फुटबॉल को बढ़ावा न देने पर जम्मू-कश्मीर फुटबॉल एसोसिएशन ने डीएफए की भंग
डीएफए जम्मू के पदाधिकारियों की नालायकी से नाराज होकर ही अधिकतर सदस्य जेकेएफए के साथ आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं।
जम्मू, विकास अबरोल। संभाग में फुटबॉल गतिविधियों को बढ़ावा नहीं देने का खामियाजा देर से सही आखिरकार डिस्ट्रिक्ट फुटबॉल एसोसिएशन (डीएफए) जम्मू को उठाना ही पड़ा। जम्मू संभाग का प्रतिनिधित्व करने वाले कुल 55 में से 49 क्लब के प्रतिनिधियों द्वारा डीएफए जम्मू के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंकने के बाद जम्मू-कश्मीर फुटबॉल एसोसिएशन (जेकेएफए) ने दबाव में आकर डीएफए जम्मू को भंग कर दिया गया है और उसके तीनों पदाधिकारियों को अपनी सदस्यता से त्यागपत्र भी देना पड़ा है।
जम्मू संभाग में 55 क्लब में से 49 क्लब के सदस्यों को जम्मू-कश्मीर फुटबॉल एसोसिएशन के चुनाव में वोट करने का अधिकार है। इन्हीं क्लब के सदस्यों ने डीएफए जम्मू द्वारा जम्मू संभाग के सभी 10 जिलों में फुटबॉल खेल को बढ़ावा नहीं देने पर आपत्ति जताई। इतना ही नहीं टीम चयन के दौरान जम्मू संभाग के खिलाड़ियों को नजरअंदाज करना, संतोष ट्रॉफी फुटबॉल के लिए ट्रॉयल करने के बावजूद जम्मू-कश्मीर फुटबॉल एसोसिएशन की हाई कमान द्वारा भेजी गई खिलाड़ियों की सूची में शामिल खिलाड़ियों को ही उत्तराखंड में गत महीने आयोजित संतोष ट्रॉफी में भेजना एक प्रमुख वजह रही है।
डीएफए जम्मू के पदाधिकारियों की नालायकी से नाराज होकर ही अधिकतर सदस्य जेकेएफए के साथ आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। सदस्यों का कहना है कि जेकेएफए का मुख्य काम जम्मू-कश्मीर में फुटबॉल खेल को बढ़ावा देना है। इसके लिए स्पोटर्स काउंसिल की ओर से उन्हें करोड़ों रुपए की राशि जारी की जाती रही है। लेकिन बावजूद इसके जेकेएफए ने हिमाचल प्रदेश में गत महीने संपन्न हुई लड़कों के वर्ग की अंडर-14 सब जूनियर फुटबॉल प्रतियोगिता और आंध्र प्रदेश में आयोजित महिला वर्ग की सीनियर नेशनल फुटबॉल प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए जम्मू-कश्मीर की टीम नहीं भेजी। जो खेल के दृष्टिकोण से एक गंभीर मामला है।
जम्मू संभाग के 10 जिलों में फुटबॉल प्रतियोगिता के आयोजन की जिम्मेदारी जेकेएफए की प्रांतीय कमेटी के उपप्रधान रमेश चंद्र और कुलदीप सिंह पर रही है। नाराज पूर्व खिलाडिय़ों का कहना है कि इस संदर्भ में उन्होंने गत सप्ताह जेकेएफए के अध्यक्ष जमीर ठाकुर को पूरे मामले से अवगत करवाया। उनके दबाव में आने के उपरांत ही डीएफए जम्मू को भंग कर दिया गया है। डीएफए जम्मू के अध्यक्ष शेख महमूद, महासचिव युसूफ डान और कोषाध्यक्ष राजेश द्वारा अपने पदों से त्यागपत्र दे दिया गया है। अब जम्मू संभाग के पंजीकृत क्लबों के सदस्यों द्वारा 13 सदस्यीय एडहॉक कमेटी का गठन किया गया है। इनकी जल्द ही बैठक होने वाली है। इसमें 13 सदस्यों द्वारा तीन सदस्यीय कमेटी चुनी जाएगी जिन पर जम्मू संभाग में फुटबॉल गतिविधियों को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी रहेगी।
उधर, कश्मीर संभाग में भी 400 से अधिक पंजीकृत क्लब हैं। इनमें से 140 क्लब के सदस्यों को चुनाव में वोट करने का अधिकार है। इनमें कई पूर्व अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी भी शामिल हैं जो जेकेएफए के मौजूदा अध्यक्ष जमीर ठाकुर और महासचिव बीए शाह की कारगुजारी से नाखुश हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में कश्मीर संभाग और जम्मू संभाग के सदस्यों की बैठक होने की संभावना है। इसमें जेकेएफए के मौजूदा पदाधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए रणनीति बनाई जाएगी। गौरतलब है कि गत डेढ़ वर्ष पहले डीएफए कठुआ को भी फुटबाल खेल को बढ़ावा नहीं देने के कारण भंग कर दिया गया था।