जम्मू कश्मीर में अब अलगाववाद नहीं-राष्ट्रवाद चलेगा, शिक्षण संस्थानों में गैर पंजीकृत संगठनों पर लगेगी रोक
प्रशासन ने सुरक्षा एजेंसियों की मदद से कश्मीर विश्वविद्यालय इस्लामिक यूनिवर्सिटी आफ साइंस एंड टेक्नोलाजी समेत विभिन्न विश्वविद्यालयों और कालेजों में सक्रिय अलगाववादी मानसिकता के करीब 70 लोगों को चिन्हित किया है। ये सभी किसी न किसी कर्मचारी या फिर छात्र संगठन के साथ जुड़े हुए हैं।
श्रीनगर, नवीन नवाज : आतंकियों के समूल नाश और कश्मीर में स्थायी शांति बहाली के मिशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए सरकार ने अब जम्मू कश्मीर के शिक्षण संस्थानों को आतंकी व अलगाववादी तत्वों से पूरी तरह मुक्त कराने का अभियान छेड़ दिया है। विभिन्न कालेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षकों, गैर शिक्षक कर्मियों और छात्रों के सभी गैर पंजीकृत संगठनों की गतिविधियों पर रोक लगाने का फैसला किया गया है। ऐसे संगठनों को समाप्त करने और इनके पदाधिकारियों की पृष्ठभूमि की जांच कर तदनुसार कानूनी कार्रवाई भी की जा रही है।
प्रदेश प्रशासन ने शिक्षण संस्थानों को अलगाववादी गतिविधियों से मुक्त रखने के अभियान के तहत बीते एक माह के दौरान कश्मीर विश्वविद्यालय के दो प्रोफेसर को भी सेवामुक्त कर दिया है। इसके अलावा करीब एक दर्जन अन्य के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी है। प्रशासन ने सुरक्षा एजेंसियों की मदद से कश्मीर विश्वविद्यालय, इस्लामिक यूनिवर्सिटी आफ साइंस एंड टेक्नोलाजी समेत विभिन्न विश्वविद्यालयों और कालेजों में सक्रिय अलगाववादी मानसिकता के करीब 70 लोगों को चिन्हित किया है। ये सभी किसी न किसी कर्मचारी या फिर छात्र संगठन के साथ जुड़े हुए हैं। अधिकांश कश्मीर विश्वविद्यालय में ही हैं।
उच्च शिक्षा विभाग ने छात्र संगठनों का ब्योरा मांगा : प्रशासनिक सूत्रों ने बताया कि जम्मू कश्मीर उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश मेें सभी विश्वविद्यालयों और कालेज के निदेशकों को एक पत्र भेजा है। इसमें उनके संस्थान में सक्रिय संगठनों का ब्योरा मांगा गया है। उनसे पूछा गया है कि इनमें से कौन सा संगठन पंजीकृत है और कौन सा नहीं। इसके अलावा इन संगठनों के पदाधिकारियों के बैंक खाते इत्यादि की भी जानकारी मांगी गई है। अब सिर्फ पंजीकृत संगठन ही रहेंगे, अन्यों बंद कर दिया जाएगा।
कूटा और कुसु की गतिविधियां शुरू से रही हैं संदेह के घेरे में : एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि प्रदेश में करीब एक दर्जन ऐसे संगठन चिन्हित किए गए हैं जो सिर्फ किसी एक कालेज या विश्वविद्यालय तक सीमित हैं। उन्होंने कश्मीर विश्वविद्यालय में सक्रिय कश्मीर यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (कूटा) और कश्मीर यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (कुसु) का हवाला देते हुए कहा कि इनकी गतिविधियां शुरू से ही संदेह के घेरे में रही हैं। कूटा के पूर्व अध्यक्ष डा. अल्ताफ हुसैन पंडित को बीते सप्ताह ही सेवामुक्त किया गया है। वह पाकिस्तान से आतंकी ट्रेङ्क्षनग लेकर लौटा था और कश्मीर विश्वविद्यालय का गिलानी के नाम से जाना जाता था। इससे पूर्व कश्मीर ला कालेज के ङ्क्षप्रसिपल शेख शौकत हुसैन को बीते अप्रैल माह में सेवामुक्त किया गया था।
खातों से पैसा राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में हुआ है इस्तेमाल : अधिकारी ने बताया कि कूटा के कुछ अन्य सदस्यों के खिलाफ भी छानबीन जारी है। प्रो. मोहम्मद हुसैन के अलावा इसके मौजूदा अध्यक्ष डा. मुहीत अहमद बट की गतिविधियां भी जांच के दायरे में हैं। कूटा गैर पंजीकृत है और यह कश्मीर विश्वविद्यालय में राष्ट्रविरोधी और अलगाववादी गतिविधियों के प्रचार में पूरी तरह सक्रिय रही है। इसके बावजूद कूटा के नाम पर खाता भी बैंक में खोला गया और उसमें वित्तीय लेन देन भी हुआ है। बताया जा रहा है कि कूटा के खातों से पैसा राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल हुआ है।
भर्ती के समय नियमों और योग्यता के मानदंड को सुनिश्चित करें : जम्मू कश्मीर पुलिस और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि पांच अगस्त 2019 के बाद से शिक्षण संस्थानों में सक्रिय तत्वों की अलगाववादी और आतंकी संगठनों के साथ जुड़ी गतिविधियों की छानबीन की जा रही है। इसके तहत शिक्षण संस्थानों को साफ तौर पर कहा गया है कि किसी की भर्ती के समय संबंधित नियमों और योग्यता के मानदंड को हर स्थिति में सुनिश्चित करें।