बागवानों व किसानों के लिए दोगुनी हुई आम की मिठास, आम के पेड़ अब हर साल देंगे फल
Mango. विज्ञानियों ने जम्मू की जलवायु के मुताबिक खास तरह का फार्मूला ईजाद किया है कि यहां आम के पेड़ अब हर साल फल देंगे।
जम्मू, गुलदेव राज। जम्मू के बागवान व किसानों के जीवन में अब आम और मिठास घोलने वाला है। आम का पेड़ एक साल फसल देता है और दूसरे साल नहीं। विज्ञानियों ने जम्मू की जलवायु के मुताबिक खास तरह का फार्मूला ईजाद किया है कि यहां आम के पेड़ अब हर साल फल देंगे। इससे किसानों को दोहरा फायदा होगा ही आम लोगों तक भी इसकी मिठास पहुंचना लाजिमी है।
जम्मू की शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी (स्कास्ट) के सीनियर वैज्ञानिक बीके सिन्हा के नेतृत्व में दो साल से इस पर शोध चल रहा था। इसके बाद हार्मोन पर आधारित विशेष फार्मूला तैयार किया गया और उसके बढिय़ा परिणाम आए।
हार्मोन ट्रीटमेंट के लिए पेड़ के चारों ओर खोदी गई नाली।
इसका फार्म ट्रायल भी सफल रहा है। विभिन्न किसानों के फार्म पर 12 पेड़ों पर ट्रायल किया गया तो पाया कि हर पेड़ ने एक साल फल देने के बाद अगले साल भी 40 से 50 किलो की पैदावार दी। इस कामयाबी को अब स्कास्ट किसानों से बांटने में जुटा है ताकि वह अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकें। इससे उनके आम के पेड़ों में भी नयापन आएगा।
स्कास्ट के डायरेक्टर रिसर्च डा. जेपी शर्मा ने बताया कि इस तकनीक का अधिक से अधिक किसानों को लाभ लेना चाहिए। भविष्य में इसका उपयोग अन्य राज्यों में भी हो सकता है।
आसान है इस्तेमाल का तरीका
वरिष्ठ विज्ञानी बीके सिन्हा ने बताया कि सितंबर माह में हार्मोन ट्रीटमेंट दी जाती है ताकि समय पर फ्रूटिंग आ सके। करना यह होता है कि आम के पेड़ के तने से डेढ़ मीटर दूरी पर परिधि में 10 से 15 सेंमी कच्ची नाली बनानी होती है। फिर 20 लीटर पानी में उचित मात्रा में बनाया फार्मूला मिलाना है और इस नाली में डाल भर देना है। उसके बाद नाली को फिर से मिट्टी से भर देना है व काली पॉलीथिन से उस भाग को ढक दिया जाता है। उसके बाद हारमोन अपना काम करना आरंभ कर देता है। जमीन में डाले गए द्रव्य से हार्मोन के प्रभाव से पेड़ बौर विकसित करता है। सीजन में सामान्य फल देता है।
नाली के माध्यम से हार्मोन ट्रीटमेंट करते विज्ञानी।
12 हजार हेक्टेयर में लगा है आम
जम्मू में करीब 12 हजार हेक्टरेयर में आम लगाया गया है और इसमें प्रतिवर्ष सात हजार टन आम की पैदावार होती है। इस फार्मूले से निश्चित तौर पर आम की पैदावार 10 हजार टन के पार जाने की उम्मीद है। प्रदेश के जम्मू संभाग के ऊधमपुर, कठुआ, रियासी, सांबा और जम्मू जिलों में आम के बाग हैं। उत्पादन बढ़ने से किसान अधिक बागवानी की ओर आकर्षित होंगे।
किसानों को किया जा रहा जागरूक
स्कास्ट ने किसानों के बीच जागरूकता अभियान शुरू कर दिया है। बागवान बलदेव सिंह ने बताया कि उनके बाग में यह कार्यक्रम रखा गया था और स्कॉस्ट के विज्ञानियों ने किसानों से आम के पेड़ों से हर साल पैदावार लेने की सलाह दी। यह तरीका काफी सरल भी है और फायदेमंद भी। निश्चित तौर पर अधिक से अधिक किसान इसका फायदा लेना चाहेंगे।
जानें, किसने क्या कहा
इस तकनीक से आम उत्पादकों को खासा फायदा मिलेगा और जम्मू के वातावरण में इसका ट्रायल सफल रहा है। अब हमारे विज्ञानी किसानों के बीच जाकर उन्हें इसका उपयोग बता भी रहे हैं। अधिक से अधिक किसानों को इसका लाभ लेना चाहिए।
- डा. जेपी शर्मा, डायरेक्टर रिसर्च, स्कास्ट।
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किसानों के फार्म पर जाकर इसका ट्रायल किया गया और किसान लगातार पैदावार लेने में सफल रहे हैं। इससे जम्मू आम उत्पादन के क्षेत्र में और बेहतर स्थिति में होगा, साथ ही किसानों का मुनाफा बढ़ना तय है। हमारे कार्यक्रमों में किसानों की भागेदारी बढ़ी है और उन्होंने इस फार्मूले के प्रति उत्सुकता भी दिखाई है।
- बीके सिन्हा, वरिष्ठ विज्ञानी, स्कास्ट।