। पिछले चार साल में ही चार डॉक्टर छोड़ कर चले गए। कुछ महीने पूर्व इस विभाग में किडनी रोग विशेषज्ञों की नियुक्ति के लिए बकायदा साक्षात्कार भी हुए थे। इनमें दो डॉक्टरों का चयन भी हुआ था, मगर किसी ने भी ज्वाइन नहीं किया। इसका कारण निजी अस्पतालों की तुलना में बहुत कम वेतन होना भी है।
किडनी रोग विशेषज्ञ के बिना होता है डायलिसेस
इस समय सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के अलावा जम्मू संभाग के कुछ जिला अस्पतालों में भी डायलिसेस की सुविधा शुरू हुई है, लेकिन इन अस्पतालों में कोई भी किडनी रोग विशेषज्ञ नहीं है। गांधीनगर अस्पताल, जिला अस्पताल ऊधमपुर, जिला अस्पताल राजौरी में नेशनल हेल्थ मिशन के तहत डायलिसेस की सुविधा शुरू हुई थी। यहां डायलिसेस करने के लिए कुछ स्टाफ को विशेष ट्रेनिंग दी गई थी, लेकिन इनमें से किसी भी अस्पताल में किडनी रोग विशेषज्ञ नहीं है।
निजी अस्पतालों में कई किडनी रोग विशेषज्ञ हैं उपलब्ध
जम्मू संभाग के सरकारी अस्पतालों में जहां एक ही किडनी रोग विशेषज्ञ है। वहीं कई निजी अस्पतालों में किडनी रोग विशेषज्ञ हैं। जम्मू के बीएन चैरीटेबल अस्पताल, श्री माता वैष्णो देवी नारायणा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, आचार्य श्री चंद्र कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेस एंड अस्पताल और जेके मेडिसीटी में भी किडनी रोग विशेषज्ञ अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
नेफरोलॉजी विभाग चलाने के लिए सीमित विकल्प
राज्य प्रशासन के पास इस समय सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में नेफरोलॉजी विभाग चलाने के लिए सीमित विकल्प ही है। राज्य प्रशासन डॉ. एसके बाली को एक्सटेंशन दे या फिर उन्हें एसआरओ 384 के तहत सेवानिवृत्त होने के बाद फिर से नियुक्त करे। इस एसआरओ के तहत कोई भी डॉक्टर 65 साल की उम्र तक नौकरी कर सकता है। इस समय फैकल्टी की सेवानिवृत्ति आयु 62 वर्ष है। डॉ. बाली अभी तीन साल अपनी सेवाएं दे सकते हैं। अगर ऐसा नहीं तो फिर किसी को बाहर से अधिक वेतन देकर लाया जाए।