Jammu Kashmir : रेशम उत्पादन से जुड़े किसानों के लिए की समग्र योजना बनी वरदान, जानें क्या हो रहा लाभ
सरकार शहतूत वृक्षारोपण को विस्तार दे रही है ताकि रेशम कीट पालकों के लिए पत्ती की उपलब्धता के साथ साथ हरित संपदा को भी बढ़ाया जा सके। वन विभाग और रेशम विभाग को हरित मिशन के लक्ष्य काे प्राप्त करने के लिए संयु़क्त रूप से प्रयास करने की जरुरत है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में रेशम उत्पादन को बढ़ाने व इससे संबधित किसानों की आर्थिक व सामाजिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए सिल्क समग्र योजना के दूसरे चरण के तहत 35 करोड़ की राशि आबंटित की है। इससे रेशम उत्पादन से जुड़े 27 हजार परिवार लाभान्वित होंगे।
यह जानकारी उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शेरे कश्मीर इंटरनेशनन कन्वेंशन सेंटर एसकेआइसीसी में जम्मू कश्मीर में रेशम उत्पादन, सिल्क समग्र और इससे आगे विषय पर आयोजित एक कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में अपने संबोधन में दी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में वर्ष 2017-18 में शुरु की गई यह योजना देश के साथ साथ जम्मू कश्मीर में भी रेशम उद्योग को एकीकृत रूप में समर्थन प्रदान करते हुए , रेशम उत्पादन को टिकाऊ और लाभकारी बनाने में क्रांतिकारी साबित हुई है। जम्मू कश्मीर प्रशासन ने इसके लिए रिवाल्विंग फंड को 70 लाख से बढ़ाकर 3.50 करोड़ किया है।
रेशम उत्पादन से जुड़े किसानों को बेहतर बनाना हमारा लक्ष्य : उपराज्यपाल ने जम्मू कश्मीर में रेशम उत्पादन क्षेत्र के समग्र विकास में वैज्ञानिकों, अधिकारियों और किसानों समेत सभी हितधारकों के प्रयासों की सराहना करते हुए यह कार्यशाला जम्मू कश्मीर में रेशम उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकारी योजनाओं और अतयाधुनिक तकनीक के बारे में संबधित लोगों को जागरुक बनाने के लिए एक प्रभावी माध्यम साबित होगी। उन्होंने कहा कि रेशम का कपड़ा हरेक का सपना होता है। हमारा लक्ष्य है कि इसके उत्पादन से जुड़े किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के साथ साथ ही जम्मू कश्मीर की शिल्प की पहचान के अनुरुप इसकी विशिष्टता और सुंदरता काे भी सुनिश्चित किया जा सके।
बुनियादी सुविधाओं को सुनिश्चित कर रही सरकार : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उल्लेख करते हुए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में प्रदेश सरकार रेशम उत्पादन को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी इनपुट, आईटी उपकरण समेत सभी बुनियादी सुविधाओं को सुनिश्चित कर रही है। कृषि व संबधित क्षेत्रों के समन्वित विकास का रोडमैप न सिर्फ उत्पाद गुणवत्ता और मात्रा को बढ़ाएगा बल्कि वैश्विक मांग को भी बढ़ाने में सहयोग करेगा। हमें पीढ़ी- दर- पीढ़ी मिले इस कौशल को आर्थिक रूप से औार अधिक आकर्षक व लाभकारी बनाने की जरुरत है।
सरकार शहतूत वृक्षारोपण पर भी कर रही काम : उपराज्यपाल ने बताया कि प्रदेश सरकार शहतूत वृक्षारोपण को विस्तार दे रही है ताकि रेशम कीट पालकों के लिए पत्ती की उपलब्धता के साथ साथ हरित संपदा को भी बढ़ाया जा सके। वन विभाग और रेशम विभाग को हरित मिशन के लक्ष्य काे प्राप्त करने के लिए संयु़क्त रूप से प्रयास करने की जरुरत है। उन्होंने आयातित रेशम पर निर्भरता घटाने के लिए रेशम उत्पादन में नवीनतम तकनीक को अपनाने पर जोर देते हुए बताया कि अनुसंधान और विकास, प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और आईटी हस्तक्षेप के लिए देश के तीन महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक दक्षिण कश्मीर के पांपोर में स्थापित किया गया है।
पहले चरण में लगभग 900 रेशमकीट पालनकर्ता हुए लाभान्वित : रेशम समग्र योजना का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि इसके पहले चरण में लगभग 900 रेशमकीट पालनकर्ता सीधे लाभान्वित हुए हैं। इसके अलावा 618 रेशमकीट पालनगृह भी स्थापित किए गए हैं। अब रेशम बोर्ड ने सिल्क समग्र योजना के दूसरे चरण के तहत जम्मू कश्मीर को 35 करोड़ रूपये की राशि आबंटित की है। इससे रेशम कीट पालन और रेशम उद्योग से संबधित 27 हजार परिवार लाभान्वित होंगे।केंद्रीय रेशम बोर्ड, कपड़ा मंत्रालय आने वाले समय में इस क्षेत्र में जम्मू कश्मीर के लिए वित्तीय सहायता को आवश्यक्तानुरुप बढ़ाएगा ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान और उद्यमी लाभान्वित हों।
पांच प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया : कृषि सूचना साझा करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए आवश्यक सुविधाएं विकसित करने व उन्हें रेशम उत्पादन एफपीओ से जुड़ाव प्रदान करने के लिए एक मजबूत समर्थन प्रणाली तैयार करने के लिए विज्ञान केंद्रों को भी रेशम कीट पालन में शामिल करने का भी सुझाव दिया। उन्होंन इस अवसर पर रेशम उत्पादन में शामिल पांच प्रगतिशील किसानों को सम्मानित करते हुए प्रत्येक को 1.57 लाख का चेक भेंट किया। उन्होंने रेशम उत्पादन पर एक द्विभाषी पुस्तक का विमोचन भी किया। इस अवपसर पर जम्मू कश्मीर में रेशम उत्पादन के इतिहास, रेशम कीट पालन और रेशम उत्पादन की मौजूदा स्थिति पर आधारित एक दस्तावेजी फिल्म भी दिखाई गई।