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संस्कृत दिवस पर विशेष: सभी भाषाओं की आत्मा है संस्कृत, पर राज्य सरकार ने संस्कृत को लेकर कभी गंभीरता नहीं दिखाई

सेवानिवृत्त प्रो. राम प्रसाद का कहना है कि नई शिक्षा नीति में संस्कृत के विकास के लिए कुछ खास नहीं दिखा। किसी विदेशी भाषा के बजाए हमें संस्कृत को विकल्पिक भाषा बनाना चाहिए।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 05:08 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 05:08 PM (IST)
संस्कृत दिवस पर विशेष: सभी भाषाओं की आत्मा है संस्कृत, पर राज्य सरकार ने संस्कृत को लेकर कभी गंभीरता नहीं दिखाई
संस्कृत दिवस पर विशेष: सभी भाषाओं की आत्मा है संस्कृत, पर राज्य सरकार ने संस्कृत को लेकर कभी गंभीरता नहीं दिखाई

जम्मू, अशोक शर्मा : कई भाषाओं की जननी संस्कृत भाषा, जिसके महत्व को हर कोई जानता है। हमारे राजनेता, शिक्षाविद् अकसर इस भाषा की तारीफ में लंबे-लंबे भाषण देते रहते हैं लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि जम्मू-कश्मीर में संस्कृत के उत्थान के लिए कभी कोई प्रयास नहीं किया गया। हालांकि कुछ संस्कृत प्रेमियों और बुद्धिजीवियों के प्रयास से संस्कृत जीवित तो है लेकिन जो स्थान मिलना चाहिए था, वह नहीं मिल सका है।

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सबसे प्रचाीन भाषा होने के बावजूद नई शिक्षा नीति में भी संस्कृत की उपेक्षा की होती दिख रही है। वर्षो से संस्कृत के अध्यापकों तक की नियुक्तिया नहीं हुई। जिस कारण जो विद्यार्थी संस्कृत पढऩा भी चाहते हैं वह भी इससे बंचित रह जाते हैं। प्राचीन ग्रंथ, वेद, पुराण आदि की रचना संस्कृत में ही हुई है। उसके बावजूद हम संस्कृत पढऩे में असक्षम हैं। आज गिने चुने लोग ही संस्कृत पढ़ लिख सकते हैं। नाममात्र लोग ही संस्कृत बोल सकते हैं। हालत यह है कि रेडियो से प्रसारित होने वाले संस्कृत कार्यक्रम तक इस कारण बंद कर दिए गए कि संस्कृत के वक्ता नहीं मिलते।

हालांकि जम्मू यूनिवर्सिटी के संस्कृत विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. वेद कुमारी घई कहती है कि आज भी संस्कृत लोक प्रिय भाषा है। विद्यार्थी संस्कृत पढऩा चाहते हैं। जम्मू यूनिवर्सिटी के संस्कृत विभाग की सभी सीटें हर वर्ष भरती हैं। हां, जिस तरह के प्रोत्साहन की सरकार की तरफ से उम्मीद रही है। उस तरह का योगदान नहीं मिला है। पहले छठी से दसवीं तक संस्कृत विकल्पित विषय के तौर पर पढ़ायी जाती थी। धीरे-धीरे स्कूलों से यह भाषा दूर हो रही है। आज एमएचएसी नागबनी, विद्यापीठ आदि कुछ स्कूलों या केंद्रीय विद्यालयों में संस्कृत पढ़ाई जाती है जबकि दूसरे नीजि स्कूलों में संस्कृत पढ़ाने के बजाए उन्हें विदेशी भाषाएं पढ़ाने पर जोर दिया जाता है। हमें याद रखना चाहिए कि संस्कृत जानने से हम कई भाषाएं आसानी से सीख सकते हैं। खासकर दक्षिण भारत की अधिकतर भाषाओं में संस्कृत के बहुत ज्यादा शब्द हैं।

जम्मू यूनिवर्सिटी से सेवानिवृत्त प्रो. राम प्रसाद का कहना है कि नई शिक्षा नीति में संस्कृत के विकास के लिए कुछ खास नहीं दिखा। किसी विदेशी भाषा के बजाए हमें संस्कृत को विकल्पिक भाषा बनाना चाहिए। हिन्दी क्योंकि हमारी राष्ट्र भाषा है। इस लिए हिन्दी तो सभी को पढऩी ही पढ़ती है। ऐसे में 25 प्रतिशत हिन्दी का पेपर संस्कृत का होना चाहिए। सिर्फ जम्मू विश्वविद्यालय में ही नहीं जम्मू-कश्मीर के दूसरे विश्वविद्यालयों में भी संस्कृत विभाग स्थापित किए जाने चाहिए। सरकार की ओर से संस्कृत के सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किए जाने चाहिए। यहां तक संस्कृत में रोजगार की संभावनाओं की बात है, तो संभावनाओं की कोई कमी नहीं है। कम से हम अपनी जड़ों से जुड़ ही सकेंगे। धर्म के नाम पर कोई हमें ठग तो नहीं सकेगा। विभाग में होते हुए संस्कृत स्कालरों ने कई बार सरकार को संस्कृत के उत्थान के लिए काम करने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए लेकिन उन पर कभी अमल नहीं हुआ।  

जम्मू कश्मीर में संस्कृत भाषा की स्थिति: मंदिरों के शहर जम्मू में अनेक देवी देवताओं के शक्तिपीठ स्थापित हैं ऐसे में आवश्यकता है कि इन प्राचीन धरोहरों एवं साहित्य का संरक्षण का जिम्मा संस्कृतज्ञ अपने कन्धों पर वहन करें । सेंट्रल संस्कृत यूनिवर्सिटी श्री रणवीर परसिर कोट भलवाल जम्मू-कश्मीर, इसका संचालन मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा किया जाता है वर्तमान में विश्वविद्यालय में कक्षा 11 से विद्याभारती (पीएचडी) तक कक्षायें चलती है और वर्तमान में 400 विद्यार्थी संस्कृत पढ़ रहे हैं। इस वर्ष 60 नई एडमिशन हुई है।

श्री माता वैष्णो देवी गुरुकुल कटरा में है। इसका संचालन श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड करती हैं। विद्यालय की मान्यता सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से प्राप्त है। वर्तमान में विद्यालय में कक्षा 6 से शास्त्री (बी ए) तक कक्षायें चलती है और हर वर्ष 20 नई एडमिशन होती है और वर्तमान में 170 विद्यार्थी संस्कृत पढ़ रहे हैं। श्री गुरु गंगदेव जी संस्कृत विद्यालय शिव काशी सुंदरबनी में की स्थापना सन 1999 में हुई थी इसका संचालन राजगुरु महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती जी कर रहे हैं। विद्यालय की मान्यता राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान मानित विश्वविद्यालय नई दिल्ली से प्राप्त है। वर्तमान में विद्यालय में कक्षा 6 से आचार्य (एम .ए) तक कक्षायें चलती है और इस वर्ष 60 नई एडमिशन हुई है और वर्तमान में 200 विद्यार्थी संस्कृत पढ़ रहे हैं।

श्री रगुनाथ संस्कृत महाविद्यालय वीरपुर जम्मू में हैं। इसका संचालन जम्मू कश्मीर धर्माथ ट्रस्ट जम्मू कश्मीर करती है। विद्यालय की मान्यता जम्मू कश्मीर स्कूल बोर्ड ऑफ एडुकेशन से प्राप्त है। वर्तमान में विद्यालय में कक्षा 6 से कक्षा 12 तक कक्षायें चलती है और हर वर्ष 15 नई एडमिशन होती हैं। वर्तमान में 55 के करीब विद्यार्थी संस्कृत पढ़ रहे हैं। जम्मू कश्मीर में वर्तमान 15 कॉलेजों में संस्कृत पढ़ाई जाती है। हर वर्ष 1800 हजार के आस पास विद्यार्थि संस्कृत पढ़ते हैं। जम्मू विश्वविद्यालय संस्कृत बिभाग में हर वर्ष तकरीब 60 नई एडमिशन होती है और वर्तमान में 95 विद्यार्थी संस्कृत पढ़ रहे हैं। कश्मीर विश्वविद्यालय वर्तमान में 6 के करीब विद्यार्थी संस्कृत पढ़ रहे हैं। उच्चशिक्षा 10+2 में करीब 1000 हर वर्ष विद्यार्थी संस्कृत पढ़ते हैं। बसहोली में भी डा. उत्तम चंद शास्त्री पाठक जी, आचार्य चूड़ामणि संस्कृत विद्यालय चलाते हैं और 30 के करीब विद्यार्थी संस्कृत पढ़ते हैं।

देववाणी संस्कृत है कम्प्यूटर के उपयोग के लिए सर्वोत्तम भाषा: जम्मू कश्मीर में देववाणी संस्कृत की स्थिति को लेकर महंत रोहित शास्त्री ने बताया संस्कृत विश्व की सब से प्राचीन भाषा है तथा समस्त भाषाओं की जननी है। संस्कृत का शाब्दिक अर्थ है परिपूर्ण भाषा, संस्कृत पू्र्णतया वैज्ञानिक तथा सक्षम भाषा है। संस्कृत भाषा के व्याकरण ने विश्व भर के भाषा विशेषज्ञों का ध्यानाकर्षण किया है। यह भाषा कम्पयूटर के उपयोग के लिये सर्वोत्तम भाषा है।

संस्कृत भाषा की लिपि देवनागरी लिपि है। इस भाषा को ऋषि मुनियों ने मन्त्रों की रचना कि लिये चुना क्योंकि इस भाषा के शब्दों का उच्चारण मस्तिष्क में उचित स्पन्दन उत्पन्न करने के लिये अति प्रभावशाली था। इसी भाषा में वेद प्रगट हुये, तथा उपनिष्दों, रामायण, महाभारत और पुराणों की रचना की गयी। मानव इतिहास में संस्कृत का साहित्य सब से अधिक समृद्ध और सम्पन्न है। संस्कृत भाषा में दर्शनशास्त्र, धर्मशास्त्र, विज्ञान, ललित कलायें, कामशास्त्र, संगीतशास्त्र, ज्योतिषशास्त्र, हस्त रेखा ज्ञान, खगोलशास्त्र, रसायनशास्त्र, गणित, युद्ध कला, कूटनिति तथा महाकाव्य, नाट्य शास्त्र आदि सभी विषयों पर मौलिक तथा विस्तरित गृन्थ रचे गये हैं। कोई भी विषय अनछुआ नहीं बचा। संस्कृत सृष्टि सूत्रों में बंधी भाषा है। राज्यस्थान की तर्ज पर जम्मू कश्मीर में भी संस्कृत मंत्रालय की स्थापना होनी चाहिए। जम्मू कश्मीर में संस्कृत विश्वविद्यालय, संस्कृत अकादमी एवं जम्मू कश्मीर संस्कृत संस्थान की स्थापना हो।

सावन पूर्णिमा को मनाया जाता है संस्कृत दिवस: भारत में हर वर्ष सावन पूर्णिमा के अवसर पर संस्कृत दिवस मनाया जाता है। सावन पूर्णिमा पर ऋषियों का स्मरण तथा पूजा की जाती है। ऋषि ही संस्कृत साहित्य के आदि स्रोत हैं। इस लिए सावन पूर्णिमा को ऋषि पर्व और संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष 03 अगस्त सोमवार को मनाया जाएगा। अक्सर संस्कृत दिवस कुछ स्कूल, कालेज, संस्कृत विद्यापीठ, गुरूकुल आदि इस अवसर पर संस्कृत कवि सम्मेलन, साहित्यिक गोष्ठी, छात्रों का भाषण और श्लोकोच्चारण प्रतियोगिता आदि का आयोजन करवाते थे लेकिन इस वर्ष कोरेाना संक्रमण के चलते पहले की तरह कार्यक्रम नहीं हो सकेंगे। श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान महंत रोहित शास्त्री ने संस्कृत प्रेमियों से आग्रह किया है कि कोरोना महामारी के चलते 3 अगस्त संस्कृत दिवस के दिन पौधारोपण कर इस दिवस को घर में रहकर मनाएं।


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