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Jammu Kashmir: ए खुदा हमें यह जन्नत नहीं चाहिए, अगर मासूमों को मारकर तुम्हे जन्नत चाहिए तो यह तुम्हे मुबारक

जिहाद का चोला पहले आतंकियों की क्रूरता का शिकार बने मासूमों की फेहरिस्त लंबी है और दर्द बयान करने के लिए शब्द कम। ताजा मामला उत्तरी कश्मीर के सोपोर का है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 02 Jul 2020 08:45 AM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 10:33 AM (IST)
Jammu Kashmir: ए खुदा हमें यह जन्नत नहीं चाहिए, अगर मासूमों को मारकर तुम्हे जन्नत चाहिए तो यह  तुम्हे मुबारक
Jammu Kashmir: ए खुदा हमें यह जन्नत नहीं चाहिए, अगर मासूमों को मारकर तुम्हे जन्नत चाहिए तो यह तुम्हे मुबारक

श्रीनगर, नवीन नवाज। अगर इन मासूमों को मारकर तुम्हे जन्नत चाहिए तो यह जन्नत तुम्हे मुबारक। ए, खुदा हमें यह जन्नत नहीं चाहिए। पहले बिलखती सात साल की जोहरा, फिर इस जहान से अलविदा हुआ छह वर्षीय निहान और अब सिसकता तीन साल का मासूम अयाद। जिहाद का चोला पहले आतंकियों की क्रूरता का शिकार बने मासूमों की फेहरिस्त लंबी है और दर्द बयान करने के लिए शब्द कम। ताजा मामला उत्तरी कश्मीर के सोपोर का है।

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बुधवार सुबह सूरज अपनी लालिमा बिखेरता, उससे पहले ही आतंकी हमले से जमीन खून से लाल हो गई। तस्वीरें सामने आई तो हर किसी का कलेजा मुंह को आ गया। सड़क पर अयाद के नाना का शव पड़ा था और बिलखता मासूम उनकी छाती पर बैठकर उन्हें जगाने की नाकाम कोशिश कर रहा था। तभी पुलिस की नजर अयाद पर पड़ी और उन्होंने कश्मीर के भविष्य (अयाद) को सुरक्षित निकाल लिया।

तीन साल का अयाद कश्मीर में बीते 30 साल से आजादी के नाम पर जारी खून खराबे की त्रासदी का नया भुक्तभोगी है। उसकी ही जिद पर उसके नाना बशीर अहमद उसे अपने साथ सोपोर अपने काम पर लेकर निकले थे। बशीर अहमद पेशे से ठेकेदार थे। इसी बीच, सोपोर के माडल टाउन में आतंकियों ने सीआरपीएफ के जवानों की नाका पार्टी पर हमला कर दिया। बशीर कार को वहीं सड़क पर छोड़ किसी तरह अयाद को उठाए सुरक्षित स्थान की तरफ भागे। तभी आतंकियों की गोलियों ने बशीर के शरीर को छलनी कर दिया।

नानू को उठाओ, वह सड़क पर क्यों सोए हैं..गोलियां लगते ही आयद का हाथ छूट गया और उसके नाना खून से लथपथ होकर जमीन पर गिर पड़े। अयाद करीब 15 मिनट तक वहीं पर रहा। आतंकियों की गोली का जवाब देते हुए जवान उसे इशारे से अपनी तरफ बुलाते तो वह उनकी तरफ जाता, लेकिन नाना को सड़क पर पड़ा देख वापस उन्हें उठाने लगता। जब नाना नहीं उठे तो वह उनकी छाती पर बैठ गया। दरअसल, अयाद अपने नाना की छाती पर लेटकर कहानी सुना करता था, उसे लगा कि शायद वह उसे कहानी ही सुनाने वाले हैं। इस बीच, पुलिस के जवानों ने मौके पर पहुंच अयाद को उठाया।

पुलिस की गाड़ी में बैठा वह मासूम रो पड़ा और बोला ..नानू को उठाओ, ..वह सड़क पर क्यों सोए हैं, ..मुझे मेरे घर ले चलो। पुलिस कर्मी उसे बिस्किट और चाकलेट लेकर देने की बात कर उसे चुप कराने लगे। नाना की लाश पर बैठे हुए अयाद की तस्वीरें व पुलिस जिप्सी में रोते अयाद का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो गए।

पांच दिन हापहले निन भी हुआ था आतंकी हमले का शिकार :

पिछले एक सप्ताह के दौरान आतंक की वीभत्सा का शिकार होने वाला अयाद कश्मीर का दूसरा मासूम है। करीब पांच दिन पहले गत शुक्रवार को छह वर्षीय निहान बिजबिहाड़ा में एक आतंकी हमले की चपेट में आकर मारा गया था। वह भी अपने पिता के साथ बाजार में नए कपड़े लेने गया था, लेकिन आतंकियों की क्रूरता के कारण कफन में घर गया था। मासूम निहान की बिलखती मां और पिता की चीखें और उनके सवालों के जवाब आज किसी के पास नहीं।

जोहरा के आंसू आज भी सभी के जहन में ताजा :

तीन साल पहले अगस्त 2017 को अनंतनाग के जिला पुलिस लाइन में बिलखती सात वर्षीय जोहरा ने सभी को हिलाकर रख दिया था। वह स्कूल के गेट पर अपने असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर पिता का इंतजार कर रही थी। तभी उसे पता चला कि पिता आतंकी हमले में शहीद हो गए हैं। स्कूल से वह सीधे अपने पिता के श्रद्धांजलि समारोह में पहुंची। दो दिन बाद ईद थी। उसके हाथों पर लगी महंगी और आंखों से बहते आंसू आज भी सभी के जहन में ताजा हैं।

हिंसा के पैरोकारों को एसएसपी इम्तियाज हुसैन मीर ने दिखाया आइना :

अयाद की सिसकियों और नाना के शव पर बैठे उसकी तस्वीरें सामने आने से कश्मीर में ¨हसा के पैरोकार भी सक्रिय हो गए। उन्होंने सोशल साइट पर इसके लिए सुरक्षाबलों को जिम्मेदार ठहराया। ऐसे लोगों को कश्मीर के रहने वाले और एसएसपी सिक्योरिटी इम्तियाज हुसैन मीर ने आइना दिखाया।

उन्होंने ट्वीट पर कश्मीर की कड़वी सच्चाई को उजागर करते हुए बताया कि आठ मई 2001 को आतंकियों ने बीएसएफ के एक कैंप पर हमला किया था। इस हमले में कुछ बीएसएफ कर्मी और कुछ आम नागरिक मारे गए थे। मृतकों में मेरी चचेरी बहन भी थी। वह आइईडी से निकले छर्रों से मारी गई थी, लेकिन बहुत से लोग हमारे घर आए और हम पर जोर डालने लगे कि मेरी बहन की मौत आइईडी से नहीं बल्कि बीएसएफ के जवानों की गोली से हुई है। 


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