जम्मू नगर निगम होटलों-दुकानों पर भारी भरकम टैक्स थोपने से पीछे हटा
जम्मू नगर निगम ने अपना राजस्व बढ़ाने के लिए दो दिन पहले होटलों व दुकानों पर मोटा टैक्स लगाने का आदेश जारी किया था।
जम्मू, जागरण संवाददाता । जम्मू नगर निगम ने अपना राजस्व बढ़ाने के लिए दो दिन पहले होटलों व दुकानों पर मोटा टैक्स लगाने का आदेश जारी किया था। आदेश के खिलाफ कारोबारियों के रोष देखते हुए शनिवार को फैसला वापस ले लिया। चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के कार्यालय पहुंचे डिप्टी मेयर पूर्णिमा शर्मा व कमिश्नर पंकज मगोत्र ने घोषणा की कि वीरवार को जारी आदेश को वापस लिया जाता है। भविष्य में टैक्स लगाने से पहले उनको भरोसे में लिया जाएगा।
नगर निगम की 17 जुलाई की बैठक में टैक्स लगाने का फैसला लिया गया था। कमिश्नर ने वीरवार को इसका आदेश जारी किया। इससे पहले वर्ष 2015 में भी ऐसा आदेश जारी हुआ था, जिसे वापस लेना पड़ा था। ताजा आदेश के तहत सभी प्रकार की दुकानों, होटल, बार व रेस्तरां, शराब की दुकानों, ढाबों व टी स्टाल पर टैक्स लगाया गया था।
शुक्रवार को आदेश सार्वजनिक होने पर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री जम्मू समेत शहर के अन्य व्यापारिक संगठनों ने विरोध जताया। चैंबर ने शनिवार को मेयर चंद्रमोहन गुप्ता, डिप्टी मेयर व कमिश्नर को चैंबर हाउस आमंत्रित किया। मेयर पहले से तय कार्यक्रम के चलते नहीं पहुंचे। डिप्टी मेयर व कमिश्नर पहुंचे। चैंबर प्रधान राकेश गुप्ता ने नगर निगम की ओर से जारी आदेश पर रोष प्रकट करते हुए कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि निगम को राजस्व की आवश्यकता है, लेकिन इसके लिए व्यापारियों को निशाना नहीं बनाया जा सकता। चैंबर ने अपने घटक दलों से इस पर गहन चर्चा की है और सबने साफ कर दिया है कि मौजूदा हालात में वे किसी तरह का कोई नया टैक्स नहीं देंगे। गुप्ता ने डिप्टी मेयर व कमिश्नर को स्पष्ट किया कि निगम पहले अपने ढांचे को दुरुस्त करे और सुविधाओं का दायरा बढ़ाए, उसके बाद ही किसी तरह के टैक्स पर विचार करे। गुप्ता ने कहा कि व्यापारियों पर किसी भी तरह का टैक्स लगाए जाने से पहले चैंबर से चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी ऐसा कोई एकतरफा फैसला चैंबर को मंजूर नहीं होगा।
आर्थिक रूप से तंगहाल है जम्मू नगर निगम
जम्मू नगर निगम की आखि स्थिति ठीक नहीं है। आमदनी से ज्यादा खर्च है। अधिकतर राशि कर्मियों के वेतन में खर्च हो जाती है। कमिश्नर पंकज मगोत्र ने व्यापारियों को टैक्स लगाने की वजह भी बताई। डिप्टी मेयर ने टैक्स लगाने के फैसले को वापस लेने की घोषणा करते हुए कहा कि भविष्य में ऐसी कोई भी अधिसूचना जारी करने से पहले चैंबर से चर्चा अवश्य की जाएगी।
अलग-अलग प्रतिष्ठानों के लिए यत किए थे टैक्स
प्रिंट्रिंग प्रेस, लाइसेंस फीस : 11 हजार रुपये, रिन्यूवल फीस : 7700 रुपये
ए क्लास होटल, लाइसेंस फीस : 27500 रुपये, रिन्यूवल फीस : 16500 रुपये
बी क्लास होटल, लाइसेंस फीस : 16500 रुपये, रिन्यूवल फीस : 7700 रुपये
सी क्लास होटल, लाइसेंस फीस : 11000 रुपये, रिन्यूवल फीस : 5500 रुपये
नर्सिंग होम, लाइसेंस फीस : 33000 रुपये, रिन्यूवल फीस : 22000 रुपये
शराब की दुकान, लाइसेंस फीस : 33000 रुपये, रिन्यूवल फीस : 16500 रुपये
बैंक शाखा, लाइसेंस फीस : 22000 रुपये, रिन्यूवल फीस : 11000 रुपये
एटीएम, लाइसेंस फीस : 11000 रुपये, रिन्यूवल फीस : 5500 रुपये
बार रेस्तरां, लाइसेंस फीस : 49500 रुपये, रिन्यूवल फीस : 27500 रुपये
टी-स्टाल व ढाबा, लाइसेंस फीस : 2200 रुपये
रिन्यूवल फीस : 1100 रुपये
छोटे हलवाई, लाइसेंस फीस : 5500 रुपये
रिन्यूवल फीस : 2750 रुपये
बड़े हलवाई, लाइसेंस फीस : 11000 रुपये, रिन्यूवल फीस : 5500 रुपये
खाने-पीने वाली रेहड़ी, लाइसेंस फीस : 1650 रुपये रिन्यूवल फीस : 825 रुपये
फॉस्ट फूड दुकान, लाइसेंस फीस : 11000 रुपये, रिन्यूवल फीस : 5500 रुपये,
सभी रिटेल दुकानें, लाइसेंस फीस : 11000 रुपये, रिन्यूवल फीस : 5500 रुपये, बेकरी व मीट की दुकानें, लाइसेंस फीस : 2200, रिन्यूवल फीस : 1100 रुपये
पेट्रोल पंप, लाइसेंस फीस : 11000 रुपये, रिन्यूवल फीस : 5500 रुपये,
हार्डवेयर होलसेल, लाइसेंस फीस : 16500 रुपये, रिन्यूवल फीस : 7700 रुपये।