Jammu Kashmir : जम्मू-कश्मीर वित्त विभाग ने 25 फीसद धनराशि जारी करने को मंजूरी दी
वित्त विभाग ने आदेश जारी कर कहां है कि किसी भी विभाग के पास देनदारी नहीं होनी चाहिए और निर्धारित तिथि पर सभी विकास कार्य जारी रहने चाहिए। जिला स्टैटिसटिकल व इवेल्यूऐशन अधिकारी प्रोजेक्ट की फिजिकल निगरानी करके एक महीने के अंदर रिपोर्ट करेगा।
जम्मू, राज्य ब्यूरो : वित्त विभाग ने केंद्र शासित प्रदेश और जिला पूंजी बजट के तहत 25 फीसद और धनराशि जारी करने को मंजूरी दे दी है। यह धनराशि सभी विभागों और जिलों को दी जाएगी। विभाग इससे पहले बजट की 50 फीसद धनराशि पहले ही जारी कर चुका है।
भूमि मुआवजा, उपयोगिता स्थानांतरण, शहरों और कस्बों में लोक निर्माण विभाग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग और मुगल रोड के लिए सौ फीसद धनराशि पहले ही अधिकृत की जा चुकी है। वित्त विभाग ने आदेश जारी कर कहां है कि किसी भी विभाग के पास देनदारी नहीं होनी चाहिए और निर्धारित तिथि पर सभी विकास कार्य जारी रहने चाहिए। जिला स्टैटिसटिकल व इवेल्यूऐशन अधिकारी प्रोजेक्ट की फिजिकल निगरानी करके एक महीने के अंदर रिपोर्ट करेगा।
ई- टेंडरिंग और अन्य सभी प्रावधान लागू होनी चाहिए। विभागों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उन्हें विकास कार्य वित्त वर्ष 2021-22 में पूरे करने हैं। विभाग इसकी विस्तार से रिपोर्ट और प्रोजेक्ट की प्रगति की जानकारी वित्त विभाग को देंगे।
लावडा नहीं अब एलसीएमए कहिए जनाब : केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश सरकार ने बुधवार को झील एवं जलमार्ग विकास प्राधिकरण (लावडा) का नाम बदल दिया। अब इसे जम्मू कश्मीर झील संरक्षण एवं प्रबंधन प्राधिकरण (जेके एलसीएमए) के नाम से जाना जाएगा।लावडा का गठन जम्मू कश्मीर में झीलों के संरक्षण और वादी में विभिन्न दरियाओं का इस्तेमाल आम नागरिकों की आवाजाही के लिए सुनिश्चित करने के लिए 11 अप्रैल 1997 में किया था। अलबत्ता, लावडा ने खुद को डल एवं नगीन झील के संरक्षण और प्रबंधन तक ही सीमित रखा हुआ है।
प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में स्थित अन्य झीलों के संरक्षण एवं विकास की तरफ लावडा तथाकथित तौर पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे रही थी। इसी बीच, वुल्लर झील के संरक्षण एवं विकास के लिए एक अलग संस्था वुल्लर संरक्षण एवं प्रबंधन प्राधिकरण का गठन किया गया। कश्मीर प्रांत की अन्य झीलों के अलावा जम्मू प्रांत में सुरुईंसर, मानसर और सन्नासर समेत सभी प्रमुख झीलों के विकास के लिए कोई एक संस्था नहीं है।
संबधित प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि झीलों के समग्र संरक्षण, विकास और प्रबंधन को पूरी तरह व्यवस्थित,पारदर्शी बनाने और उपलब्ध संसाधनों के सदुपयोंग को सुनिश्चित बनाने के लिए ही प्रशासन ने लावडा का नाम बदलकर जेके-एलसीएमए किया गया है ताकि यह संस्था अपने मूल उद्देश्य के अनुरुप प्रदेश में समस्त झीलों के संरक्षण के लिए काम कर सके। यह पूछे जाने पर कि क्या वुल्लर झील के संरक्षण केलिए गठित प्राधिकरण को समाप्त कर एलसीएमए के दायरे में लाया जाएगा तो उन्होंने इससे इंकार करते हुए कहा कि फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है। अलबत्ता, जलमार्गों के विकास के लिए अलग से कोई संस्था गठित की जा सकती है।