कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब, किस आधार पर हुर्रियत नेताओं-अलगाववादियों को दिया है सुरक्षा कवर
जिन अलगाववादियों को सलाखों के पीछे होना चाहिए उनके उपचार रहने व खाने पीने का खर्च सरकार उठा रही है। जनहित याचिका में आगे कहा गया कि ये अलगाववादी देश व समाज के लिए खतरा है।
जम्मू, जेएनएफ। हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने अलगाववादियों को मुहैया करवाए गए सुरक्षा कवच पर ताजा रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। बेंच ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को अगली सुनवाई तक यह रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। बेंच ने दीवाकर शर्मा की ओर से दायर जनहित याचिका में सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया।
जनहित याचिका में हुर्रियत कांफ्रेंस नेताओं समेत सभी अलगाववादियों तथा राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में संलिप्त लोगों को दी गई सुरक्षा वापस लेने की मांग की गई है। जनहित याचिका में कहा गया कि 1990 से जम्मू-कश्मीर में युद्ध जैसे हालात हैं। सीमापार बैठे लोग जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को भड़का रहे हैं। जम्मू-कश्मीर, विशेषकर कश्मीर में बैठे कुछ लोग आतंकवाद व अलगाववाद को लगातार बढ़ावा दे रहे हैं। इन लोगों ने ही सांप्रदायिक हिंसा भड़काई जिससे पंडित समुदाय को कश्मीर से पलायन करना पड़ा। ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन सरकार की ओर से इन्हें सुरक्षा कवच मुहैया करवाया गया है। इतना ही नहीं, इन लोगों के उपचार, रहने व खाने पीने का खर्च भी सरकार झेल रही है। जनहित याचिका में कहा गया कि यह पैसा सरकारी खजाने से निकाला जाता है जिसे जम्मू-कश्मीर का आम आदमी टैक्स देकर भरता है।
एक तरफ ये अलगाववादी कश्मीर में हिंसा फैलाते है जिसमें आज तक हजारों लोग व सुरक्षाकर्मी मारे गए और दूसरी तरफ आम लोगों की जिंदगी के लिए खतरा बने हुए है। सरकार की नीति चाहे कोई भी हो लेकिन यह काफी हैरान करने वाला है कि जो लोग आम जनता के लिए तथा देश की एकता व अखंडता के लिए खतरा है, उन लोगों को सरकारी खजाने के खर्च पर सुरक्षा मुहैया करवाई गई है। जिन अलगाववादियों को सलाखों के पीछे होना चाहिए, उनके उपचार, रहने व खाने पीने का खर्च सरकार उठा रही है। जनहित याचिका में आगे कहा गया कि ये अलगाववादी देश व समाज के लिए खतरा है और टैक्स के नाम पर जनता की जेब काट कर उनका पोषण नहीं होना चाहिए।
जनहित याचिका में मीडिया के लिए लक्ष्मण रेखा खींचने की अपील करते हुए कहा गया कि कुछ मीडिया चैनल व समाचार पत्र फर्जी खबरें चलाते हैं जिससे अस्थिरता पैदा होती है। कश्मीर घाटी में ऐसा कुछ मीडिया अलगाववादी नेताओं की कठपुतली बनकर काम कर रहा है, लिहाजा मीडिया के लिए कोई लक्ष्मण रेखा होनी चाहिए। जनहित याचिका में सभी सरकारी विभागों के कर्मचारियों के लिए वर्दी निर्धारित करने की मांग की गई है। हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रशासन को अगली सुनवाई में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए।