Jammu Kashmir: लॉकडाउन में मैरिज जंक्शन बना लखनपुर, जम्मू-पंजाब सीमा पर चौक चौराहों पर हो रही शादियां
कोरोना का संकट जारी है। कुछ जोड़ों का कहना कि ऐसे ही आने वाले समय उन दूल्हा दुल्हन के लिए बिना तामझाम के हुई शादियां ताउम्र तक याद रहेंगी।
कठुआ, राकेश शर्मा। दूल्हा है, दुल्हन है पर न बैंड बाजा, न बराती और न उनका स्वागत करतीं दुल्हन की सखियां। सड़क किनारे वरमाला के साथ सात फेरे और हम हो गए तेरे। यह है जम्मू कश्मीर का नया मैरिज जंक्शन लखनपुर। जम्मू कश्मीर का प्रवेश द्वार कहा जाने वाला लखनपुर अब इन अनोखी शादियों के कारण चर्चा का केंद्र बन चुका है। समारोह दुल्हन व दूल्हे के घर में होने की बजाय सार्वजनिक चौक चौराहे में आयोजित हो रहे हैं। पंजाब और जम्मू कश्मीर की पुलिस इन अनोखी शादियों की गवाह बनी। शादियों में दोनों परिवारों के पांच से सात लोग मौजूद रहे। एक-दो नहीं अक्षय तृतीया के बाद से करीब डेढ़ दर्जन जोड़ों ने इसी नए मैरिज जंक्शन से अपने जीवन का नया सफर आरंभ किया है। आने वाले दिनों में फिलहाल यह सिलसिला थमता नहीं दिख रहा है। भले ही कड़े नियमों ने उनके धूमधाम से शादी के स्वपनों पर प्रहार किया हो लेकिन ज्यादातर अब जीवन के इन पलों को ही यादगार बता नई उम्मीद के साथ जीवन की नई पारी आरंभ कर रहे हैं।
कोरोना काल में कहीं दूरियां मजबूरियां बन रही हैं और कहीं नियम। विवाह और अन्य शुभकार्यों पर भी लॉक लग गया है। लॉकडाउन के बीच नवविवाहित जोड़ों की जीवन की डोर सादगी से बंध रही है। केंद्र सरकार ने विवाह व अन्य कार्यक्रमों के लिए नियम अलग से तय किए हैं। पर कुछ अति उत्साही पुलिसवालों और अधिकारियों ने अपने ही नियम गढ़ दिए हैं। इस कारण कुछ जोडि़यां यादगार बन रही हैं और दो राज्यों की सीमा पर ही वर-वधू एक-दूसरे के होने की कसमें खा रहे हैं। वहीं कुछ के सपने ध्वस्त भी हो गए।
यहां बता दें कि जम्मू कश्मीर के जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों की शादियां भी पड़ोसी राज्यों पंजाब और हिमाचल के सीमावर्ती जिलों में होती हैं। लॉकडाउन लगातार बढ़ने से शादियां या तो टल गईं या कुछ ने सादगी से संपन्न करने का निर्णय लिया। अक्षय तृतीया के बाद विवाह की संख्या बढ़ी। लॉकडाउन बढ़ने के साथ कोरोना का संक्रमण भी पांव पसारता गया और जम्मू कश्मीर में नियम भी कड़े होते गए। स्थिति एकाएक तब विकट तब बन गई जब पंजाब व हिमाचल के अधिकारियों से अनुमति लेकर आने वाली बरात को राज्य के प्रवेश द्वार पर तैनात अफसरों ने जम्मू कश्मीर में प्रवेश की मंजूरी देने से इन्कार कर दिया। सेहरा सजा के आए कुछ दूल्हे ऐसे स्वागत से खफा हो गए और अधिकारियों से उलझ भी गए। पर न उन्हें प्रवेश की अनुमति मिली न ही आगे बढ़ने की। कुछ ने धैर्य से काम लिया और विचार-विमर्श के बाद सहमति बना ली गई कि प्रवेश द्वार पर ही दुल्हन को बुला लिया जाए। कुछ ने सड़क किनारे ही वरमाला की औपचारिकता की और शेष रस्में घर में जाकर पूरी की। कुछ ने वहीं टेंट में फेरे लेकर विवाह की रस्में पूरी कर ली। अब सिलसिला निरंतर चल रहा है और लखनपुर बार्डर मैरिज जंक्शन के तौर पर उभर रहा है। दुल्हन को परिवार के एक-दो सदस्यों संग बुला वरमाला पहनाकर उसे वहीं से विदा कर दिया जाता है। एक पखवाड़े में डेढ़ दर्जन ऐसे विवाह हो चुके हैं।
स्थगित हो चुकी हैं सैकड़ों शादियांः जम्मू क्षेत्र में ही सैकड़ों विवाह स्थगित करने पड़े हैं। अकेले कठुआ जिले में 175 शादियां स्थगित हो चुकीं हैं। राज्य के भीतर ही हो रही लगभग 15 फीसद शादियां तय मुहूर्त के अनुसार सादगी के साथ संपन्न हुई। जिला प्रशासन की इजाजत लेकर दूल्हा और दुल्हन के परिवारों ने हालात की गंभीरता को समझा और बिना बैंडबाजे और बरात के शादी कर सादगी से जीवन जीने का संदेश दिया।
दूल्हा-दूलहन बोले -उम्मीद तो नहीं थी, पर खुश हैं...: 11 मई को जम्मू के चक देसा गांव से तीन मोटरसाइकिल पर दुल्हन को लेकर आए लोगों ने लखनपुर में सड़क पर शादी की रस्में अदा कर बेटी को गुरदासपुर के दीनानगर विदा किया। इसी तरह पठानकोट के डेरा बाबा क्षेत्र के तरसेम चंद पिछले सप्ताह विवाह के लिए पहुंचे थे। वह बताते हैं कि हम नियमों का पालन कर रहे थे और अपने जिला प्रशासन से अनुमति भी ली थी। मेरे साथ मात्र चार ही लाेग थे। इस तरह के स्वागत की उम्मीद नहीं थी और हमें पूरा दिन लखनपुर में ही रोक कर रखा गया। लखनपुर से आगे जाने की अनुमति नहीं दी गई। काफी आग्रह के बाद लखनपुर में ही चौक के किनारे ही शादी की रस्में अदा की गईं। फिर भी हम समझते हैं कि पुलिस की अपनी मजबूरी रही होगी। यह पल भी हमारे लिए यादगार बन गया। हम जीवन की नई पारी आरंभ कर रहे हैं, बस आप हमें शुभकामनाएं दीजिए।
लखनुपर में विवाह रचाने वाले एक दूल्हे की बहन ने बताया कि काफी इच्छा थी कि उसके भाई की शादी धूमधाम से हो। पर हालात को देखकर हम सादगी से शादी करने आए थे। प्रशासन चाहता तो बेहतर विकल्प निकाल सकता था। अब इसका गिला नहीं है। बस भाई-भाभी खुश रहें।
सभी इतने धैर्यवान नहीं हैं। कुछ परिवार इससे खफा हैं। हिमाचल से आए एक दूल्हे को लखनपुर से आगे न जाने की अनुमति नहीं मिली। वह वापस लौट गए थे। पहले वह भड़क गए। फिर नाम न छापने की शर्त पर वह बोले कि कोई इतना असंवेदशील कैसे हो सकता है। हम नियमों का पालन कर रहे थे। हजारों लोगों को प्रतिदिन जम्मू कश्मीर आने की इजाजत दी जा रही है। कुछ घंटे का समय हमें भी दे दिया जाता तो हमें यूं नहीं लौटना पड़ता।
पठानकोट के ही गोतरा लाडी गांव के देवेंद्र ने कहा कि पुलिस ने उसे लखनपुर से तीन किलोमीटर प्रबंध कराने की सलाह दी। इसके बाद वह और इधर लड़की वाले भी मान गए। वहां भी सादी शादी हुई। वर-वधु ने कहा कि उनकी शादी यादगार रहेगी। दोनों राज्यों की पुलिस का बेहतर सहयोग रहा।
इसी तरह कठुआ के रामकोट की सुनीता कुमार व बिलावर के कुलदीप कुमार ने भी गत दिवस कठुआ में ही लॉकडाउन का पालन करते हुए बिन बरात, बिन बैंडबाजे के वार्ड 17 के मंदिर में शादी की। शादी करने के बाद लड़का दुल्हन को बिलावर स्थित घर में लेकर चला गया है। दोनों के परिवार शुभ मुहूर्त पर शादी संपन्न होने पर खुश हैं। वर-वधु ने कहा कि इस तरह से शादी की उम्मीद तो नहीं थी, लेकिन वे खुश हैं। सिर्फ सात लोगों की उपस्थिति में हुई शादी पहले दोनों परिवारों की सहमति से बरात और बैंडबाजे के साथ बिलावर से रामकोट जानी थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण ऐसा हो नहीं सका।
कुछ को बैरंग भी लौटना पड़ा: पंजाब से सेहरा बांध कर बिना तामझाम के आ रहे दूल्हों के कदम लखनपुर में रोके जा रहे हैं। अनुमति न होने पर बिना दुल्हन निराश होकर जाना पड़ा। सोमवार को पंजाब और हिमाचल से दो दूल्हे आए, लेकिन अनुमति नहीं मिलने पर वे मुहूर्त होने की गुहार लगाते रहे, लेकिन निराश होकर लौटना पड़ा।
ताउम्र तक याद रहेंगी सादगी भरी शादियां : कोरोना का संकट जारी है। कुछ जोड़ों का कहना कि ऐसे ही आने वाले समय उन दूल्हा दुल्हन के लिए बिना तामझाम के हुई शादियां ताउम्र तक याद रहेंगी। अभी कोरोना संकट टला नहीं है अभी अगले कुछ महीने तक रहने की संभावना है। जिला कठुआ में कुछ माह में होने वाली तय शादियां क्या स्थगित होंगी या फिर मुहूर्त के अनुसार लॉकडाउन की पालना करते हुए लखनपुर की तरह करने में परिवार एवं दुल्हा-दूल्हन मानेंगे। जिनको इसी माहौल में शादी करनी होगी, उन्हेंं तो लॉकडाउन की पालना करते हुए बिन बैंडबाजे और बरात शादी करनी पड़ेगी।
अभी भी लखनपुर से आगे बढ़ना संभव नहीं : टेंट हाउस के मालिक सुरेश शर्मा ने बताया कि अभी इसी माह 17 से 24 मई तक शादियाें के शुभ मुहूर्त हैं। 15 से 30 जून तक शादी के सात दिन, जुलाई में 19 दिन और अगस्त में 9 दिन विवाह के शुभ मुहूर्त हैं। ऐसी स्थिति में अगर लॉकडाउन खुलता भी है तो भी शारीरिक दूरी और अन्य एहतियात तो बरतने ही होंगे जिसके चलते अगली शादियां या तो लखनपुर की तरह हो सकती हैं या फिर स्थगित। अगस्त के बाद अक्टूबर तक शादियों के मुहूर्त नहीं है।
टेंट हाउस व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना हैं कि अगर ऐसा चलता रहा तो नया काम ढूंढना पड़ेगा। हजारों लोग भी बेकार होंगे। कठुआ में दो दर्जन से अधिक लोग टेंट हाउस व्यवसाय से जुड़े हैं। बैंडबाजे, घोड़ी, पैलेस, टेंट हाउस, कैटरिंग, फूल वाले,पंडित, चुन्नरी सजावट वालों के अलावा वाहन, कपड़ा व्यापारी, मनियारी, किराना प्रभावित होंगे,लेकिन ये अब कोरोना संकट की उम्र पर निर्भर करेगा कि कैसे हालत बनते हैं,वैसे भी सरकार ने मैरिज पैलेस वालों को 31 जुलाई तक बुकिंग नहीं करने निर्देश जारी कर रखे हैं।
अब उपयुक्त आठ मुहूर्त
- मई- 15, 17, 18, 19, 23
- जून - 11,15,17, 27, 29, 30
- नवंबर - 27, 29, 30
- दिसंबर - 1, 7, 9, 10, 11
यह थी शादी के लिए गृह मंत्रालय की गाइडलाइन
गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन के दौरान विवाह समारोह के लिए नियम स्पष्ट रखे हैं। अप्रैल माह में जारी गाइडलाइन के मुताबिक लॉकडाउन में विवाह समारोह सादगी से हो सकते हैं। इसके तहत वर व वधु पक्ष के पांच-पांच लोग की शामिल हो सकते थे। उसमें भी शारीरिक दूरी की शर्त अनिवार्य बनाई गई थी। 4 मई से तीसरा लॉकडाउन आरंभ होने से पूर्व गृह मंत्रालय ने ग्रीन और ऑरेंज जोन में नियमों में कुछ ढील देने की घोषणा की थी। इसके तहत विवाह समारोह में 50 से ज्यादा लोग नहीं जुट सकेंगे।