Jammu Kashmir Budget 2021-22: मोदी सरकार केवल आंकड़ों में दिखाती है बजट, जमीनी हकीकत कुछ ओर
Jammu Kashmir Budget 2021-22 पूर्व मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रमण भल्ला ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन द्वारा गत बुधवार को पेश किए गए जम्मू कश्मीर के बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए यह बात कही।
जम्मू्, जेएनएन। मोदी सरकार हर बार बजट के नाम पर बड़े-बड़े आंकड़े दिखाकर लोगों को गुमराह नहीं कर सकती। जनता भाजपा सरकार को समझ चुकी है। जमीनी हकीकत यह है कि आज आम नागरिक महंगाई के बोझ तले दबता जा रहा है। जम्मू-कश्मीर की बात करें तो यहां जो पिछले साल बजट के नाम पर विकास के बड़े-बड़े दावे किए गए थे, वे भी हकीकत से कोसों दूर हैं।
पूर्व मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रमण भल्ला ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा गत बुधवार को पेश किए गए जम्मू-कश्मीर के बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगो के साथ भाजपा सरकार ने धोखा किया है। पर्यटन की बात करें तो केंद्र में भाजपा सरकार आने के बाद भी पर्यटन क्षेत्र में कोई सुधार नहीं हुआ। जम्मू के पर्यटन स्थलों मानसर, सरूईंसर, कठुआ थींन बांध, बनी-बसोहली सहित अन्य की बात करें तो उनकी दूरदशा आज भी वैसी ही है। सड़कों की बात हो या फिर मूलभूत सुविधाओं की, यहां आने वाले पर्यटकों को काफी दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं।
राज्य के प्रवेश द्वार लखनपुर में भी पर्यटकों के साथ बेहतर व्यवहार नहीं होता। जम्मू-कश्मीर के भाजपा नेता इस बारे में कोई बात नहीं करते। बजट के नाम पर लाखों के आंकड़े दिखाने से कुछ नहीं होगा। जनता तभी विश्वास करेगी जब जमीन पर कुछ होता नजर आएगा। भाजपा सरकार झूठ का पुलिंदा बन चुकी है। जब तक महंगाई पर काबू नहीं पाया जाएगा गरीबों का भला नहीं हो सकता। मोदी सरकार को चाहिए कि वह महंगाई को कम करने के लिए जल्द प्रभावी कदम उठाए। पेट्रोल-डीजल और गैस पर लगाए गए अतिरिक्त टैक्स समाप्त करें। इनके दाम कम होने पर अन्य खाद्य सामग्रियों, ट्रांसपोर्ट के दाम कम होंगे। महंगाई कम होना शुरू हो जाएगी।
केवल कागजों में ही न रह जाएं आंकड़े, जमीन पर हो काम
पीडीपी के पूर्व एमएलसी सुरेंद्र चौधरी ने केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए जम्मू-कश्मीर के बजट की सराहना करने के साथ इस बात पर भी जोर दिया कि यह राशि लोगों की बेहतरी के लिए खर्च भी हो। उन्होंने कहा कि केंद्र ने जम्मू-कश्मीर के लिए बजट में 1,08,621 करोड़ निर्धारित किए हैं। यदि ये राशि सही मायनों में लोगों के हित में खर्च हो तो जम्मू-कश्मीर की तस्वीर ही बदल जाएगी। अफसोस इस बात का है कि यह सरकारी आंकड़े केवल कागजों में ही सिमट जाते हैं। पिछले साल भी केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर का बजट पेश किया था। उस दौरान बजट में निर्धारित की गई राशि कहां-कहां खर्च हुई, उसका भी विवरण जनता के सामने पेश किया जाना चाहिए।
जम्मू-कश्मीर में अभी भी कई इलाके ऐसे हैं जो मूलभूत सुविधाओं, सड़क, पानी, बिजली की समस्याओं से जूझ रहे हैं। उनका सुधार होना चाहिए। डीडीसी-बीडीसी चुनावों का मकसद विकास की गति को ग्रामीण इलाकों तक पहुंचना था, अब जबकि यह सदस्य चुन लिए गए हैं, तो इन लोगों को अपने-अपने इलाकों में बेहतर सुधार के लिए खर्च होनी वाली राशि के लिए किसी का मुंह न ताकना पड़े। इस पर ध्यान देना होगा। चौधरी ने कहा कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा काफी अनुभवी हैं, उम्मीद है कि उनके नेतृत्व में जम्मू और कश्मीर के सभी जिलों में समान और बेहतर विकास होगा।