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जम्मू-कश्मीर में निशुल्क व आवश्यक शिक्षा अधिकार नियम 2020 होगा लागू, चार सदस्यीय कमेटी गठित

आदेश की जानकारी स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव असगर सेमून ने दी है। बताते चले कि जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद केंद्र का शिक्षा अधिकार कानून लागू हो चुका है। इस कानून के तहत बच्चों को निशुल्क शिक्षा का पूरा अधिकार मिलेगा।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 07:42 PM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2020 07:42 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर में निशुल्क व आवश्यक शिक्षा अधिकार नियम 2020 होगा लागू, चार सदस्यीय कमेटी गठित
नए नियमों में प्राइवेट स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए कोटा निर्धारित किया जा सकता है।

जम्मू, राज्य ब्यूरो: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विद्यार्थियों को निशुल्क व आवश्यक शिक्षा अधिकार नियम 2020 के लिए सरकार ने चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। महा प्रशासनिक विभाग के आयुक्त सचिव कमेटी के चेयरमैन बनाए गए है। आपदा प्रबंधन, राहत और पुनर्वास विभाग के सचिव, पर्यटन विभाग के आयुक्त सचिव और वित्त विभाग के प्रतिनिधि को कमेटी में बतौर सदस्य शामिल किया गया है।

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वित्त विभाग के प्रतिनिधि का पद अतिरिक्त सचिव से कम नहीं होना चाहिए। कमेटी पंद्रह दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। कमेटी जम्मू-कश्मीर में विद्यार्थियों को आवश्यक व निशुल्क शिक्षा का अधिकार नियम 2020 में सारे पहलुओं पर विचार करने के साथ साथ इसके लिए संबंधित वित्तीय मुद्दों पर भी चर्चा करेगी। आदेश की जानकारी स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव असगर सेमून ने दी है। बताते चले कि जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद केंद्र का शिक्षा अधिकार कानून लागू हो चुका है। इस कानून के तहत बच्चों को निशुल्क शिक्षा का पूरा अधिकार मिलेगा। प्रमुख सचिव काफी समय से कह रहे थे कि इसके लिए नियम तैयार किए जाएंगे। अब उच्च स्तरीय कमेटी पंद्रह दिनों के भीतर नियम तैयार करके सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। बाद में इन का प्रस्ताव मंजूरी के लिए प्रशासनिक काउंसिल को भेजा जाएगा।

नियम जम्मू-कश्मीर में शिक्षा के ढांचे को मद्देनजर रखकर ही बनाएं जाएंगे। हालांकि जम्मू-कश्मीर में स्कूलों में पहले से ही निशुल्क शिक्षा उपलब्ध करवाई जाती है। वर्दियां और पुस्तकें भी आठवीं कक्षा तक वितरित की जाती है। केंद्र की मिड डे मील योजना भी लागू है जो प्रभावी तरीके से चल रही है। सूत्र बताते है कि नए नियमों में प्राइवेट स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए कोटा निर्धारित किया जा सकता है। सरकार की कोशिश है कि हर बच्चे को गुणवत्ता वाली शिक्षा हासिल हो और कोई भी शिक्षा से वंचित नहीं रहना चाहिए।  


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