सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगाने का प्रयास, हाईकोर्ट ने कहा अब अदालत परिसरों में नहीं मिलेगा बोतलबंद पानी
विशेषज्ञों की मानें तो भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक की कोई आधिकारिक परिभाषा नहीं है। यह भी तय नहीं है कि कौन-सी चीजें सिंगल यूज प्लास्टिक के दायरे में आएंगी।
जम्मू, ललित कुमार। राज्य की किसी भी अदालत परिसर में अब बोतलबंद पानी नहीं मिलेगा। सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करने और प्लास्टिक उत्पादों के इस्तेमाल से स्वास्थ्य व पर्यावरण को हो रहे नुकसान के मद्देनजर जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने बोतलबंद पानी पर प्रतिबंध लगाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक का बहिष्कार करने की अपील के बाद राज्य में यह पहला महत्वपूर्ण आदेश जारी हुआ है। इस आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है।
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल संजय धर ने आदेश दिया है कि राज्य हाईकोर्ट की श्रीनगर व जम्मू विंग, राज्य की सभी जिला व निचली अदालतों में सिंगल यूज प्लास्टिक वाटर बॉटल्स का इस्तेमाल समाप्त किया जाता है। राज्य की सभी अदालतों में सुरक्षित पेयजल के लिए ऐसे वैकल्पिक प्रबंध किए जाएं जिनसे प्लास्टिक कचरा पैदा न हो।
आदेशानुसार बार-बार इस्तेमाल की जा सकने वाली पानी की बोतलों को राज्य हाईकोर्ट के अलावा सभी जिला व निचली अदालतों में लाने की अनुमति दी जाएगी। आदेश में कहा गया है कि सिंगल यूज प्लास्टिक बोतलों के स्थान पर शीशे, स्टील व एल्युमिनियम जैसी सामग्री से बनी बोतलों का इस्तेमाल किया जाए। आदेश में कहा गया है कि हाईकोर्ट की श्रीनगर व जम्मू विंग के रजिस्ट्रार जूडिशियल व सभी जिलों के प्रमुख जिला व सत्र न्यायाधीश आदेश का पालन सुनिश्चित करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार स्वतंत्रता दिवस पर सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को बंद करने की बात कही थी।
क्या है सिंगल यूज प्लास्टिक
विशेषज्ञों की मानें तो भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक की कोई आधिकारिक परिभाषा नहीं है। यह भी तय नहीं है कि कौन-सी चीजें सिंगल यूज प्लास्टिक के दायरे में आएंगी। इसकी परिभाषा यूरोप में तय है। इसके अनुसार प्लास्टिक की बनी ऐसी चीजें, जिनका हम सिर्फ एक ही बार इस्तेमाल कर सकते हैं या इस्तेमाल कर फेंक देते हैं।
- प्लास्टिक कचरा पर्यावरण व स्वास्थ्य के लिए खतरा है। प्रतिबंध का कदम सराहनीय है। जहां तक पेयजल उपलब्धता की बात है तो जानीपुर स्थित हाईकोर्ट व जिला कोर्ट परिसर में करीब एक दर्जन वाटर कूलर लगे हैं। तीन कैंटीन हैं और वहां भी स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था है। अगर जरूरत पड़ेगी तो वकीलों व आम लोगों के लिए कोर्ट परिसर में वाटर कैंपर रखे जाएंगे। -अभिनव शर्मा, प्रधान, जेएंडके हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, जम्मू
- प्लास्टिक कचरा आज पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा है। जम्मू-कश्मीर जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में यह कचरा पर्यावरण के लिए मौत साबित हो रहा है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक एक सकारात्मक कदम है। दो अक्टूबर से इसे प्रभावी बनाया जा रहा है। लिहाजा सरकार के पास सिंगल यूज प्लास्टिक का विकल्प पेश करने के लिए पर्याप्त समय है। इसके ऐसे विकल्प तलाश होने चाहिए जो पर्यावरण के लिए किसी तरह का खतरा पैदा न करे। -कैप्टन ललित शर्मा, पर्यावरणविद