पंच-सरपंचों को पुराने नियम से बीडीसी चुनाव कराना मंजूर नहीं, कहा-73वें संशोधन के प्रभावी होने तक करें इंतजार
सरकार ने पुराने पंचायती राज कानून के तहत ही अक्टूबर के अंत तक चुनाव कराने का फैसला किया है। 31 अक्टूबर से केंद्र शासित प्रदेश बनने पर संविधान का 73वां संशोधन स्वत प्रभावी हो जाएगा
जम्मू, राज्य ब्यूरो। राज्य में ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल (बीडीसी) के चुनाव पुराने अधिनियम के तहत कराने से पंच और सरपंच नाखुश हैं। वह चाहते हैं कि संविधान के 73वें संशोधन के तहत बीडीसी चुनाव कराए जाएं। इसके लिए वह राज्य प्रशासन और केंद्र पर दबाव बनाने के लिए अपनी आवाज बुलंद करने की तैयारी में हैं।
जम्मू कश्मीर पंचायत कांफ्रेंस ने राजनीतिक आधार पर चुनाव करवाने के फैसले को ठीक तो बताया है, लेकिन कहा है कि पुराने पंचायती राज कानून के तहत बीडीसी चुनाव कराने का कोई औचित्य नहीं है। शुक्रवार दोपहर को जम्मू में संवाददाता सम्मेलन में पंचायत कांफ्रेंस के प्रधान अनिल शर्मा ने कहा कि जम्मू कश्मीर 31 अक्टूबर से केंद्र शासित प्रदेश बन जाएगा।
ऐसे में भले ही चुनाव कुछ महीने के लिए ये चुनाव टल जाएं, लेकिन इन्हें संविधान के 73वें संशोधन के आधार पर ही कराया जाए। शर्मा ने कहा कि बीडीसी चुनाव नवंबर-दिसंबर महीने में करवाना ठीक रहेगा। यह मांग जोरशोर से बुलंद की जाएगी कि बीडीसी के चुनाव वैसे ही करवाए जाएं जैसे देश के अन्य हिस्सों में होते हैं। उन्होंने कहा कि जब एक देश, एक संविधान सुनिश्चित हो गया है तो ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल के चुनाव करवाने के लिए दो कानून क्यों हों।
73वें संशोधन के तहत चुनाव से बढ़ेगा मतदान का दायरा
जम्मू कश्मीर में बीडीसी चुनाव संविधान के 73वें संशोधन के तहत होने से इसका दायरा बढ़ जाएगा। देश के अन्य राज्यों में इस समय बीडीसी चुनाव राजनीतिक आधार पर होते हैं, लेकिन इसके मतदाता उस ब्लॉक के लोग होते हैं। वहीं जम्मू कश्मीर पंचायती राज अधिनियम के तहत चुनाव में मतदाता लोग नहीं, सिर्फ पंच और सरपंच होंगे। इससे चुनाव का दायरा 43 हजार पंच और सरंपच के वोट डालने तक सीमित हो जाएगा। जम्मू कश्मीर सरकार ने पुराने पंचायती राज कानून के तहत ही राजनीतिक आधार पर अक्टूबर के अंत तक चुनाव कराने का फैसला किया है। 31 अक्टूबर से केंद्र शासित प्रदेश बनने पर संविधान का 73वां संशोधन स्वत: प्रभावी हो जाएगा।
33 प्रतिशत महिला उम्मीदवार न होना भी बनेगा मुद्दा
बीडीसी चुनाव का एक अन्य मुद्दा पार्टियों के पास 33 प्रतिशत महिला उम्मीदवार न होना है। ऐसे हालात में 316 ब्लॉकों में से कई ऐसे भी होंगे, जहां पर एक भी महिला उम्मीदवार न होने के कारण चुनाव नहीं हो सकेगा। बेहतर होगा कि इस बार केवल दस प्रतिशत और अगली बार से बीडीसी चुनाव के लिए महिलाओं के 33 आरक्षण बहाल हो।