Jammu Kashmir: पीएम पैकेज के 80 हजार करोड़ में से 4 वर्षों में महज 37 फीसद हुआ खर्च, गृह मंत्रालय ने लगाई फटकार
अधिकारी समय पर उपयोगिता प्रमाणपत्र दाखिल नहीं कर पाए। राज्य में पंचायत चुनाव और फिर संसदीय चुनाव के कारण भी यह काम किसी हद तक प्रभावित रहा है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू कश्मीर के विकास के लिए 80 हजार करोड़ रुपये के विकास पैकेज का मात्र 37 फीसद खर्च होने पर कड़ी नाराजगी जताई है। मंत्रालय ने निर्धारित पैकेज के तहत पांच वर्षों से जारी काम की धीमी गति होने पर प्रशासनिक अधिकारियों को भी फटकार लगाई है। मंत्रालय ने प्रशासन को लटकी परियोजनाओं को यथाशीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए। साथ ही संबंधित खर्च के उपयोगिता प्रमाणपत्र को निर्धारित समयावधि में संबंधित मंत्रालय में जमा कराने को सुनिश्चित करने के लिए कहा है।
पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के सत्तासीन होने के बाद नवंबर 2015 में कश्मीर दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री विकास कार्यक्रम (पीएमडीपी) के तहत इस पैकेज का एलान किया था। पैकेज सितंबर 2014 की विनाशकारी बाढ़ से निपटने के लिए बड़ा सहारा माना जा रहा था। पैकेज का पैसा पांच साल में खर्च कर चिन्हित परियोजनओं को पूरा करने का फैसला हुआ था।
63 में से सिर्फ 18 परियोजनाएं पूरीं : रिपोर्ट के मुताबिक, 80068 करोड़ के पैकेज में से 31 मार्च 2019 तक सिर्फ 30049 करोड़ जारी किए गए। पीएमडीपी के तहत जम्मू कश्मीर में 65291 करोड़ की राशि 63 परियोजनाओं के लिए मंजूर की गई है। इसमें बताया गया है कि जम्मू कश्मीर सरकार ने 63 में से सिर्फ 18 परियोजनाओं को चार साल में पूरा किया। चिन्हित अन्य परियोजनाओं पर काम जारी है, जो निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। यह योजनाएं पर्यटन, सड़क-पुल एवं भवन निर्माण, स्वास्थ, शिक्षा, पीएचई, बिजली, कृषि, बागवानी, खेल, उद्योग, उड़ान, हिमायत, दस्तकारी और आवास एवं शहरी विकास व आपदा प्रबंधन-राहत जैसे क्षेत्रों से संबंधित हैं।
इन पर चल रहा धीमी गति से काम : चार हजार करोड़ से राज्य में दो एम्स, दो हजार करोड़ से आइआइटी और आइआइएम, नौ हजार करोड़ से श्रीनगर लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर जोजिला सुरंग, 5100 करोड़ से जम्मू-अखनूर-पुंछ सड़क, टंगलंग और लच्छलुंगा पास में पांच हजार करोड़ से सुरंग निर्माण, श्रीनगर व जम्मू में 3750 करोड़ से ङ्क्षरग रोड बनाने की परियोजना शामिल है। इसके अलावा 4306 करोड़ से ऊधमपुर-रामबन-बनिहाल सड़क का चौड़ीकरण, 2410 करोड़ की लागत से काजीगुंड-बनिहाल, 8100 करोड़ लागत वाली 1000 मेगावाट की पकल दुल जलविद्युत परियोजना, 3500 करोड़ से बिजली वितरण ढांचे में सुधार और 1800 करोड़ से श्रीनगर-लेह के बीच 200 केवी टांसमिशन लाइन को बिछाने की परियोजनाएं प्रमुख हैं।
कई बार परियोजनाओं का काम रुका : योजना, विकास एवं निगरानी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि किसी भी परियोजनाओं को निर्धारित समयावधि में पूरा करना संबंधित प्रशासन की जिम्मेदारी है। अगर किसी परियोजना पर काम निर्धारित गति के साथ होता है तो संबंधित राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र केंद्र सरकार को समय पर भेजने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होती। उपयोगित प्रमाणपत्र के आधार पर संबंधित केंद्रीय मंत्रालय और केंद्र सरकार आगे की राशि जारी करती है। उन्होंने बताया कि राज्य में वर्ष 2016 के ङ्क्षहसक प्रदर्शनों और वर्ष 2017 व वर्ष 2018 में कानून व्यवस्था और प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों से पीएमडीपी के तहत जारी परियोजनाएं प्रभावित हुई। कई बार संबंधित परियोजनाओं का काम रुका। संबंधित अधिकारी समय पर उपयोगिता प्रमाणपत्र दाखिल नहीं कर पाए। राज्य में पंचायत चुनाव और फिर संसदीय चुनाव के कारण भी यह काम किसी हद तक प्रभावित रहा है।
उप राज्यपाल ने की बैठक, पूरी करें परियोजनाएं : केंद्र के निर्देश पर गत रोज जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल जीसी मुर्मू ने मुख्य सचिव व संबंधित प्रशासनिक सचिवों के साथ बैठक की। इसमें पीएमडीपी के तहत लंबित परियोजनाओं को जल्द पूरा करने की कार्ययोजना को अंतिम रूप देने के लिए कहा गया है।