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न मिले लाइनमैन, न हेल्पर, बेबस कॉरपोरेटरों के लिए लोगों को मुंह दिखाना हुआ मुश्किल

अधिकतर कॉरपोरेटरों का कहना है कि अगर पता होता कि नगर निगम में पहुंच कर सरकार इस तरह चुपी साध लेगी और फंड्स तक उपलब्ध नहीं करवाएगी तो चुनाव ही न लड़ते।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 02 Mar 2019 10:55 AM (IST)Updated: Sat, 02 Mar 2019 10:55 AM (IST)
न मिले लाइनमैन, न हेल्पर, बेबस कॉरपोरेटरों के लिए लोगों को मुंह दिखाना हुआ मुश्किल
न मिले लाइनमैन, न हेल्पर, बेबस कॉरपोरेटरों के लिए लोगों को मुंह दिखाना हुआ मुश्किल

जम्मू, जागरण संवाददाता। दिसंबर 2018 में पहली जनरल हाउस की बैठक में शहर के हर वार्ड को रोशन करने के लिए अतिरिक्त लाइनमैन व हेल्पर लगाने के दावे फाइलों से जमीन पर नहीं उतर रहे। वार्ड में कॉरपोरेटरों को लाइनमैन का इंतजार करना पड़ रहा है। क्योंकि फिलहाल निगम के पास सिर्फ 17 लाइनमैन हैं। रोस्टर के हिसाब से महीने में एक-दो दिन ही वार्ड में उनकी ड्यूटी लग रही है। चार महीने गुजर जाने के बावजूद कॉरपोरेटर न तो वार्डों में सभी स्ट्रीट लाइटें चलवा पाए हैं। लोगों ने उनसे जवाब मांगना शुरू कर दिए हैं। कॉरपोरेटर जीत के बाद निगम में बेबस महसूस कर रहे हैं।

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अधिकतर कॉरपोरेटरों का कहना है कि अगर पता होता कि नगर निगम में पहुंच कर सरकार इस तरह चुपी साध लेगी और फंड्स तक उपलब्ध नहीं करवाएगी तो चुनाव ही न लड़ते। लोगों से जो वादे किए थे, उन पर पूरा उतरना मुश्किल हो गया है। निगम ने हर कॉरपोरेटर को 10 लाइटें और 10 बल्ब तो दिए लेकिन लाइनमैनों की कमी के चलते यह लग ही नहीं पाए। कुछेक कॉरपोरेटरों ने तो स्वयं से पैसे खर्च कर इलेक्ट्रिशियन से काम करवाना शुरू किया है। निगम ने हर वार्ड के लिए एक लाइनमैन और एक हेल्पर देने का प्रस्ताव पहली जनरल हाउस की बैठक में पारित किया गया। अफसोस की बात है कि प्रस्ताव पारित होने के दो महीने बाद भी कॉरपोरेटरों को न तो लाइनमैन मिला और न ही हेल्पर।

मौजूदा समय में नगर निगम के पास सिर्फ 17 लाइनमैन हैं जबकि एक भी जूनियर इंजीनियर नहीं। शहर के 75 वार्डों की देखरेख मात्र एक असिस्टेंट एग्जीक्यूटिव इंजीनियर कर रहा है। यही वजह है कि शहर के मुहल्लों में अधिकतर स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हुई हैं। हालत यह है कि जो 17 लाइनमैन तैनात किए गए हैं, उनमें भी सिर्फ सात ही स्थायी हैं। शेष दस को कंट्रेक्चुअल पर लगाया गया है। शहर के 75 वार्डों में कम से कम पांच जूनियर इंजीनियरों की जरूरत है। इसके विपरीत निगम की इस सेक्शन में भी एक भी नहीं। वहीं फोरमैन का पद भी यहां नहीं है। सरकारी उदासीनता का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि निगम की इस इलेक्ट्रिक विंग में दो एइइ के पद अभी भी रिक्त पड़े हुए हैं। मात्र एक एइइ काम कर रहा है। बात यहीं समाप्त नहीं हो जाती, निगम में कम से कम 85 हेल्परों की जरूरत है और यहां मात्र 47 से काम चलाया जा रहा है। यही कारण है कि अधिकतर मुहल्ले आज भी शाम ढलते ही अंधेरे में खोने लगते हैं। इन सारी मुश्किलों को ध्यान में रखते हुए निगम अब 15 लाइनमैन और 25 हेल्पर ठेके पर तैनात करने की प्रक्रिया में जुटा हुआ है।

निगम की इलेक्ट्रिक डिवीजन

नगर निगम की इलेक्ट्रिक डिवीजन वर्ष 2006-07 में बनाई गई। एग्जीक्यूटिव इंजीनियर की अध्यक्षता वाली इस डिवीजन में अब दो सब-डिवीजन हैं। इनमें से एक नगर निगम अधीनस्थ ओल्ड सिटी से जानीपुर, सिद्धड़ा, बख्शी नगर देखती है जबकि गांधीनगर, शास्त्री नगर, गंग्याल, डिग्याना से सतवारी व साथ लगते क्षेत्र दूसरी सब डिवीजन के अधीन आते हैं। इसका काम सभी स्ट्रीट लाइटों, शहर में लगे वाटर कूलरों, चौक-चौराहों में लगी हाईमास्ट लाइटों की देखरेख करना रहता है। इसके अलावा नगर निगम की इमारतों, दफ्तरों में बिजली संबंधी कामकाम भी यही सेक्शन देखती है।

शहर में 39 हजार स्ट्रीट लाइटें

निगम अधीनस्थ क्षेत्रों में अभी तक करीब 39 हजार स्ट्रीट लाइटें लगी हैं। इसके अलावा निगम ने शहर में 316 वॉटर कूलर भी लगाए हैं। इसके अलावा शहर में 254 स्थानों पर हाईमास्ट लाइटों को नगर निगम ने लगाया है। मौजूदा समय में बहुत से वॉटर कूलर, स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हैं। इन्हें ठीक करवाया जा रहा है।

  • ‘अभी तक नगर निगम में सिर्फ खोखले दावे किए गए हैं। चार महीने गुजर चुके हैं। कोई काम नहीं हो रहा। अधिकतर स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हैं। हरेक वार्ड में एक लाइनमैन व हेल्पर देने की घोषणा भी अभी तक हवाई ही है। कॉरपोरेटरों का हाल बेहाल है। लोग पार्टी नहीं, काम देख रहे हैं।’ -द्वारका चौधरी, काॅरपोरेटर एवं कांग्रेस के व्हिप
  • ‘चार महीने हो चुके हैं। कुछ नहीं हो रहा। दस लाइटें, दस बल्ब तो मिले मगर लगाने की व्यवस्था नहीं बन पाई। लोगों को जवाब देना मुश्किल हो रहा है। लोग पूछ रहे हैं कि क्या किया गया। दस लाख रुपये के विकास कार्य करवाने की घोषणा भी पूरी नहीं हो रही।’ -रितु चौधरी, कॉरपोरेटर, वार्ड 7
  • ‘भाजपा के नेतृत्व वाली निगम लगता है, चुनावों में कूद गई है। कॉरपोरेटरों की परवाह नहीं की जा रही। लोगों को काम करवाकर देने हैं। निगम से कुछ नहीं मिल रहा। लाइटें मिलती हैं तो लाइनमैन नहीं। बहुत बुरे हाल चल रहे हैं। कॉरपोरेटरों की ओर भी ध्यान दिया जाए।’ -विजय चौधरी, कॉरपोरेटर, विपक्ष नेता

क्या कहते हैं मेयर

‘शहर के सभी 75 वार्डों में अंधेरा नहीं रहने दिया जाएगा। इसके लिए हम स्ट्रीट लाइटों को ठीक करने के साथ बदल रहे हैं। लाइनमैनों व हेल्पर की कमी दूर करने के लिए आवेदन मांगे गए हैं। जल्द ही प्रक्रिया पूरी कर हर वार्ड में एक लाइनमैन तैनात कर दिया जाएगा। जिसके बाद स्ट्रीट लाइट की दिक्कत नहीं रहेगी। कॉरपोरेटरों की दिक्कतों को मैं अच्छे से समझता हूं। कोशिश कर रहे हैं कि जल्द से जल्द हम प्रभावी कदम उठा पाएं।’ -चंद्रमोहन गुप्ता, मेयर, जम्मू 


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