जम्मू नगर निगम आज तक नहीं बना पाया अपना बजट, जनरल हाउस की बैठक में भी उठा मुद्दा
अठारह वर्ष बाद भी जम्मू नगर निगम अपना बजट नहीं बना पाया है। न ही अभी तक ऐसी कोई व्यवस्था है कि पहले से ही प्राथमिकताएं तय कर ली जाएं। व्यवस्था का अभाव ही है कि वर्षों से कई विकास कार्य शुरू नहीं हो पाए।
जम्मू, जागरण संवाददाता : अठारह वर्ष बाद भी जम्मू नगर निगम अपना बजट नहीं बना पाया है। न ही अभी तक ऐसी कोई व्यवस्था है कि पहले से ही प्राथमिकताएं तय कर ली जाएं। व्यवस्था का अभाव ही है कि वर्षों से कई विकास कार्य शुरू नहीं हो पाए क्योंकि इनके लिए ज्यादा पैसों की जरूरत रही।
बजट नहीं होने का मुद्दा मंगलवार को हुई जम्मू नगर निगम की जनरल हाउस की बैठक में भी उठा। जिसमें जोर दिया गया कि निगम अपना बजट बनाए ताकि भविष्य में योजनाबद्ध तरीके से शहर का विकास हो और शहर वासियों को सुविधाएं मिल सकें। कॉरपोरेटर इंद्र सिंह सूदन ने मुद्दा उठाया कि पिछले तीन वर्षों से वह नानक नगर नाले के निर्माण की मांग कर रहे हैं। इसका एस्टीमेट भी बनवाया है लेकिन काम नहीं शुरू हो सका। इसके जवाब में निगम आयुक्त का कहना था कि नाले पर करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि खर्च होनी है और निगम यह काम अपने से करवा नहीं सकता। लिहाजा सरकार काे लिखा गया है। जब कभी पैसे मिलते हैं तो काम करवा लिया जाएगा।
ऐसे ही शहर में कृष्णा नगर नाले के निर्माण के मुद्दे को काॅरपोरेटर जीत कुमार अंगराल ने भी उठाया। इसी बीच कॉरपोरेटर राजेंद्र शर्मा ने मुद्दा उठाया कि निगम का बजट नहीं होने के कारण ऐसी दिक्कतें हो रही हैं। पता ही नहीं रहता कि कौन सा काम प्राथमिकता के आधार पर किया जाना जरूरी है। इसके लिए अलग फंड रखे जाएंगे। अगर बजट बना हो तो ऐसी नौबत नहीं पा पाएगी। पहले ही पता होगा कि इस वर्ष कौन से काम करवाए जा सकते हैं। वहीं निगम आयुक्त ने हाउस में कहा कि निगम सरकार पर निर्भर है। बजट बनाने के लिए अपने राजस्व के स्रोत होने चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार से जो पैसा आता है, उसे सभी कॉरपोरेटरों में समान बांट दिया जाता है।
मौजूदा स्थिति यह है कि जम्मू नगर निगम विभिन्न तरीकों से प्रति वर्ष करीब 25 करोड़ रुपये का राजस्व जुटा पा रहा है। जाहिर है कि इतनी कम राशि से निगम शहर का विकास करवाने से रहा। ऐसे में निगम सरकार से मिलने वाले पैसों पर ही निर्भर है और इसी से शहर में विकास कार्य करवाए जाते हैं। इस बार वर्ष 2022-23 के लिए सरकार से निगम को अभी तक 151 करोड़ रुपये मिले हैं। जम्मू नगर निगम में 75 वार्ड हैं और यह 170 किलोमीटर क्षेत्र में फैले हुए हैं। शहर में 120 छोटे-बड़े नाले हैं।
74वें संशोधन के बढ़ी जिम्मेवारी
सरकार ने पिछले वर्ष संविधान के 74वें संशोधन को जम्मू-कश्मीर में लागू कर दिया। इसके तहत अब विभिन्न सरकारी विभागों की सिटी डिवीजन जम्मू नगर निगम के अधीन काम करेंगी। फिलहाल जल शक्ति विभाग की सिटी डिवीजन निगम के अधीन आई हैं। इतना ही नहीं शहर में चलने वाले प्राइमरी हेल्थ सेंटर, आंगनवाड़ी केंद्रों को भी निगम के अधीन लाया गया है। यहीं बस नहीं लोक निर्माण विभाग की सिटी डिवीजन भी निगम के अधीन काम करेगी। ऐसे में निगम की जिम्मेवारी बढ़ती जा रही हैं और बिना व्यवस्था और बजट के आने वाले दिनों में निगम की मुश्किल बढ़ जाएंगी। लिहाजा निगम को अपना बजट बनाने की दिशा में कदम बढ़ाने ही होंगे।
बजट बनाना जरूरी
‘घर की एक गृहणी भी रसोई का बजट बनाकर चलती है। इतना बड़ा निगम है। यहां आज तक बजट नहीं बना। बिना बजट के ऐसा ही होगा क्योंकि प्राथमिकताएं ही तय नहीं हो पाएंगी। बेशक कॉरपोरेटरों को पैसे जारी कर दिए जाते हैं लेकिन इससे व्यवस्था नहीं बन सकती। देश के सभी निगमों का अपना बजट रहता है। उन्होंने कहा कि कॉरपोरेटरों का काम नीति बनाना है। पहले ही बजट बनाकर तय कर लिया जाए कि इस साल में कौन से प्रोजेक्ट प्राथमिकता के आधार पर करेंगे और इसके लिए कितने फंड रखे जाने हैं। इससे सुविधा होगी और लोगों को सुविधाएं मिलेंगी।’ -राजेंद्र शर्मा, कॉरपोरेटर एवं वरिष्ठ भाजपा नेता
मौजूदा स्थिति
नगर निगम की कुल आमदनी : लगभग 25 करोड़
निगम का वार्षिक खर्च : लगभग 107 करोड़
कुल पद : 2643
स्थायी कर्मचारी : 1540
एनजीओ कर्मी : 1741
कैजुअल-कंट्रेक्चुअल : 724
‘वर्ष 2018 में जब निगम में कॉरपोरेटर चुनकर आए तो करीब दो करोड़ रुपये का राजस्व जुटाया जाता था। काफी प्रयासों के बाद यूजर चार्ज, फीस, बिल्डिंग परमिशन आदि से निगम अब 25 करोड़ रुपये के करीब राजस्व जुटा रहा है। राजस्व बढ़ाने के तरीकों को अपनाने के साथ खर्चों को कम करने पर काम किया जा रहा है। प्लास्टिक कचरे से गमले, कूड़ेदान बनाने की तैयारी चल रही है। इतना ही नहीं घरों से कचरा उठाने से लेकर डंपिंग साइट तक पहुंचाने का काम भी निजी कंपनियों को दिया जा रहा है। जिससे निगम का राजस्व बचेगा। अपना बजट बनाने बारे भी विचार किया जा रहा है। आत्मनिर्भर बनने के लिए किसी न किसी स्तर पर प्रापर्टी टैक्स को भी शुरू करना पड़ेगा। ऐसे कई और कदम उठाए जा रहे हैं।’
-चंद्र मोहन गुप्ता, मेयर, जम्मू