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खेत खलिहान: एसएमएस से भी मिलेगी फसलों को होने वाली बीमारी की जानकारी

जम्मू संभाग में 24 प्लांट क्लीनिक स्थापित किए गए हैं जहां दो दर्जन पौध डाक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 08 Mar 2019 11:25 AM (IST)Updated: Fri, 08 Mar 2019 11:25 AM (IST)
खेत खलिहान: एसएमएस से भी मिलेगी फसलों को होने वाली बीमारी की जानकारी
खेत खलिहान: एसएमएस से भी मिलेगी फसलों को होने वाली बीमारी की जानकारी

जम्मू, जागरण संवाददाता। अगर फसलों पर कोई अज्ञात बीमारी आ गई है या कोई पौधा कमजोर लग रहा है तो किसानों को अपनी मर्जी से दवाओं के छिड़काव करने से परहेज करना चाहिए। अब तो कृषि विभाग ने विभिन्न क्षेत्रों में प्लांट क्लीनिक खोल दिए हैं जहां पौधे का डाक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अगर कोई पौधा बीमार है या फसलों पर कोई बीमारी लगती दिख रही है तो पौधे को तुरंत इन क्लीनिकों में ले जाएं। क्योंकि यहां तैनात डाक्टर पौधे की जांच करेगा और जो बीमारी होगी पर्ची पर उसकी दवा भी लिख देगा और शुल्क भी नही लेगा। यहीं नही बीमारी के बारे में विस्तृत जानकारी किसानाें को उनके मोबाइल फोन पर एसएमएस के जरिए भी भेजी जाएगी। बस आपको बाजार से दवा खरीदनी है और पौध डाक्टर द्वारा दी गई सलाह मुताबिक दवाओं का छिड़काव करना है। इसलिए किसानों को चाहिए कि प्लांट क्लीनिक का लाभ उठाएं। क्योंकि इन केंद्रों पर बीमारियों की जांच के लिए पूरे बंदोबस्त हैं।

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जम्मू संभाग में 24 प्लांट क्लीनिक स्थापित किए गए हैं, जहां दो दर्जन पौध डाक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यह प्लांट क्लीनिक बसोहली, राजबाग, दियालाचक, बिलावर, कठुआ, घघवाल, रामगढ़, सरोर, रईयां, विजयपुर, अरनियां, बासपुर बंग्ला, मढ़, मंडाल फलाएं, तालाब तिल्लो, कालाकोट, सुंदरबनी, नौशहरा व राजौरी , चनैनी, ऊधमपुर कस्बा, रामनगर, मजालता में स्थापित हैं।

यह प्लांट क्लीनिक दूसरे व तीसरे बुधवार को किसानों के लिए खुली रहती हैं। जबकि तालाब तिल्लो जम्मू में स्थित प्लांट हेल्थ क्लीनिक हर वर्किंग दिन पर खुली रहेगी। प्लांट हेल्थ क्लीनिक के इंचार्ज अरुण कुमार खजुरिया का कहना है कि क्लीनिकों प पहुंचने वाले किसानों को सावधानी यह बरतनी है कि वे बीमार पौधे का सेंपल मिट्टी समेत लेकर आए ताकि पौधे की जांच पड़ताल करने में आसानी रहे। वहीं कहा कि अगर फसलों को बीमारी लग रही हो तो किसान अपनी मनमर्जी तरीके से दवाओं का छिड़काव न करें। पहले पौधे का सेंपल लेकर क्लीनिक आएं । जांच में पता चलने के बाद पौध डाक्टर दवा लिखकर देगा, फिर उस दवा का छिड़काव किया जाए।

फसलों की तरफ दें ध्यान, हल्दी रोग से बचाएं

बारिशों के दौर के बाद अब मौसम साफ रहेगा, इसलिए किसानों को चाहिए कि गेहूं के खेतों से पानी की निकासी करें। क्योंकि जमीनें पहले ही नमीं से भरपूर है और अतिरिक्त पानी फसलों को खराब करेगा। किसानों को चाहिए कि खेतों में पानी को खड़ा नही रहनें दे। आने वाले दिनों में अच्छी धूप मिलेगी, ऐसे में जितनी जल्दी जमीन से अतिरक्त नमी पट जाए, फसलों के लिए बेहतर रहेगा। वहीं इन दिनों गेहूं की फसल पर हल्दी रोग आने का डर अलग से बना रहता है। किसान पूरे खेतों का मुआयना करें और देखें कि कहीं फसल पर पीले धब्बे तो नही । अगर हो तो फिर इलाज करना पड़ेगा। खेतों पर गुजरने पर पकड़ों पर पीला रंग साफ दिखाई देगा। यही नही यह रंग उड़ उड़ कर दूसरे पौधों पर गिरने से यह रोग फैलता ही जाता है। इसलिए लक्षण दिखने के बाद दवाओं का छिड़काव किया जाना चाहिए। प्रोपीकोनाजोल 0.1 फीसद का छिड़काव 15-15 दिनों बाद किया जाना चाहिए। कोशिश हो कि बीमार पौधे को जड़ से निकाल पर जमीन में दबा दिया जाए।

मिलीबग से निपटने के लिए करे उपाय

मिली बग सफेद रंग के छोटे छोटे कीट होते हैं जोकि इन दिनों पेड़ों पर चढ़ना आरंभ हो चुके हैं। इन कीटों के अंडे जमीन में रहते हैं और यही से पनप कर कीट में बदल जाते हैं और इनकी फौज धीरे धीरे पेड़ पर चढ़ जाती है और पत्तों का रस चूस लेती है। बाद में पेड़ का हाल यह रहता है कि फल का उत्पादन गिर जाता है। आम, अमरूद, आमला पर इन कीटों का अक्सर हमला रहता है। इसलिए किसानों को थोड़ी सूझबूझ दिखानी होगी और इन कीटीें पर नियंत्रण करना होगा। नही तो एक समय ऐसा आएगा कि पेड़ पर बहुत तज्यादा मिलीबग के कीट हो जाएेंगे और पत्तों का रस चूस लेंगे जिससे पत्ते गिरना आरंभ हो जाएंगे। शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी आफ एग्रीकल्चर, साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी की वैज्ञानिक डा. रीना ने किसानों को राय दी है कि वे सावधानी बरतें और अपने फलदायक पेड़ों को इन कीटों से बचाएं। अगर आम का पेड़ हैं तो एक पालिथीन लिफाफा लेना है और इसपर अच्छी से ग्रीस लगा देनी है और लिफाफा पेड़ के तने पर बांध देना है। ग्रीस के कारण मिलीबग के कीट पेड़ पर नही चढ़ पाएंगे। अगर दूसरे पेड़ हैं जैसे अमरूद या आमला तो चूने में गौ मूत्र मिलाकर तने के काफी हिस्से पर लेप लगाएं। इससे कीट पेड़ पर नही चढ़ पाएंगे। वहीं एक ओर तरीका है कि फलदायक पेड़ों के तने के किनारे जमीन पर रेत का गोल दायरा बना दें। इससे कीट पेड़ तक नही पहुंच पाएगा। वहीं जो कीट पेड़ों पर अपना डेरा जमा चुके हैं, उनसे निजात पाने के लिए टहनहयों की हल्की कांट छांट करना ठीक रहेगा। इस तरह की सावधानियों को बरत कर किसान फलों की अच्छी पैदावार पा सकता है।

कुछ जरूरी बातें

-चूंकि पिछले दिनों अच्छी बारिशें हुई हैं, ऐसे में तमाम फसलों को पानी देकर जमीन की नमीं को और न बढ़ाया जाए।

-गुलाब की पुरानी टहनियों की कांट छांट की जाए।

-गेंदें की फसल को बीमारियों से बचाने के लिए फुंगीसाइड दवाओं का छिड़काव किया जाए।

-अभी भी शाम को काफी ठंड है। माल मवेशी का विशेष ध्यान रखा जाए।

-मधुमक्खियों की कालोनियों को सरसों के फूलों की खेती के पास ले जाएं ताकि फूलों की उपलब्धता मिल सके।

-बाग बगीचों में साफ सफाई करें, जमा पानी को बाहर निकालें।

- दूध देने वाले मवेशी से दूध दोहने के बाद व पहले थनों को पानी से अच्छी तरह से साफ करें। 


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