Jammu Kashmir: जेएडंके स्पोटर्स काउंसिल नहीं भर पाया स्पोटर्स आफिसर की कुर्सी
डिविजनल स्पोर्टस अधिकारी के भर्ती के नियमों में उसकी शैक्षिक योग्यता और सीनियॉरिटी मायने उसकी अगले स्तर पर पदोन्नित में मायने रखते है।लेकिन इससे पहले भी अपने चहतों को इस तरह का अनवांछित लाभ दे दिया गया।जिसकी बदौलत कई अधिकारी समकक्ष योग्यता न होने के बावजूद महत्चवूर्ण पदों पर हैं।
जम्मू, जागरण संवाददाता: डिवीजनल स्पोर्टस आफिसर को सेवानिवृत हुए 11 दिन बीत चुके हैं, लेकिन जम्मू कश्मीर स्पोर्टस काउंसिल अभी नए अधिकारी के बारे में चयन नही कर पाई है। डिविजन आफसर संभाग में खेल गतिविधियों के आलावा कर्मचारियों के बीच सेतु की भूमिका निभाता है।सचिवालय के जम्मू में 6 माह के लिए खुल जाने के बाद अभी तक किसी जिम्मेवार और योग्य अधिकारी को यह पद अभी नही सौंपा गया है।
जेएडंके स्पोटर्स काउंसिल के सूत्रों का कहना है कि यहां तक सीनियॉरिटी का सवाल है, तो डिवीजनल स्पोर्टस आफिसर का पद विभाग किसी भी समय भर सकता है, लेकिन इसे भरने के पीछे हो रहे विलंब जेएडंके स्पोर्टस काउंसिल के अधिकारी अच्छी तरह समझते हैं।इसमें हो रहे विलंब जानबूझकर किया जा रहा है, ताकि किसी योग्य उम्मीदवार के बजाए किसी चहेते को यह पद दे दिया जाए।यहां तक डिविजनल स्पोर्टस अधिकारी के भर्ती के नियमों में उसकी शैक्षिक योग्यता और सीनियॉरिटी मायने उसकी अगले स्तर पर पदोन्नित में मायने रखते है।लेकिन इससे पहले भी अपने चहतों को इस तरह का अनवांछित लाभ दे दिया गया।जिसकी बदौलत कई अधिकारी समकक्ष योग्यता न होने के बावजूद महत्चवूर्ण पदों पर हैं।
यहां बताना जरूरी है चीफ स्पोटर्स आफिसर की पोस्ट, जो वर्ष 2019 के जून महीने से कुछ कानूनी रूकावटो की वजह से खाली पड़ी है। जम्मू के मौलाना आजाद स्टेडियम में के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि एक तरफ तो उप राज्यपाल प्रशासन खेल को बढ़ावा देने की बात करता है, परंतु दुर्भाग्य की बात यह है कि कुछ निहित स्वार्थी लोगों की वजह से खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने के बजाए इन्हें बर्बाद करने पर तुले हुए हैं।हालांकि स्पोर्टस काउंसिल की कथित तौर पर हेराफेरी, अपने चहतों को बिना योग्यता के पदोन्नत और फंड्स में धांधलियां उजागर भी हुईं, लेकिन स्पोर्टस एसोसिएशनों ने प्रशासनिक अधिकारियों की सांठगाठ की बदौलत इन धांधलियों को दबा दिया गया।
यहां तक कि सरकार ने भी इन आरोपों पर कोई संज्ञान नही लिया। यहां तक कि कुछ सरकारी एजेंसियों के अलावा रिटायर्ड स्पोर्टस अधिकारियों ने खेलों के बेहतर भविष्य की खातिर सरकार से मामालों की जांच करने वकालत भी की है।