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Roshni Act Scam: जम्मू कश्मीर के इतिहास में सबसे बड़े 25 हजार करोड़ के रोशनी एक्ट घोटाले में फैसला सुरक्षित

एडवोकेट शेख शकील अहमद ने कहा कि इस मामले में पूर्व सरकारों ने सहयोग नहीं किया। अकाउंटेंट जनरल ने भी एक प्रेस कांफ्रेंस में सरकार पर असहयोग का आरोप लगाया था। 2013 से लेकर 2020 तक केवल दो एफआइआर में चालान पेश हुए जबकि दस एफआइआर में जांच लंबित है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 12:36 PM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 12:36 PM (IST)
Roshni Act Scam: जम्मू कश्मीर के इतिहास में सबसे बड़े 25 हजार करोड़ के रोशनी एक्ट घोटाले में फैसला सुरक्षित
जम्मू-कश्मीर के इतिहास में रोशनी एक्ट की आड़ में यह सबसे बड़ा घोटाला है।

जम्मू, जेएनएफ : रोशनी एक्ट की आड़ में 25 हजार करोड़ रुपये के घोटाले के बहुचर्चित मामले में जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। जम्मू कश्मीर के इतिहास में सबसे बड़े इस घोटाले की सीबीआइ जांच करवाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर बुधवार को दोनों तरफ की बहस संपन्न हो गई, लेकिन बेंच ने अपना फैसला नहीं सुनाया।

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छह साल पूर्व दायर मौजूदा जनहित याचिका में कहा गया है कि इस मामले की जांच कर रहे एंटी करप्शन ब्यूरो दोषियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने में सक्षम नहीं है, लिहाजा इसकी सीबीआइ से निष्पक्ष जांच करवाई जाए, क्योंकि इस मामले में जम्मू कश्मीर के कई रसूखदार नेता, पुलिस अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी और भू-माफिया शामिल हैं।एडवोकेट अंकुर शर्मा ने अपनी जनहित याचिका में प्रदेश की बीस लाख कनाल सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा होने व रोशनी एक्ट के तहत ये सरकारी भूमि कौड़ियों के भाव बेचे जाने का आरोप लगाया है। अंकुर शर्मा ने मामले की सुनवाई के दौरान एक बार फिर यह दलील दी कि पिछले छह सालों में एंटी करप्शन ब्यूरो इस मामले में कोई खास कार्रवाई नहीं कर पाया। इस मामले में चूंकि कई पूर्व मंत्री, नेता, आइएएस व केएएस अधिकारी शामिल हैं और एंटी करप्शन ब्यूरो इनके खिलाफ कार्रवाई करने में सक्षम नहीं है। उन्होंने दलील दी कि एक सोची समझी साजिश के तहत 25 हजार करोड़ रुपये का घोटाला किया गया।

ऐसे में जरूरी है कि जनता को इंसाफ देने के लिए इस मामले की सीबीआइ जैसी एजेंसी से जांच करवाई जाए। इसी मामले में पेश हुए एडवोकेट शेख शकील अहमद ने कहा कि इस मामले में पूर्व सरकारों ने सहयोग नहीं किया और जम्मू कश्मीर के अकाउंटेंट जनरल ने भी एक प्रेस कांफ्रेंस में सरकार पर असहयोग का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि 2013 से लेकर 2020 तक केवल दो एफआइआर में चालान पेश हुए जबकि दस एफआइआर में जांच लंबित है। तीन एफआइआर में ब्यूरो को कार्रवाई की मंजूरी नहीं मिली है और दो एफआइआर को यह कह कर बंद कर दिया गया कि उसमें कोई सुबूत नहीं मिले।

मामले की सुनवाई के दौरान एडवोकेट शेख शकील ने जम्मू के डिल्ली में जेडीए की 154 कनाल जमीन पर हुए कब्जे का भी उल्लेख किया। सीनियर एडिशनल एडवोकेट जनरल एसएस नंदा ने कहा कि कमेटी ने अंतिम रिपोर्ट पेश कर दी है और अंतिम रिपोर्ट पेश करने के लिए उन्हें एक महीने की मोहलत दी जाए। इसके बाद हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच में चीफ जस्टिस गीता मित्तल व जस्टिस राजेश ¨बदल ने अपना फैसला सुरक्षित रखा। 


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