Move to Jagran APP

अस्पतालों में हेपेटाइटिस-बी, सी का होगा मुफ्त इलाज, जीएमसी जम्मू, श्रीनगर में होंगे मॉडल ट्रीटमेंट सेंटर Jammu News

जम्मू संभाग के जिला अस्पताल ऊधमपुर कठुआ डोडा और कश्मीर में अनंतनाग पुलवामा व बारामुला में निशुल्क इलाज और दवाइयों की सुविधा होगी।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 27 Jul 2019 11:17 AM (IST)Updated: Sat, 27 Jul 2019 11:17 AM (IST)
अस्पतालों में हेपेटाइटिस-बी, सी का होगा मुफ्त इलाज, जीएमसी जम्मू, श्रीनगर में होंगे मॉडल ट्रीटमेंट सेंटर Jammu News
अस्पतालों में हेपेटाइटिस-बी, सी का होगा मुफ्त इलाज, जीएमसी जम्मू, श्रीनगर में होंगे मॉडल ट्रीटमेंट सेंटर Jammu News

जम्मू, रोहित जंडियाल। जम्मू कश्मीर में हेपेटाइटिस-बी और हेपेटाइटिस-सी से पीडि़त मरीजों के लिए अच्छी खबर है। नेशनल हेल्थ मिशन के सहयोग से राज्य में मरीजों के लिए निशुल्क इलाज की व्यवस्था की है। केंद्र प्रायोजित योजना के तहत राज्य के छह जिला अस्पतालों व दो मेडिकल कॉलेजों को इसके लिए चुना है। दोनों जीएमसी में मॉडल ट्रीटमेंट सेंटर बनाए जाएंगे। इसमें माइक्रोबायोलॉजी विभाग में डायाग्नोसिस और गेस्ट्रोइन्ट्रोलॉजी विभाग में इलाज होगा। जम्मू संभाग के जिला अस्पताल ऊधमपुर, कठुआ, डोडा और कश्मीर में अनंतनाग, पुलवामा व बारामुला में निशुल्क इलाज और दवाइयों की सुविधा होगी।

loksabha election banner

ग्रामीण इलाकों में सामने आ रहे मामले : कश्मीर के चार जिलों अनंतनाग, पुलवामा, कुलगाम और शोपियां और जम्मू संभाग में डोडा, जम्मू, राजौरी और ऊधमपुर में हेपेटाइटिस-बी और हेपाटाइटिस-सी के कई मामले सामने आए हैं। जम्मू ककेकिश्तवाड़ जिले के वाडवां क्षेत्र में एक सौ से अधिक लोगों में हेपेटाइटिस-बी से पीडि़त पाए गए थे।

पांच किस्म का हेपेटाइटिस : हेपेटाइटिस पांच किस्म का है। हेपेटाइटिस-ए, बी, सी, डी और ई। सबसे अधिक खतरनाक हेपेटाइटिस-बी है। हेपेटाइटिस-ए के मामले बच्चों में अधिक हैं। इसका प्रमुख कारण गंदे पानी की सप्लाई है। हेपेटाइटिस-डी केवल उन्हीं को होता है जिनमें हेपेटाइटिस-बी वायरस भी होता है।

एड्स की तरह घातक है हेपेटाइटिस-बी : हेपेटाइटिस-बी से पीडि़त होने वाले को ङ्क्षजदगी से संघर्ष करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इस बीमारी का वायरस भी एचआइवी की तरह इंफेक्टेड खून चढ़ाने से, असुरक्षित यौन संबंधों से और मां से बच्बे को होता है। इस बीमारी को जिगर की सूजन के नाम से भी जाना जाता है। बच्चे के जन्म के तुरंत बाद हेपेटाइटिस-बी का इंजेक्शन लगाएं। इसके बाद बच्चे को एक महीने, तीन महीने और पंद्रह महीने का होने के बाद यह इंजेक्शन लगवाएं।

बीमारी का मरीजों को पता नहीं चलता : डॉ. गुप्ता

गेस्ट्रो विशेषज्ञ डॉ. बीबी गुप्ता का कहना है कि इसमें अधिकांश मरीजों को तभी पता चलता है जब उनका लीवर खराब होना शुरू हो जाता है। यह बीमारी फैलने का कारण इंफेक्टेड नीडल का इस्तेमाल करना है।  

अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.