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Jammu Kashmir : आज वे भी खुश होंगे जो 370 हटने से नाखुश हैं, शाही दामादों को मिलेगा ससुराल में पूरा मान

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय अरुण जेटली ने भी जम्मू कश्मीर के पूर्व मंत्री स्व. गिरधारी लाल डोगरा की बेटी संगीता से विवाह रचाया था। भले ही अरुण जेटली अब उनके बच्चे अब डोमिसाइल का हक जता सकते हैं।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Thu, 22 Jul 2021 06:00 AM (IST)Updated: Thu, 22 Jul 2021 01:21 PM (IST)
Jammu Kashmir : आज वे भी खुश होंगे जो 370 हटने से नाखुश हैं, शाही दामादों को मिलेगा ससुराल में पूरा मान
सचिन पायलट, शरीफ अहमद को जम्मू कश्मीर का दामाद होने के बावजूद यहां पूरा हक कभी नहीं था।

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर की बेटी से शादी करने वाले दूसरे राज्यों के पतियों को डोमिसाइल का हक मिलने से आमजन खुश हैं, वहीं वे लोग भी निश्चित तौर पर खुश हुए होंगे, जो अनुच्छेद 370 और 35ए के हटने पर अपनी नाखुशी दिखते रहते हैं। भले ही वह अब्दुल्ला परिवार हो या मुफ्ती खानदान। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने भी राहत की सांस ली होगी। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के नाती की भी अब ससुराल में वैसी ही धमक होगी। हालांकि यह दिग्गज परिवार फैसले पर अभी चुप्पी साधे हैं।

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अनुच्छेद 370 और 35ए के कारण जम्मू कश्मीर की कोई भी महिला जब प्रदेश के बाहर के किसी नागरिक से शादी करती थी तो जम्मू कश्मीर में वह अपनी संपत्ति का हक गंवा देती थी। न वह और न उसका पति जम्मू कश्मीर में अपने नाम पर कोइ जमीन जायदाद नहीं खरीद सकता था। वह स्थायी तौर पर नहीं बस सकता था। उनके बच्चे भी जम्मू कश्मीर में जमीन के मालिक नहीं हो सकते थे, कोई सरकारी नौकरी नहीं कर सकते थे।

पांच अगस्त 2019 के बाद यह स्थिति बदली, लेकिन जम्मू कश्मीर से बाहर शादी करने वाली स्थानीय लड़की के पति को डोमिसाइल तभी मिलता जब वह 15 साल तक जम्मू कश्मीर मे रहता या शादी को हुए 15 साल बीते होते। नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी व उन जैसे कई अन्य दल पांच अगस्त 2019 को पारित जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम का लगातार विरोध करते आए हैं। इसी अधिनियम के कारण जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 35ए समाप्त हुआ है और डोमिसाइल की व्यवस्था भी लागू हुई है। हालांकि शिक्षा और रोजगार की चाह में प्रदेश से बाहर बसी हजारों बेटियों को तो हक मिल गया पर अपना परिवार जुदा हो जा रहा था।

इसी तरह सचिन पायलट, शरीफ अहमद और निर्वाण सिंह को जम्मू कश्मीर का दामाद होने के बावजूद प्रदेश में न जमीन खरीदने का हक था और न ही वोट डालने का। अब यह चाहें तो डोमिसाइल के आधार पर जम्मू कश्मीर की सियासत में नई पारी की शुरुआत कर सकते हैं।

इन शाही दामादों को अब मिलेगा ससुराल में पूरा मान

सचिन पायलट और सारा: नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डा. फारूक अब्दुल्ला की बेटी और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की बहन सारा अब्दुल्ला की शादी राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट से हुई है। सारा अब्दुल्ला ने जब सचिन पायलट से शादी की थी तो उसमें डा फारुक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला तथाकथित तौर पर शरीक भी नहीं हुए थे। निश्चित तौर पर भले ही सचिन राजस्थान की सियासत में खास स्थान बना चुके हों लेकिन जम्मू कश्मीर में भी पूरा हक वह पा सकते हैं।

रुबिया सईद और शरीफ अहमद: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की छोटी बहन रुबिया सईद की शादी भी दक्षिण भारत में हुई है। वह अपने पति शरीफ अहमद के साथ चेन्नई में रहती हैं। उनके पति का आटोमाबाइल का बिजनेस है। मुफ्ती परिवार को भी यह फैसला निश्चित तौर पर सुकून दे रहा होगा।

मृगांका सिं‍ह और निर्वाण सिंह

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के नाती निर्वाण सिंह की शादी जम्मू कश्मीर के पहले व अंतिम सदर-ए-रियासत और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डा. कर्ण सिंह की पौत्री मृगांका सिंह से हुई है। दोनों शाही परिवारों के मिलन की डोर को शायद यह फैसला और मजबूत बनाएगा।कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद की बेटी सोफिया आजाद की शादी भी दक्षिण भारत के एक प्रतिठति कार्पारेेट घराने मे हुई है।

अरुण जेटली के बच्‍चों को भी पूरा हक: भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय अरुण जेटली ने भी जम्मू कश्मीर के पूर्व मंत्री स्व. गिरधारी लाल डोगरा की बेटी संगीता से विवाह रचाया था। भले ही अरुण जेटली अब उनके बच्चे अब डोमिसाइल का हक जता सकते हैं।

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