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Coronavirus: अब प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना मरीजों के इलाज की तैयारी, आइसीएमआर से अनुमति मांगी

पहले ठीक हो चुके मरीज का प्लाज्मा लिया जाता है और फिर उसकी जांच की जाती है कि क्या इसके ब्लड प्लाज्मा में एंटीबॉडी विकसित हुई हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 27 Apr 2020 10:49 AM (IST)Updated: Mon, 27 Apr 2020 10:49 AM (IST)
Coronavirus: अब प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना मरीजों के इलाज की तैयारी, आइसीएमआर से अनुमति मांगी
Coronavirus: अब प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना मरीजों के इलाज की तैयारी, आइसीएमआर से अनुमति मांगी

जम्मू, राज्य ब्यूरो : देश के अन्य भागों की तरह जम्मू में भी कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज ब्लड प्लाज्मा थेरेपी से करने की तैयारी चल रही है। इसके लिए राजकीय मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) जम्मू प्रशासन ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) से अनुमति मांगी है। इसकी पुष्टि जीएमसी की प्रिंसिपल ने भी की है। कश्मीर में कोरोना वायरस के बढ़ रहे मरीजों की संख्या को देखते हुए वहां पर भी प्लाज्मा थेरेपी से इलाज की मांग उठ रही है। डॉक्टरों ने इसके लिए ठीक हो रहे मरीजों को प्लाज्मा दान करने के लिए अनुरोध किया है।

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देश के कई हिस्सों में प्लाज्मा थेरेपी से इलाज का ट्रायल चल रहा है। दिल्ली में चार मरीजों के ठीक होने का दावा भी किया गया है। इसके बाद मेडिकल कॉलेज जम्मू भी सक्रिय हुआ। आइसीएमआर ने भी क्लिनिकल ट्रायल में शामिल होने के लिए कई संस्थाओं को न्योता दिया था। अब कुछ जगहों पर इस थेरेपी से मरीज ठीक होने का दावा करने के बाद अन्य राज्यों में भी एक उम्मीद जग गई है। हालांकि, जम्मू में कुल संक्रमितों की संख्या सिर्फ 57 ही है। इनमें से कई ठीक भी हो चुके हैं, लेकिन कश्मीर में साढ़े चार सौ से अधिक संक्रमित हैं और पांच की मौत भी हो चुकी है।

एक हफ्ते में तीन बार दान कर सकते हैं प्लाज्मा: अभी तक जम्मू कश्मीर में कोरोना पीड़ित 137 मरीज ठीक हो चुके हैं। इनमें 27 जम्मू संभाग और 110 कश्मीर संभाग के हैं। डॉ. निसार ने इन मरीजों से अनुरोध किया है कि वे अन्य मरीजों के लिए प्लाज्मा दान करें। अगर प्लाज्मा होगा तो इससे मरीजों का इलाज करने का एक विकल्प मौजूद रहेगा। उन्होंने कहा कि सप्ताह में तीन बार एक व्यक्ति प्लाज्मा दान कर सकता है। हर बार सिर्फ 250 एमएल प्लाज्मा ही लिया जाता है।

स्वस्थ हो चुकी मरीज से लिया जाता है प्लाज्मा: ठीक हो चुके मरीजों के ब्लड में से प्लाज्मा निकालकर इससे पीड़ित मरीजों का इलाज किया जाता है। पहले ठीक हो चुके मरीज का प्लाज्मा लिया जाता है और फिर उसकी जांच की जाती है कि क्या इसके ब्लड प्लाज्मा में एंटीबॉडी विकसित हुई हैं। जरूरी नहीं कि हर ठीक होने वाले मरीज में एंटीबॉडी विकसित हो। ठीक हो चुके मरीज का एलिजा टेस्ट किया जाता है ताकि यह पता चल सके कि उसके शरीर में एंटीबॉडीज की मात्र कितनी है।

अगर एंटीबॉडी विकसित हैं तो उसे संक्रमित मरीज में चढ़ाकर शरीर में मौजूद वायरस को खत्म किया जाता है। विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि मरीज के ठीक होने के दो सप्ताह बाद ही उसका प्लाज्मा लिया जाता है।

  • कश्मीर में अब तक पांच मरीजों की मौत हो चुकी है। अगर इन मरीजों का इलाज भी प्लाज्मा थेरेपी के साथ इलाज होता तो शायद ठीक हो जाते। अगर आपके पास इलाज है ही नहीं और ऐसे में अगर आपके पास एक विकल्प है तो उसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए। यह कोई ऐसी थेरेपी भी नहीं है जिसका ट्रायल यहां मरीजों पर न किया जा सके। - डॉ. निसार, प्रधान डाक्टर्स एसोसिएशन कश्मीर
  • राजकीय मेडिकल कॉलेज जम्मू में प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल शुरू करने के लिए आइसीएमआर को लिखा है। जैसे ही इजाजत मिलेगी, यहां पर ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा। - डॉ. सुनंदा रैना, प्रिंसिपल मेडिकल कॉलेज जम्मू

मरीजों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें: गाबा

कैबिनेट सचिव राजीव गाबा ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए सभी उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता लोगों की जान बचाना और उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाना है। मुख्य सचिवों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग में कैबिनेट सचिव ने कहा कि हमारे प्रयास गंभीरता से जारी हैं। कई राज्यों ने टेस्ट करने की क्षमता को बढ़ाया है। निगरानी के सिस्टम को अधिक प्रभावी बनाया जा रहा है। कोरोना वायरस से निपटने के लिए हमें सतर्कता को बढ़ाना होगा। आर्थिक गतिविधियों को शुरू करने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दिशानिर्देशों का पालन किया जाए। स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ कोई हिंसा नहीं होनी चाहिए।


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